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________________ होता है। हितकारी है, परम उत्कृष्ट है और पाप का हर्ता है। ऐसे जिनागम की जो सदा अच्छी रीति से उपासना करता है उसे सात गुणों की प्राप्ति होती है ४. प्रति समय संसार से नये-नये प्रकार की भीरुता होती है । १. त्रिकालवर्ती अनन्त द्रव्यपर्यायों के स्वरूप का ज्ञान होता ५. व्यवहार और निश्चयरूप रत्नत्रय में अवस्थिति होती है। है। 1 २. हित की प्राप्ति, अहित के परिहार का ज्ञान होता है। ३. मिथ्यात्व आदि से होनेवाले आस्रव का निरोधरूप भावसंवर होता है अर्थात् शुद्ध स्वात्मानुभूतिरूप परिणाम ६. रागादि का निग्रह करनेवाले उपायों में भावना होती है। ७. पर को उपदेश देने की योग्यता प्राप्त होती है। 'वात्सल्यरत्नाकर' (द्वितीय खण्ड) से साभार डॉ० सुरेन्द्र जैन भारती ( सहयोगी सम्पादक : 'जिनभाषित' ) की मातृश्री का निधन डॉ० सुरेन्द्र जैन 'भारती' (सहयोगी सम्पादक 'जिनभाषित') की पूजनीया मातृश्री (धर्मपत्नी श्री सिंघई शिखरचन्द्र जैन सोंरया) का स्वर्गवास दिनांक 10.12.08 बुधवार को दोपहर 1 बजे हो गया है। आप डॉ० रमेशचन्द्र जैन (बिजनौर), डॉ० अशोककुमार जैन (वाराणसी), डॉ० नरेन्द्रकुमार जैन ( सनावद ) एवं श्री वीरेन्द्रकुमार जैन (मड़ावरा) की भी माता थीं। 'जिनभाषित' - परिवार अपनी शोक- समवेदना प्रेषित करता है। रतनचन्द्र जैन समाधि तंत्र - अनुशीलन संगोष्ठी सम्पन्न टोड़ी - फतेहपुर (झाँसी, उ. प्र.) दि. 26 से 28 दिसम्बर 2008 तक श्री दि. जैन अतिशय क्षेत्र टोड़ी फतेहपुर में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के ससंघ मंगल सान्निध्य एवं डॉ० श्री श्रेयांस कुमार जी जैन बड़ौत व डॉ० सुदीप जैन दिल्ली के संयोजकत्व में आचार्य श्री पूज्यपाद स्वामी विरचित आध्यात्मिक कृति 'समाधितंत्र व इष्टोपदेश अनुशीलन' कृति पर प्रथम संगोष्ठी, क्षेत्र पर प्रथम बार एवं आचार्य श्री के ससंघ सान्निध्य में भी प्रथम बार सम्पन्न हुई। देश के करीब 30 मूर्धन्य विद्वानों ने भाग लिया, जिनमें डॉ० जयकुमार जी मु० नगर, डॉ० कमलेश जी वाराणसी एवं जयपुर, डॉ० फूलचंद जी प्रेमी वाराणसी, डॉ० शीतलचंद जी जयपुर, डॉ० वृषभप्रसाद जी लखनऊ, पं० पवन दीवान मोरेना, डॉ० नलिन के जैन, डॉ० विजय जैन एवं Jain Education International डॉ० श्रीमती राका जैन लखनऊ, पं० श्री लालचंद जी राकेश- गंजबासौदा, प्राचार्य निहालचंद जी बीना, डॉ० अशोक जैन वाराणसी, पं० सनत कुमार, विनोद कुमार रजवाँस, पं० सुनील संचय, पं० पंकज जैन, पं० अशीष शास्त्री, पं० वीरेन्द्र जी बिलासपुर, पं० छोटेलाल जी झाँसी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे । इसी अवसर पर श्री सेठी जी व डॉ० जयकुमार जी मु. नगर के कर कमलों से श्री दीवान जी की बहुचर्चित उपयोगी कृति 'तीर्थक्षेत्र पर्वादि वंदनाष्टक शतक पूर्वार्द्ध' का भी भव्य लोकार्पण सम्पन्न हुआ । भवदीय पं० पवन कुमार शास्त्री 'दीवान' डॉ० सुशील, सौरभ जैन नए निवास में मैनपुरी, शास्त्री परिषद् के उपाध्यक्ष, वाग्भारती पुरस्कार के स्थापक, प्रसिद्ध विद्वान् डॉ० सुशील जैन, डॉ० सौरभ जैन ने २४ नवम्बर २००८ को अपने नये भवन 'सर्वतोभद्र' 6 / 81 आवास विकास, कचहरी रोड में गृह प्रवेश किया । इस उपलक्ष्य में 11000/- की दान की भी घोषणा की गई जो विभिन्न तीर्थों व पत्र पत्रिकाओं को प्रेषित की गई जिसमें से रूपये 100 की राशि 'जिनभाषित' को भी प्राप्त हुई है। धन्यवाद । डॉ० सुशील जैन का पत्र व्यवहार का पता पूर्व की भाँति ही रहेगा। For Private & Personal Use Only डॉ० स्वाती जैन जैन नसिंग होम सिटी पोस्ट ऑफिस के सामने मैनपुरी (उ.प्र.) जनवरी 2009 जिनभाषित 23 www.jainelibrary.org
SR No.524335
Book TitleJinabhashita 2009 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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