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सुधासागर जी महाराज ने अपना शुभाशीर्वाद प्रदान किया और । विद्वत्परिषद् पुरस्कार (राशि.५१०१ रू.) शाल, श्रीफल एवं कहा कि जैन समाज में विद्वानों की दो ही परिषदें मान्य हैं। १. | प्रशस्तिपत्र के साथ क्रमश: वर्ष २००३ एवं २००४ के लिये प्रदान अ.भा.दि. जैन शास्त्री परिषद् एवं 2. श्री अ.भा.दि. जैन | किये गये। इसी तरह गुरूवर्य गोपालदास वरैया स्मृति विद्वत्परिषद विद्वत्परिषद्। आगे भी यही मान्य रहेंगी क्योंकि इनकी आस्था | पुरस्कार (राशि ५१०१रू, शाल श्रीफल, प्रशस्तिपत्र के साथ) श्रमण संस्कृति में है। इन्होंने देव, शास्त्र, गुरु के विरुद्ध कोई | वर्ष २००३ के लिए श्रीमती डॉ. राका जैन (लखनऊ) को उनकी आचरण नहीं किया। पूज्य मुनिश्री ने विद्वानों के प्रति एक आदर्श | शोधकृति 'जीवन्धर चम्पू सौरभ' पर एवं वर्ष २००४ के लिये यह आचार संहिता भी बताई और परिषद् पदाधिकारियों को निर्देश पुरस्कार डॉ. अशोक कुमार जैन (लाडनूं) को उनकी शोधकृति दिया कि वे इसका कड़ाई से पालन समस्त सदस्यों से करवायें। | 'महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज का दार्शनिक अवदान' सम्पूर्ण गुजरात में यह अपनी तरह का प्रथम आयोजन था जिसमें | पर प्रदान किया गया। इस अवसर पर डॉ. राका जैन को 'अपूर्व इतनी अधिक संख्या में विद्वान सम्मिलित हुए। सूरत समाज के सौजन्य से सभी विद्वान श्री दि. जैन अतिशय क्षेत्र महुवा जी गये | उपाधि से सम्मानित किया गया। पुरस्कार समारोह का संचालन और भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन किये।
पुरस्कार समिति के संयोजक डॉ. जय कुमार जैन (मुजफ्फर प्रस्ताव पारित -
नगर) ने किया। इस अवसर पर परस्पर विचार-विमर्श पूर्वक श्री गिरनार प्रतिष्ठाचार्य प्रकोष्ठ की बैठक दि. जैन तीर्थ क्षेत्र को अतिक्रमणकारियों (पंडों एवं बाबाओं) से | अधिवेशन की श्रृंखला में विद्वत्परिषद्-प्रतिष्ठाचार्य प्रकोष्ठ' मुक्त कराकर जैनों को परम्परागत संविधान प्रदत्त पूजा अर्चना का | की बैठक डॉ. नेमिचन्द्र जैन (खुरई) की अध्यक्षता, डॉ. फूलचन्द्र अधिकार दिलाने की केन्द्रीय भारत सरकार एवं गुजरात प्रांतीय जैन 'प्रेमी' के मुख्यातिथ्य एवं पं. विनोद कुमार जैन (रजबांस) सरकार से मांग की गई। जैन संस्कार शिक्षण शिविरों हेतु संयोजन | के संयोजकत्व में संपन्न हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि सभी एवं सहयोग प्रदान करने, कहानपन्थ एवं व्यक्तिनिष्ठ संस्थाओं के विद्वान विधि-विधान, प्रतिष्ठा आदि कार्यों में एकरूपता अपनायें। प्रति निकटता रखने वाले तथा उनकी सदस्यता रखने वाले | इस हेतु प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने का भी निर्णय लिया विद्वत्परिषद् सदस्यों से उक्त संस्थाओं को छोड़ने अथवा विद्वत्परिषद् | गया। छोड़ने, विभिन्न प्रदेशों में कार्यरत स्थानीय संस्थाओं-नगरपालिका | पुरस्कारों के लिये आजीवन राशि देने की घोषणा आदि से मार्केटिंग नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए खुले श्री अ.भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् द्वारा प्रतिवर्ष दिये जाने आम मांस अंडा आदि की विक्री को प्रतिबंधित करने-दिगम्बर | वाल पू.क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति विद्वत्परिषद पुरस्कार एवं जैन मंदिरों में प्राप्त आय से प्रतिवर्ष 1 मल ग्रंथ प्रकाशित करने तथा | गुरुवर्य गोपाल दास वरैया स्मृति पाठशालायें संचालित करने, विद्वत्परिषद् प्रतिष्ठाचार्य प्रकोष्ठ के आचार्य श्री ज्ञानसागर जी पुरस्कार (आचार्य ज्ञान सागर वागर्थ विद्वानों को पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं विधानादि के निर्देशन हेतु विमर्श केन्द्र, व्याबर से प्रदत्त)की राशि प्रत्येक वर्ष पुरस्कार आमंत्रित करने जिन मंदिरों में उसकी स्थापनाकाल में जो पूजन | समर्पण समारोह प.पू. मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज के पद्धति चलती थी उसे चलने देने, गुजरात प्रांतीय सरकार द्वारा सान्निध्य में आयोजित करने पर श्री राजेन्द्र नाथूलाल जैन मेमोरियल संस्कृत-प्राकृत विश्वविद्यालय स्थापित करने विद्वत्परिषद् के सुयोग्य | चैरिटेबल ट्रस्ट सूरत द्वारा प्रदान किये जायेंगे। इस आशय की विद्वानों से प्रकाशन पूर्व पुस्तकें संपादित करवाने,संस्कार शिविरों घोषणा ट्रस्ट की ओर से श्रीमति मुन्नी देवी, श्री ज्ञानेन्द्र जैन, श्री के आयोजन, पत्रकार प्रकोष्ठ की स्थापना कर उसे सुद्दढ़ बनाने, संजय जैन एवं श्री नीरज जैन (अजमेर वालों) ने की। विद्वानों ने 'अनेकान्त' पत्रिका में प्रकाशित इतिहास और पुरातत्व संबंधी | उक्त महानुभावों का शाल, श्रीफल पुष्पहार आदि से सम्मान किया लेखों को संकलित कर प्रकाशित करने जैनेतर पत्र-पत्रिकाओं एवं | गया। टी.वी. आदि में जैन धर्मानुकूल विचारों के प्रकाशन एवं प्रसारण | | अधिवेशन में विद्वानों द्वारा लिखित. ११ शोध प्रबंधों के हेतु प्रयास करने आदि निर्णय प्रस्ताव के रूप में पारित किये गये। प्रकाशन का दायित्व श्री सकल दिगम्बर जैन समाज सूरत ने ग्रहण जिन्हें विद्वान सदस्यों तथा समाज के सहयोग से पूरा किया | | किया। इस अवसर पर पूर्व में दिवंगत पं. पूर्णचन्द्र जैन 'सुमन' जायेगा। अधिवेशन का संचालन डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन (मंत्री - (दुर्ग) प्रो. के.के.जैन (बीना), श्री राजेन्द्र कुमार जैन (व्याबर) श्री आ.भा.दि.जैन विद्वत्परिषद) ने किया।
एवं साहूरमेशचन्द्र जैन (दिल्ली) आदि के निधन को अपूरणीय पुरस्कार समर्पण
क्षति बताते हुए हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। अधिवेशन के मध्य डॉ. नेमिचन्द्र जैन (खुरई) एवं प्रा.
डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन अरूणकुमार जैन (व्यावर) को क्रमशः जिनशासन सेवी एवं
मंत्री- श्री अ.भा.दि.जैन विद्वत्परिषद्
एल-६५, न्यू इन्दिरा नगर, बुरहानपुर (म.प्र.) व्याकरणमर्मज्ञ उपाधि के साथ पू.क्षु. गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति
• नवम्बर 2004 जिनभाषित 31
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