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________________ आत्मज्ञान और विज्ञान का समन्वय -श्री कृष्णराज मेहता मानव के सामने विशाल प्रकृति पड़ी हुई है, उसके चारों ओर व्यापक सृष्टि छायी हुई है। अनादि काल से मनुष्य इसके सम्पर्क में रहता आया है। उसके सम्बन्ध में सोचना, निरीक्षण करना, शोध करना और उत्तरोत्तर ज्ञानवर्धन करमा उसका क्रम रहा है। प्रकृति के पदार्थ उसके गुण, धर्म, नियम आदि का ज्ञान प्राप्त करके उसका विनियोग अपने जीवन में और समाज-जीवन में मानव अनादिकाल से करता आया है। इससे मानव जीवन का क्रमशः उत्कर्ष हुआ है । आज तो विज्ञान की अतिशय उन्नति और यांत्रिक उपलब्धियों ने मानव समाज को अति निकट ला दिया है । समय साधक यंत्रों और शीघ्रगामी यातायात के साधनों से सारा विश्व एक बन गया है। जीवन को स्वस्थ रखने और भौतिक जीवन की जरूरतों को आसानी से और कम समय में पूरा करने के लिए आज नई-नई शक्तियां प्रगट हई हैं। जैसे—भाप, शक्ति, बिजली शक्ति, एटम शक्ति इत्यादि । इन शक्तियों की उपलब्धियां और विनियोग मानव समाज के विकास में अतिशय लाभदायी सिद्ध हुई है। इसलिए विज्ञान का मानव पर बहुत उपकार हुआ है। परन्तु दूसरी ओर विज्ञान की शक्तियों के दुरुपयोग की समस्या ने मानव समाज के सामने एक भयंकर खतरा पैदा कर दिया है। अणु-बम हाइड्रोजन-बम, मादि संहारक शस्त्रों के निर्माण में अगणित संपत्ति और अमूल्य बुद्धि शक्ति खर्च करके सर्वनाश की योजना बना रखी है। यदि कहीं विश्व युद्ध छिड़ जाय और इनके विस्फोट शुरू हो जायें तो अधिकांश मानव जाति और उसकी सभ्यता का विनाश निश्चित है । इस परिस्थिति का कारण मनुष्य का असंतुलित विकास है । बाह्य ज्ञान और बौद्धिक ज्ञान का मनुष्य में जितना विकास हुआ है उसके अनुपात में उसका आत्मिक विकास नहीं हुआ है। उसने अपने आंतरिक विकास की उपेक्षा की है और वह अपनी भोग वृत्ति तथा मनोवेगों का दास बन गया है । इस संकट से मुक्त होने का साधन विज्ञान और आत्मज्ञान का समन्वय है। विज्ञान और आत्मज्ञान दोनों सत्य की शोध में लगे हैं, दोनों नम्र और अनाग्रही हैं । एक उसका स्थूल रूप है और दूसरा सूक्ष्म तत्व है । तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524575
Book TitleTulsi Prajna 1993 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size8 MB
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