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________________ क्रमांक सूत्र संदर्भ शीर्षक ओकागे १ नो संलग्न सूची महावीर जैन डॉ० चन्द्रा का अन्तर विद्या० पाठ पाठ आयारंग आचारङ्ग परसवर्ण अनुनासिक, यकाच २ पढमो पढमंसि विभक्ति रूप सुयक्खंधो सुतक्खधंसि यकात +विभक्ति रूप २ अज्झयणं अज्झयनं णकान सत्थपरिण्णा सत्थपरिन्ना पढमो पढमे विभक्तिरूप उद्देसओ उद्देसगे सुर्य सुत्तं यकात आउसं! तेणं आउसन्तेण पाठांतर, परसवर्ण अ०, अनुस्वार लोप २ भगवया भगवता यकात एवमक्खायं एवमक्खातं इहमेगेसि इहमेकेसि गकाक णो णकान सण्णा सन्ना जहा जधा हकाध दाहिणाओ दक्खिणातो य/त/उदवृतस्वर रूपान्तर दिसाओ दिसातो उड्डातो उद्धातो ढका द्ध अणुदिसातो अनुदिसातो णकान एवमेगेसिं एवमेकेसि गकाक णकान णातं नातं आया आता यकात उववाइए उववातिए य/त/उदवृत० पत्थि नत्थि णकान आया आता यकात उववाइए उववातिए य/त/उदवृत० इवो पुण णकान जाणेज्जा जानेज्जा सहसम्मुझ्याए सहसम्मुतिया य/ल/उदवृत० एकालोग २ तुलसी प्रज्ञा १ १८. णो नो २२. " २३. २४. २५. २७. " इओ २९. २. पुन
SR No.524574
Book TitleTulsi Prajna 1993 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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