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________________ उसे सार्थक बनने दिया जाए । संपादकों को इन अंकों के प्रकाशनाथ बधाई ! और अजस्र - अविरल गति बनाए रखने को शुभकामनाएं !! ३. शोध - समवेत - श्री कावेरी शोध संस्थान, उज्जैन की त्रैमासिक शोध पत्रिका | प्रकाशक- - श्री कावेरी शोध संस्थान, ३४, केशवनगर, गऊघाट, उज्जैन-४५६०१० वार्षिक शुल्क --- संस्था के लिए १००/- व्यक्ति के लिए ६० /- रुपये । पिछले उज्जैन के सिंहस्थ महापर्व पर कतिपय विद्वानों की एक अनौपचारिक बैठक में शोध समवेत के प्रकाशन का संकल्प हुआ और डा० श्याम सुन्दर निगम के सतत प्रयास और अविरल परिश्रम से श्री कावेरी शोध संस्थान का प्रतिष्ठापन हो गया । जनवरी- जून, १९९२ में प्रवेशांक के बाद शोध- समवेत के दो खण्डों के सभी अंक प्रकाशित हो गए हैं । प्रवेशांक में सिंहस्थ-८० के अवसर पर डा० ब्रज बिहारी निगम के मार्गदर्शन में हुए सर्वेक्षण की सामग्री का प्रकाशन हुआ किन्तु जुलाई - दिसम्बर १९९२, जनवरी- जून, १९९३ और जुलाई - दिसम्बर, १९९३ के अंकों में अधिकारी विद्वानों के उच्चस्तरीय लेखों को प्रकाशित कर पाना निस्संदेह जर्नल के संरक्षक, परामर्शक एवं सम्पादक बन्धुओं के अथक परिश्रम से ही संभव हुआ है । शोध कार्य निरन्तर अग्रसारित होता है, इसलिए उसमें संस्कार की अपेक्षा बनी रहती है किन्तु जो कुछ मिला अथवा सूझा उसे यथातथ्य प्रकट कर देना शोधकर्ता का दायित्व है और इस दायित्व के निर्वहन में शोधसमवेत बहुत जागरूक और सचेष्ट दीख पड़ता है । जुलाई - दिसम्बर १९९३ के अंक में ही धर्म-निरपेक्षता एवं राष्ट्रीय एकीकरण, मध्यप्रदेश में मसीहियों का योगदान, पूर्वी मालवा के मुस्लिम राज्य, पश्चिम मध्यप्रदेश में प्रशासनिक व्यवस्था (१८१८ से १८५८), परमार कालीन नागरिक एवं ग्राम व्यवस्थाइत्यादि लेख कितने क्रम बद्ध और अभिनव सामग्री से ओतप्रोत हैं - यह संबंधित क्षेत्रों के शोधार्थी समझ सकते हैं । अफगानिस्तान में बौद्ध धर्म की प्राचीनता — शीर्षक से डा० जीवनराम ने नई सामग्री दी है किन्तु अभी भी उन्हें काबुल - तक्षशिला से खोतान तक पहुंचने में कई पड़ाव तय करने हैं । ऐसे ही डा० ब्रज बिहारी निगम को भी 'लकुलीश का कर्म क्षेत्र' तय करने को उज्जैनी से उत्तर में बढ़ना होगा, किन्तु यह तो सतत साधना है, इसलिये इसे शोध - समवेत के शुभारंभ का परिचायक मानकर हमें कावेरी संस्थान के सत्प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए । ४. अनुसंधान --- प्राकृत भाषा अने जैन साहित्य विषयक संपादन, तुलसी प्रज्ञा २६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524577
Book TitleTulsi Prajna 1993 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
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