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________________ जैसा हो सकता है, चाहे कोई भी व्यक्ति किसी भी समय में उसके मन को पढ़ सकता है। जब तक मन में छिपाव, घुमाव और अंधकार रहते हैं तब तक मन की सरलता प्राप्त नहीं होती। असरल मन सदा मलिन रहता है । मलिन मन से विचार और आचार भी मलिन हो जाते हैं । अतः चित्त की निर्मलता से आत्मस्वरूप का सहज परिज्ञान हो सकता है ।२५ ध्यान के साधन विषयों का त्याग वैराग्य से ही होता है। जो विषयों का त्याग कर देता है उसके उनका अग्रहण होता है और अग्रहण से इन्द्रियां शांत बनती हैं। उल्लेख भी मिलता है विषयाणां परित्यागो, वैराग्येणाशु जायते । अग्रहश्च भवेत्तस्मादिन्द्रियाणां शमस्ततः ॥" मनः स्थैर्य ततस्तस्माद्, विकाराणां परिक्षयः । क्षीणेषु च विकारेषु, त्यक्ता भवति वासना ।। इन्द्रियों की शांति से मन स्थिर बनता है और मन की स्थिरता से विकार क्षीण होते हैं। विकारों के क्षीण होने पर वासना नष्ट हो जाती है।" जिससे व्यक्ति आगे विकास कर सकता है। स्वाध्याय और ध्यान ये दो ऐसे साधन हैं जिनसे आत्मा की विशुद्धि होती है कहा भी है स्वाध्यायश्च तथा ध्यानं, विशुद्ध : स्थैर्यकारणम् । आभ्यां सम्प्रतिपन्नाभ्यां, परमात्मा प्रकाशते ॥२८ । इन्द्रियां अपने विषयों से निवृत्त होती है तब चित्त अपने विषय से निवृत्त होता है । जहां इन्द्रिय और मन को अपने-अपने विषयों से निवृत्ति होती है, वहां ध्यान लीन व्यक्ति को पवित्र आत्म-दर्शन की प्राप्ति होती है । आचार्य श्री महाप्रज्ञ अपनी अनुभूति प्रस्तुत करते हुए कह रहे हैंसच्चं खु सक्खं भवई तया जया, सदस्स जालाविगओ भवामिहं । सहस्स कारागिहतंतिओ जणो, सव्वत्थ मोहं तिमिरं च पासई ।।३° जब मैं शब्द-जाल से छूटता हूं तब सत्य का साक्षात्कार होता है । जो व्यक्ति शब्द के कारागृह का बन्दी है, वह सर्वत्र मोह और अन्धकार ही देखता रहता है। क्योंकि सत्य को साधारण व्यक्ति नहीं पहचान सकता। जैसे विनिद्राणे नेत्रे स्फूरति विमलज्योतिरभितः, सुषुप्तेऽपि स्वान्ते लषति विपुला शक्तिरनिशम् । विमूकेप्यारावे तरति गहनो भावजलधिः, जनः सामान्योऽयं कथमिव विजानीत सहसा ।।३१ ३७० तुसली प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524578
Book TitleTulsi Prajna 1994 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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