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सम्मेदशिखर जी गुणायतन में चमत्कार । मूलनायक चंद्रप्रभ भगवान् की प्रतिमा पंचकल्याणक स्वर्ण रंग में बदली चाँदी की प्रतिमा प्रतिष्ठापूर्वक विराजमान करने का सौभाग्य प्राप्त किया
मधुबन (शिखर जी) ३ सितम्बर ०९ मधबन में | है अनन्य गुरुभक्त एवं श्रेष्ठी श्री विनोद काला कोलकाता आज अद्भुत चमत्कार हुआ। संत शिरोमणी प.पू. १०८ | ने। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव मुनि श्री प्रमाणसागर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक | जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में 'गुणायतन' भूमि पर युवा शिष्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज के ससंघ ही अत्यंत सादगी से सपन्न हुआ, जो वर्तमान शती का सान्निध्य एवं पर्युषण पर्व के पावन प्रसंग में चल रहे एक उत्कृष्ट उदाहरण है। ब्र० अन्नु भैया ने 'गुणायतन' श्रावक संस्कार शिविर एवं जिन सहस्रनाम विधान के | से जन समुदाय को अवगत कराते हुए कहा कि यह समापन अवसर पर देवाधिदेव १००८ अदिनाथ भगवान पू. मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज की अदभुत की शोभा यात्रा निकालने की तैयारी चल रही थी। उसी परिकल्पना है, जिसके द्वारा आधुनिक तकनीक से जैनदर्शन क्रम में मध्यान्ह १२.०० बजे ज्यों ही भगवान आदिनाथ | के अन्तर्गत नर से नारायण बनने के क्रमिक सोपान जी की चाँदी की प्रतिमा को रथ में विराजमान किया | १४ 'गुणस्थानों' को जीवन्त रूप में प्रदर्शित किया जायेगा। गया, प्रतिमा का श्वेत वर्ण सामने से स्वर्णरंग में परिणत पोथियों की बात पलों में समझायी जायेगी। कैवल्य प्राप्ति हो गया। इस चामत्कारिक घटना के घटते ही शिविरार्थी | के उपरान्त भगवान के श्री विहार, समवशरण एवं एवं अन्य श्रद्धालु भक्ति से झूम उठे। पूरा मधुबन भगवान मुक्तिगमन के दृश्य ध्वनि एवं प्रकाश के माध्यम से आदिनाथ एवं आचार्य श्री विद्यासागर जी एवं मनि श्री देखकर दर्शक रोमांचित हो उठेंगे। उन्होंने कहा कि पत्थरों प्रमाण सागर जी के जयकारों के नाद से गूंज उठा।। द्वारा पुरातन शैली में निर्मित 'गुणायतन' विश्व की एक मूर्ति के दर्शनार्थ जैन-अजैन सभी श्रद्धालुओं की भीड़ अनुपम कृति होगी जो हजारों वर्षों तक जैनत्व की प्रभावना उमड पडी। रथ पर उक्त प्रतिमाजी को विराजमान कर | का प्रबल निमित्त बनेगी। बैठने का सौभाग्य श्री सुनील कुमार जी सरावगी कोलकाता
विमल कुमार सेठी को प्राप्त हुआ था। वे इस घटना से अत्यंत अभिभूत
गया (बिहार) हो उठे।
भोपाल (म०प्र०) में सन्त-चातुर्मास प.पू. मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने समापन श्री आदिनाथ दि० जैन मन्दिर चौक, भोपाल में समारोह में अपने संबोधन में कहा कि प्रतिमा का वणवर्ण | पूज्य मुनि श्री विश्वलोचनसागर जी एवं पूज्य मुनि श्री में बदलना एक शुभ संकेत है। 'गुणायतन' में जिनालय | विश्ववीरसागर जी तथा परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर बनने के बाद जबसे देवाधिदेव चंद्रप्रभ भगवान् की
जी के शिष्य पूज्य एलक नि:शंकसागर जी का चातुर्मास अतिशयकारी प्रतिमा यहाँ विराजमान हुई है, तब से निरंतर
चल रहा है। आपके सान्निध्य में भव्य श्रावकसाधना यहाँ अतिशयों का सिलसिला जारी है। जिनालय निर्माण । शिविर सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। क्षमावाणी दिवस भी के बाद पहली बार यहाँ जिन सहस्रनाम विधान एवं
चौक के मन्दिर एवं झिरनों के मन्दिर में मनाया गया। श्रावक संस्कार शिविर जैसा वृहद् अनुष्ठान हुआ, जिसमें,
| १० सितम्बर २००९ को झिरनों के मन्दिर में सतना संपूर्ण देश से लगभग आठ सौ शिविरार्थी सम्मिलित हुए,
(म०प्र०) से पधारे विद्वान् श्री निर्मल जैन एवं अन्य जो अपने आप में एक अतिशय ही है ओर फिर उक्त
स्थानीय सज्जनों का सम्मान किया गया। अनुष्ठान के समापन पर जो प्रतिमा के वर्ण परिवर्तन | प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर की उपलब्धियाँ की घटना घटी है, वह निश्चत ही एक चमत्कार है माननीय साध्वी संवेगप्रज्ञाजी एवं साध्वी श्री और इस तरह का चमत्कार पहली दफा तीर्थराज की ज्योत्सनाश्री म.सा. को जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय पावन भूमि पर घटित हुआ है। यह इस बात का संकेत | लाडनूं (राज.) द्वारा उनके शोध-प्रबन्धों पर पी-एच.डी. है कि निर्माणधीन 'गुणायतन' का कार्य शीघ्र पूर्ण होगा की उपाधि प्रदान की गई। आपने यह शोधकार्य अन्तर्राष्ट्रीय और यह जिनधर्म की प्रभावना का प्रबल निमित्त बनेगा।। ख्यातिप्राप्त जैन विद्वान् एवं प्राच्य विद्यापीठ. शाजापर के ___ 'गणायतन' भमि पर जिनालय निर्माण एवं उसमें | संस्थापक निदेशक डॉ० सागरमलजी जैन के निर्देशन में
30 सितम्बर 2009 जिनभाषित
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