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________________ कर कमलों से सम्पन्न हुआ। चातुर्मास के प्रथम चरण में | प्रवचन-सुधा आदि कृतियों का विमोचन किया गया। यहाँ मुनि श्री समतासागर जी महाराज प्रतिदिन सुबह 8.30 से | उल्लेखनीय है कि मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज का 9.30 तक जागरण प्रवचन माला के माध्यम से 15 दिन | पावन वर्षायोग इस वर्ष विद्यापुरम् रतनबाग, पारले पाईन्ट, तक विभिन्न विषयों पर विस्तार से प्रवचन दे रहे हैं। । सूरत-395007, गुजरात में हो रहा है। प.पू. मुनि श्री सुधासागर जी का पावन वर्षायोग डा. सुरेन्द्र जैन भारती साहित्याचार्य (डॉ.) पन्नालाल जैन परमपूज्य दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी संस्थान का शुभारंभ महाराज के योग्यतम सुशिष्य, ज्ञानगंगा के भागीरथ प्राचीन धरोहरों के प्रबल संरक्षक एवं प्रकाशक, पुरातत्त्वविद्, परम पूज्य आचार्य प्रवर 108 श्री विद्यासागर जी महाराज वास्तुमर्मज्ञ, आध्यात्मिक सन्त पूज्य मुनिपुंगव 108 श्री का आशीर्वाद प्राप्त कर संस्थान के संस्थापक श्री ब्र. प्रदीप जैन शास्त्री 'पीयूष' के सानिध्य में संस्कारधानी जबलपुर सुधासागर जी महाराज, पूज्य क्षुल्लक 105 श्री गंभीरसागर में दिनांक 20 जुलाई 2004 को संजीवनी नगर में जी महाराज, पूज्य क्षुल्लक 105 श्री धैर्यसागर जी महाराज साहित्याचार्य (डॉ.) पं. पन्नालाल जैन संस्थान का शुभारंभ एवं ब्र. संजय भैया का मंगलमय पावन वर्षायोग विद्यापुरम किया गया। इस संस्थान में त्यागीव्रती एवं बह्मचारी भाइयों (रतनबाग), श्री 1008 चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मन्दिर जी के व समाज के छात्रों को अध्ययन व आवास की सुविधा पास, पारले पोईन्ट, सूरत- 395007 (गुजरात) में सम्पन्न उपलब्ध कराने की समुचित व्यवस्था की गई है। हो रहा है। सम्पर्क सूत्र-ओमप्रकाश जैन 2226098 राकेश जैन, जबलपुर कमलेश बी. गांधी 9824511816 बच्चों को संस्कारित नहीं किया तो मंदिरों के प.पू. मुनि श्री प्रमाणसागर जी का पावन वर्षायोग ताले खोलने वाले नहीं मिलेंगे विन्ध्य क्षेत्र की नगरी सतना में पूज्य मुनि श्री प्रमाणसागर उक्त मार्मिक उद्गार सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठाचार्य पं. गुलाबचंद जी महाराज एवं बालब्रह्मचारी श्री अशोक भैया का पावन 'पुष्प' ने अपने अध्यक्षीय भाषण में व्यक्त किए। 'पुष्प' वर्षायोग श्री दयानन्द सरस्वती भवन, अहिंसा चौक सतना, जी ज्ञानसागर गुरूकुल (बरनावा) के तृतीय स्थापना दिवस (फोन : 507135) में सम्पन्न हो रहा है। पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि श्री अ.भा. दि.जैन विद्वत्परिषद् के तत्त्वावधान में | 'आज गजरथ की नहीं ज्ञानरथ की आवश्यकता है। समारोह 12वीं राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी का आयोजन के प्रारंभ में डॉ. कपूरचंद जैन (खतौली) ने गुरूकुल की गतिविधियां बताते हुए कहा यह हर्ष का विषय है कि दो सूरत (गुजरात) में परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर वर्ष की अल्प अवधि में ब्र. अतुल जी ने गुरूकुल का भवन जी महाराज के सुयोग्य शिष्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी तैयार कर लिया आज यहां लगभग 30 विद्यार्थी अध्ययनरत महाराज, क्षुल्लक श्री गम्भीरसागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री धर्मसागर जी महाराज के पावन सानिध्य एवं श्री अखिल हैं जिनकी भोजन आदि की व्यवस्था पूर्णतः निशुल्क है। भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद के तत्त्वाधान में दि. डॉ. जयकुमार जैन (मुजफ्फरनगर) ने गुरूकुल के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। डॉ. ज्योति जैन (खतौली) ने बच्चों को 23 से 25 अक्टूबर 2004 तक त्रिदिवसीय श्रावकाचार संस्कारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। समारोह संग्रह-अनुशीलन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया का सफल संचालन ब्र. जय निशांत जी ने किया। है। इस विद्वतसंगोष्ठी के संयोजक डा. शेखरचन्द जैन अहमदाबाद एवं डा. अशोक कुमार जैन लाडनूं तथा त्रि-दिवसीय पाठशाला संगोष्ठी व्यवस्थापक श्री शैलेष कापड़िया सूरत होंगे। परमपूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के विद्वत्परिषद् के मन्त्री डा. सुरेन्द्रकुमार जैन के अनुसार | शिष्य मुनि श्री 108 निर्णयसागर जी, मुनि श्री 108 इस संगोष्ठी में देश के ख्याति प्राप्त 55 विद्वानों को आमन्त्रित अजितसागर जी, ऐलक श्री 105 निर्भयसागर जी महाराज किया गया है। इस अवसर पर श्री अखिल भारतवर्षीय का सानंद चातुर्मास चल रहा है। मुनिसंघ की प्रेरणा और दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् का वार्षिक अधिवेशन भी संभावित आशीर्वाद से जैसीनगर (सागर) में प्रथम त्रि-दिवसीय है। संगोष्ठी में मुनिसंघ एवं विद्वानों की उपस्थिति में अध्यात्म | पाठशाला शिक्षक प्रशिक्षण एवं संगोष्ठी आयोजित करने का अमृत कलश, संत गणेश वर्णी चित्रकथा विद्वद-विमर्श, सकल जैन समाज का भाव हुआ है। जैसीनगर, सागर 32 अगस्त 2004 जिन भाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524288
Book TitleJinabhashita 2004 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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