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कर सकते हैं। सही मायनों में तो प्राकृतिक चिकित्सा जीने की। (11) प्राकृतिक चिकित्सा और एलोपैथी चिकित्सा कला है यदि हम इसे सीख लें और इसी के अनुसार चलें तो | विधि में क्या अंतर है? जीवन में कभी रोगी नहीं होंगे।
प्राकृतिक चिकित्सा में रोग के कारणों को दूर करने पर (7)प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार बीमारी का क्या | जोर दिया जाता है जबकि एलोपैथी में ऐसा नहीं है, इसमें सिर्फ कारण है?
बीमारी के लक्षणों का उपचार किया जाता है। इसलिये प्रायः बीमारी का कारण है हमारा गलत खान-पान, गलत रहन- | देखने में आता है कि दवा लेने पर लक्षण दब जाते हैं परन्तु दवा सहन, गलत आचार विचार । इन सब के कारण हमारी पूरी दिनचर्या | बंद करते ही वे पुनः उभर आते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा का अव्यवस्थित हो जाती है यदि हम नियम से नहीं रहेंगे, सोने के | मानना है कि बीमारियों का कारण एक है तथा उनका उपचार भी समय जागेंगे और जागने के समय सोयेंगे। अखाद्य, तली-भुनी | एक ही है। प्राकृतिक चिकित्सा शरीर को एक इकाई मानकर
और गरिष्ठ वस्तुओं को खायेंगे, अवसाद, तनाव और उत्तेजना से | कार्य करती है, जबकि एलोपैथी में अलग-अलग अंग की तकलीफों ग्रस्त रहेंगे तो हमें बीमार होने से कोई रोक नहीं सकता। इसलिये | के लिये अलग-अलग दवाएँ हैं । जैसे पेट दर्द के लिये अलग तथा जरूरी है कि हम प्रसन्न और चिन्ता मुक्त रहें। खाने योग्य वस्तुओं | सिर दर्द के लिये अलग हांलाकि दोनों दी का कारण एक ही हो को खायें और गलत विचारों को अपने ऊपर हावी न होने दें। सकता है।
(8) प्राकृतिक चिकित्सा में भोजन पर इतना जोर (12) क्या प्राकृतिक चिकित्सालय में भरती रहकर क्यों देते हैं?
ही इलाज हो सकता है? केवल भोजन पर नहीं संतुलित भोजन पर क्योंकि प्राकृतिक | ऐसा नहीं है प्राकृतिक चिकित्सा तो इतनी सरल और चिकित्सा का मानना है कि रक्त की अम्लीयता अनेक रोगों को | सहज है कि आप अपने घर पर ही इसका प्रयोग कर सकते हैं। जन्म देती है। हमारा भोजन पूड़ी, मिठाई, बाजार की वस्तुएँ | लेकिन जीर्ण एवं असाध्य रोगियों के लिये उपचार लेना श्रेयस्कर दाल, रोटी आदि अम्लीयता को बढ़ाते हैं। जबकि फल, सब्जियाँ है जीर्ण रोगियों के उपचार के दौरान प्रायः उभार की स्थिति आ एवं सलाद क्षारीय होते हैं। इसलिये हमारे भोजन में फलों एवं | जाती है, रोगी ऐसी स्थिति में घबरा जाते हैं, इसलिये उनको सब्जियों का बड़ा अंश होना चाहिये।
चिकित्सालय में रहने की सलाह दी जाती है। तीव्र रोगी रोजाना (१) क्या प्राकृतिक चिकित्सा बहुत मँहगी है? । प्राकृतिक चिकित्सालय में आकर भी अपना इलाज ले सकते हैं
ऐसा नहीं है पर इतना जरूर है कि इस चिकित्सा के तथा घर पर पथ्य का पालन कर सकते हैं। दौरान फल, रस एवं सब्जियों पर कुछ अधिक ही खर्च होता है | (13) क्या प्राकृतिक चिकित्सालय में ठीक हो जाने फिर भी चिकित्सक यह प्रयास करते हैं कि रोगी को मंहगे फलों के बाद घर पर भी उन निर्देशों का पालन करना पड़ता है? की जगह सस्ते और सुलभ तथा मौसम के फल दिये जाएं, जैसे | प्राकृतिक चिकित्सालय में रोग के लक्षणों का नहीं बल्कि ठंड में अमरूद, गाजर आदि बहुतायत से मिलते हैं इसलिये | बीमारी के कारणों को दूर करने का प्रयास किया जाता है इसलिये उनका उपयोग प्रचुरमात्रा में किया जा सकता है। दूसरी बात | इससे स्थाई आराम मिलता है फिर भी घर आने पर डॉ. के प्राकृतिक चिकित्सा में आहार पर जो खर्च होता है अपने शरीर पर | निर्देशानुसार आवश्यक समय तक तथ्य एवं व्यायाम आदि का ही होता है एक रोगी जो वर्षों से अपना इलाज दवाओं से कर रहा | पालन करना चाहिये। ताकि बीमारी हमेशा के लिये दूर हो जाए। है तथा हजारों रूपये बिना कोई आराम पाये हुये खर्च कर चुका है (14) क्या स्वस्थ आदमी भी प्राकृतिक चिकित्सा अगर एक दो महिने में ठीक हो जाता है तथा भोजन व चिकित्सा | करा सकता है? पर उसके ढाई तीन हजार रू. खर्च होते हैं, तो यह बहुत अधिक अवश्य, प्राकृतिक चिकित्सा दोनों पक्षों पर समान रूप से नहीं हैं।
कार्य करती है। रक्षात्मक तथा उपचारात्मक स्वास्थ्य को आदमी (10) क्या चाय, बीड़ी, सिगरेट, पान मसाला आदि अपने स्वास्थ्य को किस प्रकार बनाए रख सकते हैं। यह ज्ञान वस्तुएँ प्राकृतिक चिकित्सा में वर्जित हैं?
प्राकृतिक चिकित्सा ही दे सकती है। आपकी दिनचर्या को नियमित जी हाँ चाय, बीड़ी, सिगरेट, पान मसाला, जर्दा तम्बाकू करके तथा आहार-विहार के नियमों की जानकारी से हम अपने मादक द्रव्य तथा ऐसी ही अन्य वस्तुएँ प्राकृतिक चिकित्सा में स्वास्थ्य को और अधिक उन्नत बना सकते हैं, प्राकृतिक चिकित्सा निषिद्ध हैं, ये सारी चीजें अपने विषैले प्रभाव शरीर पर छोड़ती हैं। का यही उद्देश्य भी है। जिससे अनेक गंभीर रोगों का शिकार हो जाता है। कैंसर इनमें (15) आज कल लोगों के पास समय नहीं है, पर प्रमुख है चाय से स्वाभाविक भूख नष्ट हो जाती है तथा कब्ज | प्राकृतिक उपचारका लाभ लेना चाहते हैं इसके लिये आपका रहने लगता है रोगी तथा अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को उपर्युक्त पदार्थों | क्या सुझाव है? को निषिद्ध मानकर प्रयोग में नहीं लेना चाहिये।
प्रायः सभी चिकित्सालयों में स्वास्थ्य सुधार के लिये दस
-नवम्बर 2003 जिनभाषित 19
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