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________________ को भूखे भेड़ियों का भोजन कहा। इसी रिओ सम्मेलन में तत्कालीन | एसिड कम होता है, जबकि मांसाहारी में यह दस गुणा अधिक भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जब प्रेस साक्षात्कार में | होता है। शाकाहारी की लार क्षारीय होती है और मांसाहारी की भारत के बैल-युग के बारे में पूछा तो उनका उत्तर था कि भारत | अम्लीय। अत: इस वैज्ञानिक संरचना से भी यह सुस्पष्ट है कि में लाखों करोड़ों के नियोजन से प्राप्त ऊर्जा से अधिक ऊर्जा .| मनुष्य प्रकृति से शाकाहारी है। आज भी भारत में पशु ऊर्जा से प्राप्त होती है। पर्यावरण के | संसार के सर्वाधिक शक्तिशाली जानवर हाथी, शक्ति का दूषित होने की समस्या हिंसा से जुडी है। बिना दूसरे प्राणिओं मानक घोड़ा, बलिष्ठ पशु गैंडा सर्वाधिक उपयोगी एवं दूध के वध किए मांस प्राप्त नहीं हो सकता है। संसार का हर प्राणी देनेवाली गाय एवं भैंसें सब पूर्ण शाकाहारी पशु हैं। अमेरिका के जीना चाहता है। जब हम किसी को जीवन दे नहीं सकते हैं, तो हारवर्ड मेडिकल स्कूल के डॉ. ए. वाचमैन एवं जीवन समाप्त करने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। डॉ.डी.एस.बर्नस्टीन ने अपनी खोजों से यह निष्कर्ष दिया है कि शाकाहार का अर्थ है- हर धड़कन का सम्मान। शाकाहार में जिनकी हड्डियाँ कमजोर हों, उन्हें मांसाहार छोड़कर शाकाहार, दसरों को द:ख पहँचाकर पेट भरने के लिए कोई स्थान नहीं है। | अधिक सब्जियाँ प्रोटीन एवं दध का सेवन करना चाहिए। तभी तो जार्ज बर्नाड शॉ ने कहा था, "मेरा पेट कब्रिस्तान नहीं चिकित्सकों का यह मानना है कि कैंसर, रक्तचाप, है, जहाँ मृत पशुओं को दफन किया जा सके।" वात, ह्रदय रोग, डायबिटीज तथा अधिकांश आधुनिक बीमारियाँ लम्बी आयु, निरोगी काया, शाकाहार की ऐसी माया। शाकाहारी की अपेक्षा मांसाहारी को होने की संभावना बहुत शाकाहार से ही मनुष्य पूर्ण एवं लम्बी आयु सरलता से पा अधिक रहती है। कारण, शाकाहार में कोलेस्ट्रॉल कम एवं वसा सकता है। जापान में किए गए अध्ययनों से ज्ञात होता है कि अधिक पाया जाता है, जबकि मांसाहार में कोलेस्ट्रॉल अधिक शाकाहारी न केवल स्वस्थ एवं निरोग रहते हैं अपितु दीर्घजीवी एवं रसा शून्य है। अत: अमेरिका,इग्लैंड में डाक्टर रोग से भी होते हैं और उनकी बुद्धि भी अपेक्षाकृत कुशाग्र होती है। छुटकारा पाने के लिए शाकाहारी भोजन अपनाने की सलाह देते बाइबिल में लिखा है- तुम यदि शाकाहार करोगे, तो तुम्हें | हैं। लंदन से बी.बी.सी. टेलीविजन द्वारा सप्ताह में एक अण्डे से जीवन-ऊर्जा प्राप्त होगी; किन्तु यदि तुम मांसाहार करते हो, तो अधिक सेवन न करने की जनता को सलाह दी जाती है। वह मृत आहार तुम्हें भी मृत बना देगा। इंग्लैड की वेजीटेरियन सोसायटी, जिसकी स्थापना 1847 रोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में फाइबर का बड़ा | में हुई थी तथा जिसकी सभाओं की शोभा जार्ज बर्नार्ड शॉ और महत्व है। मांसाहार में फाइबर बिल्कल नहीं (शन्य) होता है. | महात्मा गांधी जैसे विश्वविश्रुत महामानव बढ़ाते थे, यूरोप की जबकि शाकाहारी खाद्यान्न में फाइबर (दाल या अनाज का सर्वाधिक प्राचीन शाकाहारी संस्था है। इसने शाकाहार शब्द को ऊपरी छिलका) के साथ संतुलित आहार के सभी तत्व जैसे व्यापक अर्थ दिया। सम्पूर्ण, निर्दोष, स्वस्थ, ताजा और जीवन्त प्रोटीन, वसा,कार्बोहाइड्रेट, खनिज-लवण, विटामिन आदि भी आहार यानी शाकाहार एक निर्दोष एवं सम्पूर्ण आहार है, जो सुलभता से प्राप्त हो जाते हैं। वनस्पति, अनाज, दालें, दूध,फल व्यक्ति को स्वस्थ,ताजा और जीवन्त बनाए रखता है। .. एवं सब्जियों में प्रचुर मात्रा में इनका समावेश है। अपने दैनंदिन कार्य हेतु एक व्यक्ति को जितनी ऊर्जा जरूरी होती है, वह इस प्रकार शाकाहार मानवीय अस्मिता का दीप-स्तंभ शाकाहार में सहज ही सुलभ हो जाती है तथा वह भी काफी | है। शाकाहार मानव को प्रकृति का अनुपम उपहार है। यह किफायती कीमत पर। जीवन-मूल्यों का स्वर्ण-किरीट है। शाकाहार संयम का अमृत | पाथेय और सर्वमान्य, निरापद एवं समृद्ध आहार है। आज सम्पूर्ण सृष्टि में एक भी ऐसा व्यक्ति मिलना कठिन है आवश्यकता है हमें जनमानस में इस विश्वास को गहरे बैठाने की जो मात्र मांसाहार पर जीवन-यापन करता हो, जबकि ऐसे कि ऐसी राजनीति जो मांस की खपत को बढ़ावा दे, मांसकरोडों व्यक्ति हैं जो जीवनपर्यंत सिर्फ शाकाहार पर स्वाभाविक निर्यात को प्रोत्साहन दे, एक विषकन्या की तरह है। ऐसे में रूप से जीवनयापन करते हैं। अर्थात् शाकाहार अपने में संपूर्ण आज मांसाहार की वीभत्सता एवं बहु-आयामी नुकसान को संतुलित आहार है। उजागर करने एवं शाकाहार को विश्वमंच पर पूर्ण स्थापित कर मानव की शारीरिक रचना भी शाकाहार के ही अनकल प्रमख आहार के रूप में महिमामण्डित करने हेत वैचारिक है। मानव के दांत,आंत, नाखून, जीभ, शक्ति सभी मांसाहारी क्रांति की परम आवश्यकता है। प्राणी से भिन्न हैं । शाकाहारी को पसीना आता है, मांसाहारी को 46,स्ट्रॉण्ड रोड, तीन तल्ला, कोलकाता-700007 नहीं आता है; क्योंकि शाकाहारी के अंगों में हाइड्रोक्लोरिक अगस्त 2005 जिनभाषित 23 मान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524299
Book TitleJinabhashita 2005 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2005
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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