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________________ होगा। नहीं है, तो कभी भी नहीं होगा। हाँ, यदि मान लो आप लोग हजारों रुपये गिन रहे हैं। नोट वगैरह गिनते गये, एक दृष्टि पड़ गई, नोट निकाला, आकार, रंगरोगन वजन, आजू-बाजू एक से हैं, लेकिन पूरा नहीं है, जाली नोट कहलायेगा। अंधकार में तो चल जायेगा। जल्दी-जल्दी में गिन जायेगा। लेकिन जैसे ही दृष्टि गई, जाली नोट, कहाँ से आया, धोखा है। इसी प्रकार गुण धर्म के अभाव में वेष, वहाँ अंधकार में जो चल सकता है। जहाँ पर जिनवाणी का प्रकाश है वहाँ पर चल नहीं सकता। कुछ ही समय में वह पकड़ में आ जायेगा। इस उदाहरण को आप याद रखियेगा । नहीं समझे। धोखे में नहीं रहना । अपने दाम को, कहीं खोटा तो नहीं, हमेशा-हमेशा देखते रहना। जब तक विवेक नहीं होता । 'बिन जाने तें दोष गुनन को कैसे तजिए गहिए'। दोष और गुण की पहचान होना पहले आवश्यक है । कच्चा माल अलग है और पक्का माल अलग है। कच्चा मालपक्का माल गट्टपट्ट नहीं कर सकते। लेकिन आस्था और भय दो वस्तु होती हैं, भय के कारण मानो कहेंगे, तो मान लेंगे, क्योंकि मंत्र तंत्र के कारण भी बहुत जल्दी गृहस्थ लोग डर जाते हैं। कहीं अभिशाप न मिल जाये। ध्यान रखो, जब भगवान का हम लोगों के ऊपर वरदहस्त है, कौन है वे अभिशाप देने वाले । दे दें तो बहुत अच्छी बात है । आपका यह समाज शांतिसागर महाराज के उपदेश को इस आशय के साथ लेता है। उनका आश्य ऐसा नहीं था, यही एकमात्र विश्वास है । आप लोगों को लगता हो तो एक घंटे का प्रवचन है, इसको मत स्वीकारो, नहीं महाराज, यही आशय ठीक था, उन्होंने यही बात कही है। इस प्रकार के अपदस्थ व्यक्ति को 'यदीय प्रत्यनीकानि भवन्ति भव पद्धति ।' बिल्कुल डंके की चोट के साथ समन्तभद्र महाराज ने कही है। सम्यग्दर्शन, सम्यज्ञान, सम्यक्चारित्र कैलिफोर्निया । पशुओं के साथ क्रूरता से पेश आने वाले लोगों को अदालत के इस फैसले से सबक लेना चाहिए। कैलिफोर्निया की एक अदालत जर्मन शेफर्ड कुत्ते का सिर धड़ से अलग करने वाले शख्स को 25 साल कैद की सजा सुनाई है। जेम्स एबर्नेथी पर जून में पशुओं के साथ क्रूरता से पेश आने का आरोप लगा था। उसने प्रेमिका से अनबन होने पर अपने कुत्ते को मार डाला था। जेम्स ने अपनी प्रेमिका के नाम पर कुत्ते का नाम मैरी रखा था। इस मामले में उसे अधिकतम छह वर्ष की कैद की सजा सुनाई जाती। लेकिन 1986 में जेम्स पर घातक हथियारों से हमला करने के दो आरोप लगे थे। इस वजह से अदालत 10 अक्टूबर 2004 जिनभाषित Jain Education International गुण हैं और उन गुणानुरूप ही वेष, लिंग होना चाहिए, तभी उस लिंग की पूजा होती है। नहीं तो वह लिंग एक प्रकार से पूज्य नहीं माना जाता है। हां, अकरने योग्य नहीं करते हैं, तो वह वेष तो वेष माना जाता है। बिना आधार, दीक्षा के संस्कार देना अथवा क्षुल्लक बना करके पुनः वस्त्रधारी भट्टारक जो वर्ममान में विकृत रूप, एक क्षुल्लक को साफा बाँध दो, ये ठीक लगता है। क्या, साफा बाँधकर क्षुल्लक आ जाएं तो आप पड़गाहन करोगे क्या? नहीं करेंगे। इच्छामि बोलोगे, पाद प्रक्षालन करोगे क्या? नहीं करेंगे। अर्घ चढ़ाओगे क्या? नहीं। और यह हो रहा है, प्रतिदिन हो रहा है। परिपाटी कहाँ से हुई, ये विषय अलग है, आज का विषय यह नहीं है। आप अध्ययन करिए, पढ़िए और जो समर्थन करते हैं, जा करके इन प्रश्नों के साथ, जिज्ञासा के साथ, पूछ लीजिए। हमारे पास जब कभी भी आए, हमने रखे और उन्होंने इसको स्वीकार किया, लेकिन महाराज बुहत दिन से चल रहा है, बहुत अच्छी बात आप निभा रहे हैं। लेकिन इसका समर्थन नहीं कर सकता। जहाँ पर चल जाये इस प्रकार का नोट आप ले जाओ। माल दे दो और खोटा नोट ले लो। धर्म बहुत कठोर है, तो बहुत नरम भी है। धर्म आत्मा का स्वाभाव है, लेकिन विभाव जब तक दूर नहीं होता, तब तक स्वभाव का दर्शन नहीं होता। इसलिए 'चित्स्वभावाय भावाय सर्वभावन्तरच्छिदे ।' कुत्ते को मारने पर 25 साल की कैद ने उसे 25 वर्ष की कैद की सजा सुनाई है। सरकारी वकील हीथरी ब्राउन ने कहा कि अदालत के इस फैसले से लोग खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। बचाव पक्ष के वकील ने अदालत से कहा कि जेम्स सिजोफ्रेनिया व साइकोटिक डिल्यूजंस का मरीज है। इसलिए इसकी सजा की अवधि घटा दी जाए। इस पर जज ने कहा कि अपराध के वक्त वह दिमागी तौर पर स्वस्थ और संतुलित था। अदालत ने कहा कि पैरोल पर रिहा होने से पहले उसे 20 वर्ष जेल में ही गुजारने होंगे। ( अमर उजाला, 10 अक्टूबर 2004 ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524290
Book TitleJinabhashita 2004 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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