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संपन्न हुआ था। इस वर्ष रामगंजमण्डी में कक्षा १० वीं में ८५ प्रतिशत एवं १२ वीं में ७५ प्रतिशत अंक पाने वाली प्रतिभाओं के साथ-साथ आचार्य श्री विद्यासागर जी के शुभाशीष से संचालित भारत वर्षीय दिगम्बर जैन प्रशासनिक शिक्षण संस्थान, जबलपुर की विभिन्न प्रशासनिक सेवाओं में चयनित २८ प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि उच्च स्तरीय प्रबंधकीय कौशल वाला यह प्रतिभा सम्मान समारोह देश में संभवत: अपने ढंग का अनूठा तथा सबसे बड़ा प्रतिभा सम्मान समारोह है जो एक दिगम्बर साधु की प्रेरणा व सान्निध्य में नैतिक जीवन मूल्यों के प्रति समर्पित व्यक्तियों के एक समूह द्वारा बिना किसी शासकीय सहायता से आयोजित किया जाता है। साथ ही जरूरतमन्द प्रतिभाओं को अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति भी सम्मान प्रदान की जाती है।
इस समारोह में कक्षा १२ वीं में कु. अंथिमा कासलीवाल, पाण्डीचेरी ( ९६.५ प्रतिशत ) एवं कौस्तुभ जैन, नागपुर ( ९६.५० प्रतिशत) ने विज्ञान संकाय, कु. नम्रता निर्मल, बँगलोर (९५ प्रतिशत) ने वाणिज्य संकाय तथा कु. शशि जैन, खानपुर राजस्थान (८६.७ प्रतिशत) ने कला संकाय में सर्वोच्च प्रतिभावना के रूप में विशेष स्थान पाया। कक्षा १० वीं की मैरिट लिस्ट में जयपुर के चिन्मय कोठारी ने प्रथम स्थान पाने का गौरव पाया।
डॉ. सुमति प्रकाश जैन, छतरपुर (म.प्र.)
भाग्योदय तीर्थं प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा दस दिवसीय शिविर सदलगा में सम्पन्न
भाग्योदय तीर्थ प्राकृतिक चिकित्सालय, सागर म.प्र. द्वारा दिनांक २२ सितम्बर ०३ से २ अक्टूबर ०३ तक दस दिवसीय शिविर परम पूज्य १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज की जन्मस्थली सदलगा में परम पूज्य १०५ आर्यिकारत्न आदर्शमति माता जी के ससंघ सान्निध्य में लगाया गया।
शिविर में ५४ मरीजों को भर्ती कर मोटापा, डायबिटीज, अस्थमा, जोड़ों का दर्द, ब्लड प्रेशर और चर्म रोग संबंधी रोगियों को योग, ध्यान, पानी, हवा एवं भोजन से ठीक किया। शिविर में हजारों लोगों ने परामर्श लिया और प्राकृतिक चिकित्सालय, सागर द्वारा तैयार किया गया शुद्ध औषधि मंजन, डायबिटीज चूर्ण, हिना, दर्दनाशक तेल एवं प्राकृतिक चाय खरीदी।
उद्घाटन एवं समापन शिविर के अवसर पर परम पूज्य आर्यिका रत्न पूज्या आदर्शमति माताजी वा पूज्या दुलर्भमति माताजी एवं पूज्या अंतरमति माताजी ने जनता को प्रकृति के साथ जीने, संयम से खाने-पीने, संतुलित खाने-पीने व वैचारिक रूप से सात्विक रहने का संदेश दिया। आपने डॉक्टर के कार्य को सेवा का नाम दिया। सेवा पवित्र भावों से करने पर लाभकारी होती है, ऐसा बताया। आपने परम पूज्य १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रकृतिवत् स्वरूप पर भी मांगलिक उद्बोधन दिया।
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सदलगा दक्षिण वासियों ने उत्तर भारत की भाग्योदय तीर्थ संस्था की भूरि-भूरि सराहना की। डॉ रतनचंद जी शास्त्री, भोपाल द्वारा शिविर समापन पर उपसंहार के रूप में अपना व्याख्यान दिया।
डॉ. रेखा जैन प्राकृतिक चिकित्सा सागर (म. प्र. ) आचार्य श्री १०८ विद्यासागर महाराज के जन्म महोत्सव पर विभिन्न आयोजन
श्रमण संस्कृति के ध्वज वाहक परम साधक आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज का ५७ वां जन्म दिवस जबलपुर शहर में अनूठे तरीके से मनाया गया जिसमें जैन सेवा समिति द्वारा दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किये गये।
सह संयोजक संजय अरिहंत जबलपुर
तीर्थ रक्षा हेतु संकल्प
भगवान् शांतिनाथ अतिशय क्षेत्र बहोरी बंद में पू. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य पू. समता सागर जी, पू. प्रमाण सागर जी महाराज, पू. निश्चय सागर जी महाराज के सान्निध्य में रक्षा बंधन के पावन पर्व पर पू. समता सागर जी महाराज के प्रवचन से पहले सेकड़ों लोगों ने तीर्थ रक्षा का संकल्प लिया और रक्षा सूत्र जिनालय में बांधा। सभी ने यह संकल्प लिया की 'हम आज से इस नियम में बंधते हैं कि सभी तीथों की सेवा का संकल्प लेते हैं।' इस अवसर पर पू. महाराज श्री ने सभी को आशीर्वाद दिया और ऐसे कार्य की सराहना की, साथ ही वृक्षारोपड़ का कार्यक्रम हुआ जिसका नाम शांतिवन रखा गया। विगत दिनों पू. आचार्य श्री ने इस क्षेत्र पर ७७ दिन रहकर साधना की, जिससे क्षेत्र का बहुत विकास हुआ। आ. श्री का इस क्षेत्र में तीन बार पदार्पण हुआ।
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कवि अजय अहिंसा एडवोकेट पो. बाकल जिला कटनी पिन- 483331
तीर्थ क्षेत्र बहोरीबन्द / प्रबल पुण्योदय
श्री दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थक्षेत्र बहोरीबंद (कटनी) जहाँ १००८ भगवान श्री शान्तीनाथ की १६ फुट उतुंग मनो अतिशय कारी खड़गासन जिनेन्द्र प्रतिमा एवं श्री १००८ बाहुबली भगवान की ५ फुट उतुंग मनोहारी कलात्मक प्रतिमा आगन्तुकों को भाव विभोर कर देती है, जहाँ यात्रियों व साधुसंतों के लिये साधनायोग्य सुखद आवासीय व्यवस्था व मनोरम परकोटा है, भोजनादि की व्यवस्थाओं से परिपूर्ण यह क्षेत्र और भी आकर्षण का केन्द्र बन गया, जब यहाँ संतशिरोमणी १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी के परम प्रभावक शिष्य १०८ मुनिराज श्री समतासागर जी, १०८ मुनि श्री प्रमाणसागर जी एवं १०५ ऐलक श्री निश्चय सागर जी का पावन वर्षा योग २००३ स्थापित हुआ । इन त्रिमूर्ति
नवम्बर 2003 जिनभाषित 29
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