SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ की आवश्यकता है । अपने में निकाले जाने वाले दोषों की तथा उसका तर्कपूर्ण शैली में काव्यात्मक प्रतिवाद करने में हासिल की थी । कुछ लोगों को लगता है कि राजस्थानी भाषा में आध्यात्मिक अभिव्यक्ति का सामर्थ्य नहीं है, वह एक ग्राम्य परिवेश से जुड़ी हुई भाषा है, पर ऐसा मानने वाले लोग यदि एक बार आचार्य भिक्षु का साहित्य पढ़ लें तो उन्हें अपने विचार में परिवर्तन करना ही पड़ेगा । (क) आचार्य भिक्षु के विषयानुक्रम से पद्य साहित्य की सूची बनाई जाए तो वह ऐसी होगी -- आचार मीमांसा १. आचार की चौपई २. श्रावक ना बारह व्रत ३. एकल री चौपई ४. विनीत- अविनीत री चोपई ५. विनीत- अविनीत री ढालां सिद्धान्त मीमांसा १. श्रद्धा री चोपई २. अनुकम्पा री चौपई ३. विरत - अविरत की चौपई ४. निक्षेपां री चौपई ५. जिनाज्ञा री चौपई ६. मिथ्यात्वी करणी री चौपई ७. समकित री ढालां ८. पोतियां बंध री चौपई ६. टीकम डोसी री चोपई १०. पर्यायवादी री चौपई ११. इन्द्रियवादी री चौपई १२. कालवादी री चोपई आख्यान १. भरत चरित ३. सुदर्शन चरित ५. द्रौपदी रो बखाण खण्ड १७, अंक ४ (जनवरी-मार्च, ६२ ) Jain Education International सूची बनाकर लिख लेना उन्होंने गज़ब की माहिरी तत्त्व मीमांसा १. नव पदार्थ २. विविध १. ब्यावलो २. निन्हव रास ३. दसवें प्रायछित्तरी ढाल ४. मोहनी कर्मबंध री ढाल ५. जिण लखणा चरित नाव न आवे री ढाल ६. सूंस भंगावण रा फल री ढाल ७. जुआ री ढाल ८. उरण री ढाल ६. सामधर्मी - सामद्रोही १०. तात्त्विक ढालां ११. दुगंछणिक कुल निषेधन नी ढाल १२. गांव गरदोडा गुडला पाणी की ढाल १३. भगवंत भाख्या रे श्रावक एहवा १४. दृढ़ समकितधर थोडला उपदेश १. वैराग री ढालां २. गणधर सीखामणी ढाला ३. दान री ढालां २. जंबूकुमार ४. चेडा कोणिक री सिंघ ६. उदाई रा रो बखाण For Private & Personal Use Only २१७ www.jainelibrary.org
SR No.524569
Book TitleTulsi Prajna 1992 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshwar Solanki
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy