SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . इन्हीं दिनों अल्बर्ट लुटलु को नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिन्होंने इसे अफ्रीका राष्ट्रवादियों व ए. एन. सी. के कार्यक्रमों के नाम स्वीकार किया। विश्व की सहानुभूति इन लोगों के साथ है जो रंगभेद का विरोध कर रहे थे इस पुरस्कार ने प्रमाणित किया।" १९६१ की हड़ताल को संचालित करने के पर मंडेला हिरासत में ले लिये गए व उन्हें पांच साल की सजा दी गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को अपने भेजे पत्र में नेलसन मंडेला ने कहा कि "हम इस बात को स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम अत्याचार व अन्याय का प्रतिकार करना कभी बन्द नहीं करेंगे। हम जानते हैं कि आपकी सरकार अफ्रीकावासियों पर और अत्याचार करेगी, किन्तु कोई शक्ति उन्हें स्वतंत्रता प्राप्त करने से रोक नहीं पायेगी। जुलाई १९६३ में पुलिस ने ए. एन. सी. के कई भूमिगत सदस्यों वाल्टर सिसलू, गोवन मबेकी, अहमद आदि को गिरफ्तार किया व सामूहिक स्तर पर हिरासत का अभियान चलाया गया । इसके अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ क्रांतिकारियों को नये नियमों के अनुसार विरोधी प्रचार करने पर ३ साल की सजा, ५०० का आर्थिक दण्ड, १० कोड़े तथा विरोध के लिये प्रेरक होने पर ५ साल की सजा व ५०० डालर का आर्थिक दण्ड दिया गया। जिसके कारण वहां से हजारों-लाखों की संख्या में युवा वर्ग के लोगों ने पलायन किया। इस दौरान वे ए. एन. सी. की गतिविधियों से विभिन्न प्रकार से जुड़े रहे । अप्रेल २५, १९६९ को ए. एन. सी. के कार्यक्रम को व्यापकता देते हुए तनजानिया गणराज्य के मोरागोरो प्रान्त में इसकी सदस्यता हर जाति के लिए खोलने की घोषणा की गई।१६ इस घटनाक्रम से दक्षिण अफ्रीका पर अन्तर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित हुआ । पुर्तगाली उपनिवेश के विरुद्ध अंगोला, मोजाम्बीक, गुयानी, विसाऊ का सशस्त्र संघर्ष सफल हुआ और ये राष्ट्र स्वतंत्र हुए । अप्रेल १९०० में जिंबाववे तथा नामीबिया के स्वतंत्रता संग्राम के निर्णायक दौर में पहुंचने के कारण दक्षिण अफ्रीका का संग्राम भी तीव्र होता गया । - इस अवधि में अहिंसक प्रदर्शनों, हड़तालों, बन्द आदि तकनीक का भी प्रयोग किया गया । १९७३ में नाटाल प्रदेश में ३६० तथा १९७४ में ५४ हड़तालों का प्रदर्शन कर अपने विरोध को व्यक्त किया गया । फरवरी १९७३ में डरबन में ५०,००० से अधिक व्यक्तियों ने प्रदर्शन किया। हड़ताल के कारण लगभग १०० प्रमुख व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि का काम रुक गया । डरबन के वस्त्रमिल के ५०० श्रमिकों पर प्रदर्शन के समय गोली चलाई गई। रंगभेद नीति में कोई परिवर्तन न आया और पीटर बोथा के १९७८ में प्रधानमंत्री बनने के बाद इसमें और तीव्रता आ गई। जुलाई २८,१९८१ के दैनिक पत्र "रैण्ड डेली मेल' के अनुसार राजनीतिक हिंसा की १२७ घटनाएं मात्र २ साल की अवधि में हईं, जिसमें ७० व्यक्ति मारे गये । इस घटनाओं में हिंसा का पर्याप्त रूप से सहारा लिया गया। दमन को प्रभावी बनाने के लिये दक्षिण अफ्रीका के रक्षा बजट में ४०% की बढ़ोत्तरी की गई। तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524583
Book TitleTulsi Prajna 1995 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy