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अपील
प्रिय पाठकगण,
आपकी सेवा में "तुलसी प्रज्ञा" का "युवाचार्य विशेषांक' भेजते हुए बहुत ही आनन्दानुभूति हो रही है । इस अंक के प्रकाशन में कुछ विलम्ब हुआ है, जिसका हमें खेद है।
आप तुलसी प्रज्ञा के ग्राहक होंगे ही। अन्यथा आपसे अनुरोध है कि आप इसके ग्राहक अवश्य बनें एवं अन्य समाज एवं साहित्य प्रेमी बन्धुओं को भी तदर्थ प्रेरित करें। स्थानीय सभासंस्थाओं को भी इसके ग्राहक बनने के लिए अनुरोध करें । हर जैन संस्था के लिए इसका ग्राहक बनना नितांत अपेक्षित समझा जाना चाहिए ।
आपको यह लिखने की आवश्यता ही नहीं कि जैन विश्व भारती सत्साहित्य प्रकाशन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान लिए हुए है। शिक्षा, शोध, साधना एवं संस्कृति विषयक जैन पत्रिकाओं में "तुलसी प्रज्ञा" का एक विशिष्ट महत्व है। इसके प्रायः प्रत्येक अंक में आचार्य श्री, युवाचार्यजी महाराज, साध्वी प्रमुखा श्री कनकप्रभाजी आदि संत सतियांजी तथा अन्य सुधीजनों के विद्वतापूर्ण लेख होते हैं । इसका प्रत्येक अंक संग्रहणीय है ।
इसका वार्षिक शुल्क मात्र रुपये २५/- है जो कि लागत से काफी कम है। यह पत्रिका आपकी है। इसे आपका पूरा सहयोग मिलेगा, ऐसी आशा है ।
सूरजमल गोठो
अध्यक्ष
--निवेदकश्री वन्द बैंगानो
मंत्री
गोपीचंद चोपड़ा
प्रबंध सम्पादक