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________________ रेलों के 'खान-पान' पर छापेमारी के आदेश . | विदेश में ऐतिहासिक धर्म प्रभावना रेल के रसोईयान में शाही पनीर, आलू-मटर आदि | श्री दिगम्बर जैन ऐसोसियन लंदन द्वारा 4 अगस्त से सब्जियों को लजीज बनाने के लिए चिकन, मटन और अंडे | 9 अगस्त 2006 तक श्री महावीर स्वामी जिन बिम्ब की ग्रेवी मिलाई जा रही है। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित था, जो अपूर्व रेलवे में खान-पान की जाँच के लिए हाईकोर्ट द्वारा | धर्म प्रभावना के साथ सानंद सम्पन्न हुआ। गठित एक विशेष कमेटी की रिपोर्ट में खाने की गुणवत्ता को श्री दिगम्बर जैन विसा मेवाड़ा ऐसोसियेसन लंदन बेहद घटिया बताया गया है। इस रिपोर्ट को बेहद गंभीर | (यू.के.) के अन्तर्गत श्री पार्श्वनाथ चैत्यालय हेण्डन लंदन मानते हुए हाई कोर्ट ने उक्त कमेटी को देश भर की रेल | की श्रीमती पुष्पा जैन, कलरैया के आग्रह पूर्ण आमंत्रण पर कैंटीनों और रसोईयानों पर छापे मारने का निर्देश दिया है। भारतवर्ष से कोलकाता के प्रतिष्ठाचार्य पं. कमलकुमार जैन इसकी विस्तृत रिपोर्ट चार हफ्ते में दाखिल करने को कहा | पर्युषण पर्व एवं दशलक्षण महापर्व पर जैनधर्म की मंगल गया है। यह आदेश कार्यवाहक चीफ जस्टिस विजेंद्र जैन | प्रभावना हेतु पधारे थे। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिया। इस संबंध में वकील | सभी कार्यक्रमों में भी आपकी पूर्ण सहभागिता रही। श्री वरुण गोस्वामी की ओर से एक जनहित याचिका दाखिल श्रीमती पुष्या जैन कलरैया की गई थी, जिसमें रेलवे में खाने की गुणवत्ता पर सवाल 25, शनि गार्डन रोड, हेण्डन लंदन, (यू. के.) उठाए गए थे। ___ 'नई दुनिया' इन्दौर तृतीय पाठशाला शिक्षक प्रशिक्षण एवं संगोष्ठी 21 जुलाई 2006 से साभार शाहपुर में सानंद संपन्न आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्य मुनि श्री निर्णय वर्षों की मेहनत बेकार न जाए सागर जी एवं श्री आगम सागर जी महाराज के तत्त्वावधान स्टासबर्ग विश्वविद्यालय के प्रो. लई पाश्चर ने कत्ते | में संगोष्ठी समारोह का आयोजन हुआ। सत्र की शुरुआत 15 के काटने के इलाज की खोज की। वे विश्वविद्यालय के ही | अगस्त से हुई। प्रथम दो दिन 15 एवं 16 अगस्त के प्रथम एक अधिकारी की बेटी को पसंद करते थे और उससे | सत्र में मुनि श्री निर्णय सागर जी ने तथा द्वितीय सत्र में मुनि विवाह करना चाहते थे। लड़की और उसके माता-पिता की | श्री आगम सागर जी ने प्रशिक्षण दिया। ओर से विवाह को मंजूरी मिल गई। निश्चित समय पर मित्र | मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज ने 72 पाठशालाओं व संबंधी चर्च पहुँच गए, लेकिन पाश्चर नहीं पहुँचे। कुछ | के 350 प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण देते हुए कहा “आप जब लोग खुसर-फुसर करने लगे कि शायद पाश्चर विवाह नहीं | भी पाठशाला में प्रवेश करेंगे तब आपको पूर्ण अनुशासित करेगा। इतने में एक मित्र पाश्चर की प्रयोगशाला में गया, तो | ढंग से आना पड़ेगा क्योंकि पूरी समाज की दृष्टि आपको देखा कि वे प्रयोग करने में अत्यंत व्यस्त थे। मित्र बोला, | देख रही होगी, उनकी दृष्टि आपके पढ़ाने के ढंग को देख 'यार हद हो गई, आज तो तुम्हारा विवाह है, चर्च में तुम्हारा | रही होगी। आपका अनुशासन ही उनको अनुशासित कर इन्तजार हो रहा है। बन्द करो यह प्रयोग, यह तो बाद में भी | जीवन को महका सकता है।" हो जाएगा।' पं. राजेन्द्र कुमार पाश्चर ने उसकी ओर देखे बिना ही कहा, 'जरा शाहपुर-गनेशगंज, सागर (म.प्र.) रुको। कई दिनों से मैं जो प्रयोग कर रहा था उसके परिणाम डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन निकल रहे हैं। ऐसा न हो कि मेरी वर्षों की मेहनत बेकार हो पं. बंशीधर जी व्याकरणाचार्य व्यक्तित्व एवं कृतित्व जाए।' पाश्चर अपना प्रयोग पूरा करने के बाद ही चर्च के राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न अ. भा. दि. जैन विद्वत्परिषद के तत्वाधान एवं परम लिए रवाना हुए। उनकी शादी भी खूब धूमधाम से सम्पन्न हुई। लेकिन महान कार्य यं ही परे नहीं होते उन्हें करने के | पूज्य सराकोद्धारक, उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज, लिए जरूरत पड़ने पर अपनी सर्वाधिक प्रिय व्यक्तिगत आर्यिका रत्न श्री दृढमति माता जी (ससंघ) एवं क्षु. श्री इच्छाओं को भी किनारे करना होता है। सहजसागर जी महाराज के सान्निध्य में पं. वंशीधर जी क्ष. श्री समर्पणसागर | व्याकरणाचार्य व्यक्तित्व एवं कृतित्व राष्ट्रीय संगोष्ठी श्री -अक्टूबर 2006 जिनभाषित 29 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.524310
Book TitleJinabhashita 2006 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2006
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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