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________________ श्यक फर्नीचर व रैक्स आदि करीब २५,०००) रुपयों के खरीद किये हैं। सभी पुस्तके नये ग्रन्थालय भवन में सुरक्षित रख दी गई हैं। अभी पुस्तके साधु-साध्वियों, कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को ही दी जा रही हैं। सर्वसाधारण जनता द्वारा प्रस्तकों के पढ़ने की मांग बराबर रहती है। इसके लिए एक ट्रेड लायब्रेरियन रख कर इस सम्बन्धी नियम आदि बना कर सारे कार्य को व्यवस्थित कर लेने की अत्यन्त आवश्यकता है। अभी कुल पुस्तकें ५१५७ हैं जिनका मूल्य ६१,४२२)०३ पैसे लगा है । पुस्तकों का चयन अच्छा हुआ है। दर्शकों का तांता लगा रहता है। महामहिम उपराष्ट्रपति जी ने काफी देर तक पुस्तकों को देख कर टिप्पणी की है "ए रेयर कले. क्शन ऑफ बुक्स ।" अभी पुस्तकों की देखरेख का कार्य एक क्लर्क श्री कन्हैयालाल वर्मा कर रहे हैं। साहित्य बिक्री का हिसाब भी इन्हीं के जिम्मे है । ५. तुलसी अध्यात्म नीड़म् व साधना प्रशिक्षण विभाग ( निदेशक : स्व० डा० मन्नालाल जी बैद ) इस विभाग के निदेशक श्री मन्नालाल जी बंद के निधन से संस्था की अपार क्षति हुई है। आपने पिछले सभी साधना शिविरों का बड़ी कुशलता से संचालन किया था। जैन विश्व भारती के समस्त सदस्यों, कर्मचारियों व शुभचिन्तकों की तरफ से उनको हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। गत वर्ष में स्वर्गीय डा. मन्नालाल जी बंद के निदेशन में दो साधना शिविर दिल्ली में लगे जिसमें एक साधना शिविर श्री गोयनका जी की विपश्यना पद्धति से लगा जो १० दिनों तक चला। अभी कुछ महीनों पहले दिनांक ६-३-७५ से श्री सत्यनारायण जी गोयनका के तत्वावधान में विपश्यना पद्धति से दो शिविर लाडनू में जैन विश्व भारती के प्रांगण में लगे थे। प्रथम शिविर १६-३-७५ को सम्पन्न हुआ था। इनमें देश-विदेश के साधकों के अतिरिक्त. दो बौद्ध भिक्ष तथा साध-साध्वियों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। पारमार्थिक शिक्षण संस्था की कई बहिनों ने भी इसमें भाग लेकर साधना का लाभ उठाया। दूसरा शिविर दिनांक १६-३-७५ से २६-३-७५ तक चला । जैन विश्व भारती के ग्रन्थालय भवन व अतिथि भवन में इसकी पूरी व्यवस्था की गई थी। साध्वीवृन्द के निवास स्थान के लिये स्वास्थ्य निकेतन का उपयोग हुआ। शिविरों का वातावरण, खानपान व व्यवस्था सभी को बड़ी रुचिकर लगी। शिविरों की देखरेख व व्यवस्था श्री धर्मचन्द जी लूणियां व श्री जोधराज जी दूगड़ ने की। दूसरे शिविर की देखरेख में श्री उमरावचन्द जी मेहता का बड़ा सहयोग रहा। दिल्ली अंचल कार्यालय के तत्वावधान में व मुनिश्री किशनलाल जी के सान्निध्य में "मानसिक तनाव और आत्मानुशासन" विषय पर अध्यात्म संगोष्ठी का आयोजन इस वर्ष जुलाई में हुआ। भारतीय संस्कृति की अन्तर्राष्ट्रीय अकादमी के निदेशक तथा संसद सदस्य डा० लोकेशचन्द्र गोष्ठी के अध्यक्ष थे। तुलसी प्रज्ञा-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524503
Book TitleTulsi Prajna 1975 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Gelada
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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