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________________ बालिकाओं के लिये सर्वसुविधायुक्त शिक्षा केन्द्र ज्ञानोदय | की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं की सूची से देश-विदेश के विद्यापीठ 'प्रतिभा स्थली' आदि का विवरण वेबसाइट | हर उम्र के श्रद्धालुओं के लिये उनकी पसंद की सामग्री की थाती है। उपर्युक्त सभी संस्थाएँ वेबसाइट की | पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सहयोगदाता है। इन संस्थाओं को दुनिया के किसी भी | वेबसाइट पर सुझाव तथा उपयोगी जानकारी जो भाग से जो भी आर्थिक सहयोग देना चाहता है, वह | भी प्रदान करना चाहे, स्वागत है। वेबसाइट पर दिये गये इन संस्थाओं के बैंक अकाउंट इनामी क्विज-इसी वर्ष जून महीने से जैनधर्म में डायरेक्ट जमा कर सकता है। की इस अनोखी वेबसाइट से एक अभिनव पहल प्रश्न वर्तमान दिगम्बर जैनसंतपरम्परा में आचार्य | प्रतियोगिता (जैन इनामी क्विज) ऑन लाइन प्रारंभ की विद्यासागर जी के द्वारा दीक्षित शिष्यों की संख्या | गई है। घोषणा अनुसार 50 विजेताओं को पुरस्कृत किया सर्वाधिक 279 है, जो सभी अनुशासित और बालब्रह्मचारी | गया। इसी वर्ष जुलाई में 100 विजेताओं को इनाम प्रदान हैं। वर्तमान युग के महान् संत चारित्रचक्रवर्ती आचार्य | किये जावेंगे। प्रतियोगी वेबसाइट में उपलब्ध जानकारी श्री शांतिसागर जी तथा उनकी शिष्य परम्परा में दीक्षित | के आधार पर दिये गये प्रश्न के चार उत्तर में से एक आचार्य श्री वीरसागर जी, आचार्य श्री शिवसागरजी, आचार्य | सही जवाब को चिह्नित करता है। चालू साल में ही श्री ज्ञानसागरजी तथा इन्हीं के द्वारा दीक्षित-शिक्षित आचार्य | वेबसाइट की सम्पूर्ण जानकारी को यूनिकोड में परिवर्तित श्री विद्यासागर जी हैं। कर दिया गया है। जिससे कम्प्यूटर पर हिन्दी में वेबसाइट देश-विदेश में ऐसे जैन परिवार बहुतायत में हैं | सहजता से खुल रही है। समय के साथ परिवर्तित हो जिनके बच्चे मंदिर और धर्म से अनभिज्ञ हैं, जिन्हें | रही इस वेबसाइट को नई तकनीक से अपडेट करने, धर्मसंबंधी प्राथमिक जानकारी तक भी नहीं है। उन सभी | सजाने, सँवारने व बनाने का सम्पूर्ण श्रेय भारत के पहले का ध्यान रखते हुए वेबसाइट पर दस धर्म, पाँच कल्याणक, | बहुभाषी इंटरनेट पोर्टल वेबदुनिया डॉट कॉम को जाता भक्तामरपाठ, मेरी भावना, निर्वाणकाण्ड, आलोचनापाठ, | है, जिसके योगदान के कारण नये रंगरूप में यह निरन्तर भजन, आरती और धर्म की शिक्षा संबंधी जानकारी प्रस्तुत | यूजर्स को आकर्षित कर रही है। वेबदुनिया कम्पनी के की गई है। वेबसाइट में कर्नाटक के श्रवणबेलगोला स्थित | प्रेसिडेंट एवं मुख्य परिचालन अधिकारी श्री पंकज जैन भगवान् बाहुबली, राजस्थान के अतिशयकारी भगवान् | तथा उनकी सहयोगी टीम की सेवाओं की जितनी महावीर की तथा बडवानी (म.प्र.) में स्थित प्रथम तीर्थंकर सराहना की जाये कम है। भगवान् ऋषभदेव की प्रतिमाओं के संग्रहणीय चित्र तथा सम्पर्क- 22, जॉय बिल्डर्स कॉलोनी वीडियो भी हैं। सिद्धक्षेत्र, अतिशय क्षेत्रों के साथ समाज | (रानीसती गेट के अंदर) इन्दौर- 452 003 ( डॉ० चीरंजीलाल बगड़ा को शाकाहार मशाल वाहक उपाधि से सम्मान कोलकाता। समस्त भारत में शाकाहार अहिंसा एवं जीवदया के लिए समर्पित समाजसेवी ६२ वर्षीय डॉ० चीरंजीलाल बगड़ा के सम्मानों की श्रृंखला में एक और महत्त्वपूर्ण कड़ी जुड़ने से शाकाहारप्रेमी समाज में हर्ष है। कोलकाता के प्रख्यात संत जेवियर्स कॉलेज से शिक्षा प्राप्त कर डॉ० बगड़ा जी ने १९९५ में शाकाहार पर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (यूएसए) से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वेजीटेरियन गाईड, दिशाबोध आदि पत्रिकाओं के माध्यम से आपने अपनी लेखनी से समाज को नई दिशा एवं चिन्तन प्रदान किया है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में शाकाहार सम्बन्धित आपके आलेख प्रमुखता से प्रकाशित होते रहे हैं। समस्त अहिंसा प्रेमियों को एक मंच पर लाकर संगठित रूप से शाकाहार जीवदया हेतु कार्ययोजना को अंजाम देने हेतु आपने फेडेरेशन ऑफ अहिंसा आर्गेनाईजेशन की स्थापना की है। आपकी साहित्यिक रचनायें भी साहित्य-जगत में सराही गई हैं। अंग्रेजी और हिन्दी में प्रकाशित आपकी कृतियाँ वेजीटेरियनिज्म एण्ड जैनिज्म, डेयरी मिल्क १०० फैक्ट्स, इन्डियन कैटल वेल्थ, वेजीटेरियनिज्म इन लाईफ, मिथ्स ऑफ प्लानिंग कमीशन, गाय१०० तथ्य, मेरे सपने, बुजुर्ग घर की थाती आदि पुस्तकें साहित्य-जगत् की अनमोल कृतियाँ हैं। आपने अपनी विदेश यात्राओं में अनेकों सेमिनारों में भाग लेकर अहिंसा शाकाहार पर रिसर्च पेपर पढ़े हैं। अजीत पाटनी, कोलकाता 24 दिसम्बर 2008 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524334
Book TitleJinabhashita 2008 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2008
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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