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शिविका चित्र श्लोक
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विश्वेस्मिन् प्राप्तुका | मा.वि म या मा न च्चि त्र च्छ वि कां | सि | द्धि साम्राज्य निष्ठाम्।
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शिविका चित्र के रूप में श्लोक रचना भी जटिल होती है किन्तु कवि ने इस जटिलता को पार करते हुए इसमें सफलता प्राप्त की है। प्रस्तुत श्लोक के चारों चरण इस प्रकार हैं:
विश्वेस्मिन् प्राप्तुकामा विमल मतिमया मानवा ! नव्यनव्यां सच्चिद्रोचिविचित्रच्छविरविशिविकां सिद्धिसाम्राज्यनिष्ठाम् माहात्म्याचि : प्रविष्टां, सितमधुसरसां संप्रवत्ताशु तर्हि, सच्छिक्षां सत्यसन्धेः कविवर तुलसेश्चन्द्रवच्छीतरश्मेः ।।
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तुलसी प्रज्ञा