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१. णमोकार मंत्र में 'ण' वर्ण का महत्त्व जयचन्द्र शर्मा
२. जैन दर्शन में पंच परमेष्ठी का स्वरूप जगमहेन्द्रसिंह राणा
अनुक्रमणिका / Contents
३. अभिज्ञानशाकुन्तलम् में 'अभिज्ञान' शब्द गोपाल शर्मा
४. 'अश्रुवीणा' का गीतिकाव्यत्व
राय अश्विनीकुमार : हरिशंकर पाण्डेय
५. जैन दर्शन में मोक्षवाद
साध्वी श्रुतयशा
६. रात्रि भोजन - विरमण व्रत : विभिन्न अवधारणाएं
साध्वी सिद्धप्रज्ञा
७. समराइच्चकहा : एक धर्मकथा सुश्री निर्मला चोरड़िया
८. महाकवि भिक्षु के क्रान्तिकारी आयाम हरिशंकर पाण्डेय
९. विश्वशांति के पुरोधा : आचार्यश्री तुलसी परमेश्वर सोलंकी
१०. जैन आगमों में हुआ भाषिक स्वरूप परिवर्तन
सागरमल जैन
११. जीवन विज्ञान के प्रयोग : मनुष्य का क्रूरतापूर्ण आचरण
बन्द हो सकता है ? समणी स्थितप्रज्ञा
१२. पुस्तक समीक्षा :
धम्म परिक्खा
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(i)
(ii) णाणसायर
(iii) शोध- समवेत :
(iv) अनुसंधान
(v) प्राकृत एवं जैन विद्या शोध संदर्भ
14. Non-violent Model of Economic Development
Shiv Prakash Panwar
15. Book Reivew : (i) Concept of Pratikramana
(ii) Sattaka Literature: A Study (iii) Tridosha
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English Section
13. Cultural Relations of India with Tibet and China 163
Narendra Kumar Dash
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२५.७
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