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________________ सम्पादकीय ___ जैन विद्या परिषद का षष्ठ अधिवेशन युग प्रधान आचार्यश्री तुलसी के सान्निध्य में जयपुर में १०, ११ व १२ अक्टूबर, ७५ को सम्पन्न हुआ। उपस्थित विद्वानों ने संस्तुतियां तथा सुझाव प्रस्तुत किये जो इस प्रकार हैं (१) जैन विश्व भारती, लाडनू ने गत वर्ष दिल्ली में आयोजित जैन विद्या परिषद के पंचम अधिवेशन के अवसर पर जैन विद्याओं के वरिष्ठ जर्मन विद्वान डा० एल० आल्सडोर्फ को उनकी साहित्य-साधना के प्रति आदर - अभिनन्दन व्यक्त करने के लिए 'जैन विद्या मनीषी' की मानद उपाधि द्वारा सम्मानित किया था। उसी शृङ्खला में यह अधिवेशन प्रस्तावित करता है कि पूर्व मनोनीत अध्यक्ष जैन विद्याओं के अप्रतिम विद्वान स्व० डा० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये की साहित्य-साधना के प्रति आदर व्यक्त करने के लिए उन्हें 'जैन विद्या मनीषी' की मरणोत्तर मानद उपाधि द्वारा सम्मानित किया जाय । (२) यह भी संस्तुति की जाती है कि इस अधिवेशन के वर्तमान अध्यक्ष श्री श्रीचन्द रामपुरिया को उनकी साहित्यिक सेवानों के प्रति आदर व्यक्त करने के लिए 'जैन विद्या मनीषी' की मानद उपाधि द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाय । (३) स्व० डा० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये की साहित्यसंस्कृति-साधना के प्रति आदर व्यक्त करने तथा भारतीय विद्याओं के अध्ययन-अनुसंधान के लिए उनके योगदान को संकलित रूप में प्रकाशित करने के लिए जैन विश्व भारती की पत्रिका 'तुलसी प्रज्ञा' का एक विशेषांक डा० आ० ने० उपाध्ये विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया जाय। स्व० डा० हीरालाल जैन विशेषांक भी प्रकाशित किया जाय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524503
Book TitleTulsi Prajna 1975 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Gelada
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tulsi Prajna, & India
File Size7 MB
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