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रेलवे टाइम टेबल में जैन संस्कृति
डॉ. कपूरचंद जैन एवं डॉ. ज्योति जैन अभी तक हमने अपने पाठकों को डाक टिकटों पर जैन |
'मंदिर की घंटियों का घोष, मुल्ला की अजान, प्रभु भजनों संस्कृति, संविधान सभा के जैन सदस्य, आजाद हिन्द फौज में | का मीठा स्वर, बौद्ध मिक्षुओं का मंत्रोच्चार, जैन मंदिर का जटिल जैन, भारतीय संविधान में अहिंसा और विश्वशांति, २० अमर जैन | मूर्ति शिल्प, पवित्र ग्रंथ साहब का सस्वर वाचन .... इन सभी का शहीद, जैन जेलयात्री पुरुष व महिलायें, जब्तशदा लेख आदि | मधुर सम्मिश्रण। यह है भारत का आध्यात्मिक रूप। यह देश विषयों से परिचित कराया है। आज सर्वथा नवीन अछूते विषय से
विश्व के प्राचीनतम विद्यमान धर्मों में से एक हिंदूधर्म का जन्म आपको परिचित करा रहे हैं।
स्थान है। बौद्ध, जैन तथा सिखधर्म भी यहीं जन्मे और विश्व के _ 'भारतीय रेल' सम्भवतः विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क | सभा प्रमुख धमा क अनुयाया यहा रहत ह- यह एक एसा दावा है। डेढ़ सौ वर्षों में इसका व्यापक विस्तार हुआ है और राष्ट्रीय | है जो विश्व क कुछ हा दश कर सकत ह ।'
| है जो विश्व के कुछ ही देश कर सकते हैं।' एकता कायम करने में इसने महती भूमिका निभायी है। १८५३ ई.
| तीर्थ स्थलों को उत्तर भारत, पवित्र गंगा के किनारे, पूर्वी में पहली रेलगाड़ी मुम्बई से ठाणेतक ३४ कि.मी. चली थी। भारत
भारत, पश्चिमी भारत, मध्यभारत और दक्षिण भारत इन छ शीर्षकों सरकार द्वारा प्रकाशित 'भारत २००३' के अनुसार ३१ मार्च २००१
में बांटा गया है। आरंभ में गोम्मटेश्वर बाहुवली का चित्र है। तक भारतीय रेल के पास ७५६६ इंजन ३७८४० यात्री डिब्बे
पवित्र गंगा के किनारे अध्याय में उत्तर प्रदेश और विहार के अनेक ४३७० अन्य सवारी गाड़ी डिब्बे, २२२१४७ माल डिब्बे थे। कुल
हिन्दू, जैन, बौद्ध मंदिरों एवं मस्जिदों का वर्णन है। यहाँ जैन मार्ग की लंबाई ६३०२८ कि.मी. है तथा रेलवे स्टेशनों की संख्या
परिपथ में जैन मंदिरों का परिचय है। सारनाथ के जैन मंदिर तथा ६८५३ है।
जल मंदिर पावापुरी का मनोरम चित्र दिया गया है तथा लिखा गया भारतीय रेल प्रतिवर्ष गाड़ियों के आवागमन एवं अन्य
है कि सारनाथ के जैन मंदिर का निर्माण १८२४ में हुआ और इसे जानकारी के लिये समयसारिणी जारी करता है जो जलाई से जन | ११ वें तीर्थंकर श्रेयांशनाथ का जन्म स्थान माना जाता है। तक के लिये होती है। संपूर्ण भारत की समय सारिणी तथा प्रत्येक
बिहार में वैशाली वह जगह है जहाँ जैनधर्म के प्रणेता रेलवे (मध्य पूर्व पश्चिम दक्षिण आदि) की अलग-अलग समय
तथा अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था। पावापुरी सारिणी भी निकलती है। इनमें गाड़ियों के नम्बर, दिन, स्टेशन पर |
वह स्थान है जहाँ ५०० ईसा पूर्व में भ. महावीर ने शरीर त्याग आने-जाने का समय टिकिट खरीदने और वापिस करने के नियम,
और उनका अंतिम संस्कार हुआ। संगमरमर का बना जलमंदिर किराया, रेलवे लाइनों का मेप, आरक्षण नियम आदि सभी विषयों
जैनों के लिये विशेष पूज्य है। राजगीर के संबंध में लिखा गया है की जानकारी होती है। संपूर्ण भारत की समय-सारिणी हिन्दी में
कि ऐसा माना जाता है कि भ. महावीर ने कुछ समय राजगीर में 'रेलगाड़ियाँ एक दृष्टि में' तथा अंग्रेजी में 'TRAINS AT A
बिताया, पहाड़ियों के शिखर पर दिगम्बर मंदिर स्थित हैं। इसी GLANCE' नाम से प्रकाशित होती है। प्रतिवर्ष इसमें भ्रमण के
| प्रकार शिखर जी के सन्दर्भ में लिखा गया है कि 'झारखण्ड राज्य हिसाब से किन्हीं विशेष स्थानों की जानकारी दी जाती है जैसे
में पश्चिम बंगाल की सीमा रेखा से कुछ पहिले पारसनाथ है जो २००१-२००२ की समय सारिणी में 'हिल स्टेशन पर छद्रियाँ' | एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल हैं। जैन तीर्थंकर के २४ मंदिर शीर्षक से पहाड़ी स्थानों की जानकारी दी गयी थी। २००२
१३६६ मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। २३ वें तीर्थंकर पारसनाथ ने २००३ में मरूस्थल के किले, समुद्री जीव और लहरों आदि की | यहाँ पर अपने जन्म के सौ वर्ष उपरांत निर्वाण प्राप्त किया था।' जानकारी दी गयी थी। इस वर्ष की समय सारिणी में देवताओं, । पूर्वी भारत के तीर्थों में कलकत्ता के उत्तर पूर्व में स्थित देवियों और संतों के वास स्थानों की समद्धिकारी यात्रायें शीर्षक | पारसनाथ जैन मंदिर का उल्लेख है। जो १८६७ में बना था तथा से धार्मिक स्थलों की जानकारी दी गयी है। इसमें अनेक जगहों
जिसे १० वें तीर्थंकर शीतलनाथ जी को समर्पित किया गया है। पर जैन मंदिर का भी उल्लेख हुआ है इतना ही नहीं अनेक भगवानों
पश्चिम भारत के मंदिरों में औरंगाबाद के निकट एलोरा की गुफाओं और मंदिरों के चित्र भी दिये गये हैं। इसके आरंभ में ही लिखा
में कैलाश नाथ मंदिर के उल्लेख के साथ जैन गुफाओं का उल्लेख है। इनको 'बर्ल्ड हेरीटेज' में सम्मिलित किया गया है। इन गुफाओं
है
- नवम्बर 2003 जिनभाषित 15
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