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संपादकीय
. तेरापंथ-साहित्य के मुद्रण की शुरुआत
तेरापंथ-साहित्य का पहला ग्रंथ-'श्रावक ना बारे व्रत अर विनीत-अविनीत री चौपाई', विक्रमी संवत् १८३२ में लिखा गया। आचार्य भिक्षु स्वामी ने कुल ३४ तात्विक और २१ कथानकी रचनाएं लिखीं। उनके वाद हुए तेरापंथ-आचार्य एवं उनके शिष्य : साधु-साध्वियों ने तेरापंथ-साहित्य को यथोचित अवदान दिया और उसमें प्रवृद्धि के लिये अविरल लेखन-कार्य किया। वर्तमान युग से पूर्ण सामञ्जस्य लिए हुए अविच्छिन्न और अजस्रगति से आचार्यश्री तुलसी के नेतृत्व में भी यह परम्परा सतत प्रवाहमान है।
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