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दुगंखणाए ५६ दुगुंछणाए (दुगुञ्छण
शीलांक)
आतंकदसी आयंकदंसी
गच्चा ५६ णच्चा तुमण्णेसि तुलमन्नेसि
५६
संतिगता ५६ सन्तिगया
जीविडं ५६ जीविउं
(चूर्णि वीयितुं, वीजिउं)
मजैवि के
खं - १
पाठ -- सूत्र नं. खंभात
णातं १, २
आया १
दुगुछणाए
आयंकसी
नच्चा
तुल मण्णेसि
दुक्ख पडि - पडिघायहेउं पडिघायहेउ
घातहेतुं ५८
संपतंति ६० संपयंति
संतिगया
वीजितुं
चुते १
सह- सम्मुइयाए २
खण्ड १९, अंक २
सण्णा १
सण्णा
सण्णा
आगओ
आगतो
आगतो १ अधेदिसातो अहेदिसाओ अधे
एवमेसि १
- गेसिं
- गेसिं
णायं
आया
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खं - ३
खंभात
उववाइए १,२ उववातिए, उववादिए,
- वादिए
पडघातहेतु
संपयंति
संपतंति
संपयन्ति
ऊपर के पाठ आचारांग के प्र. श्रु. स्कंध के मात्र प्रथम अध्ययन से दिये गये हैं और इनमें भी सभी पाठ-भेदो का समावेश नहीं होता है । मात्र उदाहरण के लिए कतिपय पाठ-भेद दिये गये हैं ।
अब मजैवि. संस्करण के पाठों के साथ आदर्श प्रतियों के कतिपय पाठों की तुलना की जा रही है ।
णातं
आता
दुगु छणाए
आतंकसी
णच्चा
तुलमणे सिं
संतिगता
जीविउं
सन्ना
आगभ
अहे
एवमेके सिं
नातं (यं )
-वादिते उववाइए
दुगु छणाए
आयसी
पूना
जे. B.OR.I. जैसलमेर
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नच्चा
तुलं / अन्नेसि
सन्तिगया
जीविउ
पडघायहेउ
अहे
सन्ना
आगओ
- केसि
नातं (यं)
आया
उववाइए
ला.
ला. द.भा.सं.
वि. मंदिर
सण्णा
आगतो
अहे ---
एवमेगेसि
नातं (यं)
आया
चुए
चूओ
चुभो
-- सम्मुदियाए -- सम्मुइए - संमुदियाए -- समुदियाए -संमदियाए
उववातिते,
-- वाइते
चुए
१४९
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