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________________ 'हमारा स्वास्थ हमारा खान-पान' 'शीतल पेय' पीने वालो अब तो चेतो डॉ. ज्योति जैन हम भारतीयों विशेषकर जैनियों की आहार संबंधी मर्यादायें । जैसे जान लेवा रोग पैदा कर सकता है। कुछ अलग हैं। हमारी आहार संबंधी चर्या में ये आधुनिक पेय | शीतल पेयों में शामिल फास्फोरिक एसिड दांतों को गला पदार्थ किसी भी मापदण्ड पर खरे नहीं उतरते हैं। यह सच है कि | कर खत्म कर देता है। अमेरिका के मशहूर दंत चिकित्सक डॉ. तेजी से बदलती जीवन शैली और आधुनिक खान-पान को आहार | राबर्ट चेज और दंत चिकित्सा विज्ञान के 'क्लिनिकल रिसर्च न्यूज में सम्मलित करने वालों की संख्या बढ़ रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों | लेटर' के संपादक डॉ. जार्डन किस्टेंसन ने माना कि कोल्ड ड्रिंक्स के चकाचौंध करने वाले पेय विज्ञापनों के मायाजाल ने बच्चों से | का पोषणमान तो नगण्य है ही वह दांतों का सबसे बड़ा दुश्मन है। लेकर युवाओं और यहाँ तक कि बड़े बूढ़ों की जिव्हा (स्वाद) पर शीतल पेयों में अधिक चीनी मिलायी जाती है जिससे अधिकार सा कर लिया है। टी.वी. चैनलों पर हर पांच मिनिट के | अधिक कैलोरी होने से तत्काल ऊर्जा मिलती है इसके कारण बाद दर्शकों को आकर्षित करते इन विज्ञापनों से कौन बच पाया | कोल्ड ड्रिंक्स को स्फूर्तिदायक व थकान नाशक मान लिया जाता है। आज पूरे देश के बाजार में कुछ मिले या न मिले ये शीतलपेय | है परन्तु सच्चाई यह है कि पौष्टिकता से विहीन इन शीतल पेयों से वोतलें अवश्य मिल जायेगी। यहाँ तक घरेलु फ्रिज में भी इन | कैलोरी पूर्ति हो जाने से भूखमर जाती है मोटापा और कब्ज बढ़ता बोतलों ने अपनी जगह बना ली है और सभी वर्ग के लोग बड़े | है। आंतों में सड़न शुरू हो जाती है। शौक से पीते और पिलाते हैं। कोई भी अवसर हो इन शीतल पेय | शीतल पेयों में इथीलिन ग्लइकोन नामक नुकसान देय पदार्थों की उपस्थिति अनिवार्य सी हो गयी है। कुछ तथ्य हैं- | रसायन है जो उसे शून्य डिग्री तापमान में भी जमने नहीं देता है। शीतल पेय पदार्थ हमारे स्वास्थ्य के लिये कितने हानिकारक शीतल पेयों में कार्बनडाइ आक्साइड गैस डाली जाती है हैं, समय समय पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ और आहार विशेषज्ञ एवं | यदि यह गैस नाक और मुंह के जरिए बाहर न निकले तो अत्यन्त धर्म गुरु चेताते रहे हैं पर हाल ही में जारी रिपोर्ट ने शीतल पेय | नुकसान देय है। पदार्थों की दुनियाँ में हलचल मचा दी। इन शीतल पेयों में पौष्टिक तत्त्व बिल्कुल नहीं होते हैं। 'डाऊन टू अर्थ' पत्रिका में जारी रिपोर्ट में सेंटर फार | शरीर के लिये आवश्यक प्रोटीन, विटामिन्स, वसा, खनिज आदि सांइस एण्ड एनवायरमेट (सी.एस.ई.) ने अनेक संगठनों एवं | कुछ भी तत्त्व नहीं है न ही इसमें फलों का रस है। अनेक लोगों के अनुरोध पर कुछ शीतल पेय पदार्थों की जांच की | शीतल-पेयों को भोजन के साथ या फौरन बाद पीने से और उनमें अनेक हानिकारक, स्वास्थ्य के लिये नुकसान देह तत्त्व | शरीर के पाचक एंजाइन नहीं बनते हैं, जिससे अपच एवं आंत पाये गये। संबंधी रोग अपना घर बना लेते हैं। लोकप्रिय शीतल पेय या साफ्ट ड्रिंक्स, हानिकारक गैसों | शीतल पेयों के एक उत्पाद में यह भी दावा किया गया है और रसायनों के दम पर सनसनी पैदा करने, ठंडक पहुँचाने और | कि इसमें चीनी नहीं है किन्तु स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्यास बुझाने का दावा करते हैं, जबकि इसके विपरीत ये उपभोक्ता | इसमें नुकसान देय अनेक रसायन हैं इसमें कैफीन, फॉस्फोरिक की प्यास बुझाने से ज्यादा नित नयी बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। एसिड के साथ साइट्रिकएसिड और कृत्रिम मिठास के लिये एस्परटेम शीतल पेय पदार्थों में मिला कार्बोलिक अम्ल और | सेक्रीन और खराब होने से बचाने के लिये सोडियम बेजोएट होता फॉस्फोरिक अम्ल शरीर को सीधा नुकसान पहुंचाता है। कोल्ड | है। एक अध्ययन के अनुसार अमेरिका में एस्परटेम के कारण इसे ड्रिंक्स के लगातार सेवन का मतलब है गंभीर रोगों को न्योता | पीने वाले 40 प्रतिशत लोगों में सिरदर्द, सुस्ती, धुंधलापन आदि देना। की शिकायतें पायी गयीं । अनेक देशों में तो इस पेय पर बच्चों के शीतल पेय उतने ही हानिकारक हैं जितना कि टायलेट | लिये नहीं' लिखा होता है। साफ करने में प्रयोग आने वाला हाइड्रोक्लोरिक एसिड। कुछ शीतल पेयों में अल्कोहल भी मिलाया जाता है। शीतल पेयों में पाया गय बेंजोइन नामक रसायन कैंसर | अमेरिकी वैज्ञानिक और लेखक मार्क पेडरग्रास्ट ने 'फार गॉड 18 अक्टूबर 2003 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524278
Book TitleJinabhashita 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2003
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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