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________________ समाचार राष्ट्रीय जैन प्रतिभा सम्मान समारोह छतरपर। विख्यात जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी के परम शिष्य मनि श्री क्षमासागर जी की प्रेरणा से शरू हआ राष्ट्रीय जैन प्रतिभा सम्मान समारोह इस वर्ष म. प्र. के अशोकनगर (गुना) में 23 व 24 अक्टूबर 04 को आयोजित होगा। पूज्य मुनि श्री क्षमासागर जी एवं मुनि श्री भव्य सागर जी के सान्निध्य तथा मैत्री समूह के तत्त्वावधान में आयोजित सम्भवतः देश के इस सबसे बड़े प्रतिभा सम्मान समारोह में शामिल होने हेतु पात्र प्रतिभाओं से एक सितम्बर 04 तक निर्धारित फार्म पर प्रविष्ठियां आमंत्रित की गई हैं। मैत्री समूह के श्री देवराज जैन एवं डॉ. सुमतिप्रकाश जैन के अनुसार इस वर्ष भी कक्षा 10 वीं में 85 प्रतिशत एवं 12 वीं में 75 प्रतिशत और उससे ज्यादा अंक पाने वाले एवं खेलों में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं अपनी प्रविष्टियां निर्धारित आवेदन फार्म में भरकर एक सितम्बर 04 तक भेज दें। आवेदनपत्र श्री पी. एल. बैनाड़ा, 1/ 205, प्रोफेसर्स कालोनी, हरीपर्वत, आगरा के पते पर भेजे जा सकते हैं। इस संबंध में विस्तृत जानकारी एवं आवेदन फार्म श्री देवराज जैन, छतरपुर के फोन नं. 241741 , डॉ. सुमतिप्रकाश जैन, महाराजा कालेज, छतरपुर, फोन नं. 241386 अथवा श्री पी. एल. बैनाड़ा आगरा के फोन नं. 9837025087 से प्राप्त किए जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि वैज्ञानिक प्रबंधकीय कौशल के लिए विख्यात इस प्रतिभा सम्मान समारोह का शुभारंभ वर्ष 2001 में शिवपुरी (म.प्र.) में हुआ था। वर्ष 2002 में यह आयोजन जयपुर एवं वर्ष 2003 में रामगंज मण्डी (कोटा) में ऐतिहासिक सफलता के साथ सम्पन्न हुआ था। इन तीनों समारोहों में छतरपुर जिले की अनेक प्रतिभाएं सम्मानित हो चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि इस भव्य समारोह में छतरपुर से श्री प्रदीप जैन, इजि. सुनील जैन व राजेश वडकुल मैत्री समूह से अपनी सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे हैं। प्रेषक - डॉ. सुमतिप्रकाश जैन, बेनीगंज, छतरपुर (म.प्र.) संस्थान-समाचार किया गया। इसमें सुबह सामूहिक पूजन प्रात: 8.00 से आपको सूचित करते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है कि सांगानेर | 10.30 दोपहर 2.30 से 5.00 एवं सायं 7.30 से 10.00 की पावन-पुनीत धरा पर परम पूज्य आ. विद्यासागर जी | बजे तक समयसार, तत्त्वार्थसूत्र, छहढाला, बालबोधादि महाराज के मंगल आशीर्वाद एवं मनिपंगव 108 श्री | की कक्षाएं चलती थी। स्वयं बैनाडा जी ने समयसार का सधासागर जी महाराज की पावन प्रेरणा से 1996 में संस्थापित अध्यापन कार्य कराया जिसमें बड़ी संख्या में स्वाध्यायश्री दिग. जैन श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर के सत्र 2003-- | प्रेमियों ने भाग लिया। संध्याकालीन सत्र में सांगानेर से 2004 में विविध कक्षाओं की परीक्षा में सम्मिलित सभी पधारे विद्वानों के प्रवचनों से साधर्मियों को मार्गदर्शन मिला। 130 छात्रों ने उत्तमश्रेणी से परीक्षा-परिणाम शत-प्रतिशत तदनन्तर बैनाड़ा जी द्वारा किया गया सामायिक-पाठ का रहा है। क्रमश: कनिष्ठोपाध्याय (11)में अंकित जैन सवाई अर्थ एवं जिज्ञासा-समाधान समूचे शिविर का आकर्षण माधोपुर, वरिष्ठोपाध्याय (12) में, सुनील अग्रवाल | तथा ज्ञानवर्धक रहा। सम्पूर्ण शिविर में लगभग 500 टोडारायसिंह, शास्त्री प्रथम वर्ष (बीए) में आशीष जैन | शिविरार्थियों ने भाग लिया। शिविर के उत्साह का पता इसी पथरिया, शास्त्री-द्वितीय वर्ष में सोनल जैन दिगौडा, शास्त्री से लगता है कि नितिन दादा आदि समाज के प्रतिष्ठित अंतिम वर्ष में पलक गोयल कटनी एवं आचार्य प्रथम -वर्ष | व्यक्तियों ने अगले तीन वर्षों तक शिविर लगाने का अनुरोध (एमए) में मनोज जैन भगवां ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।। बैनाड़ा जी से किया। ग्रीष्मकालीन अवकाश में संस्थान के छात्रों द्वारा विविध 17 मई से 27 मई 2004 तक बारामती (महा.) शिविर स्थानों पर शिविर आयोजित कर धर्म-प्रभावना की गई। भी बैनाड़ा जी के तत्त्वावधान में सम्पन्न हुआ। यहां पर इनमें पं. श्री रतनलालजी बैनाडा (अधिष्ठाता-श्रमण-संस्कृति प्रातः 7.00 से 8.00 तक एक विशेष कक्षा लगाई गई संस्थान सांगानेर) के तत्वाधान में महाराष्ट्र के विविध- | जिसमें वे सभी साधर्मी-भाई आते थे जो किसी कार्यवश स्थानों पर धर्म-सरिता प्रवाहित की गई। इसके अन्तर्गत 02 | पूरा दिन व्यस्त रहते थे। इसमें श्री पी. सी. पहाडिया जी ने मई से 16 मई 2004 तक कोपरगांव में शिविर आयोजित | बड़ी सरल रीति से उनका जैन धर्म का प्राथमिक ज्ञान 30 अगस्त 2004 जिन भाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524288
Book TitleJinabhashita 2004 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2004
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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