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हे १. खेयन्न
इ.
खेत्तण्ण
मजैवि. का मूल सूत्र
लोगंसि
लोगं
एजस्स
कप्पइ
मतिमं
अब कुछ पाठ-भेद मूल सूत्र और चूर्णि तथा वृत्ति में प्राप्त हो रहे हैं उन्हें भी ध्यान में ले लें ।
एगदा
परिवंदण
अतिथिबले
अह
इह
सोह
णियगा
बहुणा मे
पिच्छाए
खेतण्णे
छिण्णपुव्वाई
सुणगारे
सुहट्टी
पुट्ठो
परिस्सहाई
रूवे हिं
संखाए
पूरइत्तए
घातमाणे
सेवि
खेतण्ण खेत्तण्ण
खण्ड १९, अंक २
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खेयण्ण
aror
खेयण्ण
खेयण्ण
आचारांग
उद्धृत उसकी चूर्णि
का पाठ
लोकंसि
लोयं
एयस्स
कष्पति
मइमं
एगता
परियं दण
अतिधिबले
अध
इध
संसोधणं
नियगा
बहुनामे
पिछाए
खेत्तणे
छिन्नपुव्वाणि
सुन्नागारे
सुत्थी
पुठे
परीसहाणि
रूवे हि
संखाय
पूरेउं
घातमीणे
सेवित्था
खेदण्ण
खेतण्ण
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सूत्र नं०
९
२२
५६
२७
१११
७९
७
७३
२९४
६६
३०८
६६
१२९
५२
१०९
३०३
२७९
९६
२६०
३०३
१२३
७५
११८
१९२
२९४
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