SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समाचार अहिंसा सम्मेलन का भव्य आयोजन इस अवसर पर श्री व्ही. के. जैन कार्यपालन यंत्री के दृष्टिकोण से बरेला (जबलपुर ) यहाँ के इतिहास में प्रथम बार आचार्य 'अनेकान्त' को स्वतंत्र और मंदिरों, मठों एवं प्रदर्शनों से हटकर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की प्रथम शिष्या विदुषी विचारकों एवं बुद्धिजीवियों का सशक्त संगठन बनाया जाये। यह आर्यिकारत्न प्रशान्तमति माताजी के ससंघ सान्निध्य में राष्ट्रपिता भी सर्वसम्मति से तय किया गया कि जहाँ मध्यप्रदेश के प्रमुख महात्मा गाँधी जयन्ती के सुअवसर पर अहिंसा सप्ताह के अन्तर्गत शहरों में अनेकान्त' की कमेटियाँ सक्रिय हों वहीं देश के अन्य 5 अक्टूबर, 2002 को 'अहिंसा सम्मेलन' का भव्य आयोजन प्रान्तीय राजधानियों में भी अनेकान्त' की सुदृढ़ शाखायें ग्थापित हुआ। नगर की सभी शिक्षा संस्थाओं तथा आम जनता की भागीदारी की जायें. जिससे जैन धर्म, 'जनधर्म' बन सके। से कार्यक्रम बहुत सफल रहा। अहिंसा सम्मेलन की अध्यक्षता सभा की अध्यक्षता साहित्यकार श्री कैलाश मड़वैया ने प्राच्य विद्याओं तथा जैन जगत के मूर्धन्य मनीषी प्रोफेसर डॉ. | की एवं संचालन श्री आर.सी. जैन इंजीनियर ने किया। भागचन्द्र जी जैन 'भागेन्दु' दमोह ने की। आर्यिकारत्न प्रशान्तमति व्ही.के. जैन, कार्यालयीन यंत्री एफ-89/20, तुलसीनगर, भोपाल माताजी का ससंघ सान्निध्य प्राप्त होने से कार्यक्रम में 'सोने में अनेकान्त अकादमी भोपाल सुहागा' की उक्ति चरितार्थ हो उठी। हेमचन्द्र जैन बरेला सन्मति यूथ क्लब जैनत्व प्रतियोगिता का पुरातात्त्विक तीर्थों से अवैधानिक कब्जे हटाए पुरस्कार वितरण संपन्न शिवपुरी सन्मति यूथ क्लब (रजि.) द्वारा आयोजित भव्य जाएँ- अनेकान्त अकादमी की पुरजोर माँग धार्मिक प्रतियोगिता जैनत्व का पुरस्कार वितरण एवं सम्मान समारोह भोपाल, 15 अक्टूबर, विजयादशमी के पुनीत अवसर पर भव्य गरिमा के साथ संपन्न हुआ। प्रतियोगिता में कुल 1254 राष्ट्रीय अनेकान्त अकादमी की केन्द्रीय समिति की बैठक 75. प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं जिनमें से 258 प्रतियोगियों ने 49 अंक प्राप्त चित्रगुप्त नगर, कोटरा के सभा भवन में सम्पन्न हुई जिसमें सर्वसम्मति किये थे। इन प्रतिभागियों में से 24 प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान से यह प्रस्ताव पारित किया गया, कि गुजरात में जूनागढ़ स्थित किये गये। प्रथम पुरस्कार श्री अजय जैन, द्वितीय पुरस्कार श्री सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ पुरातत्त्व "गिरनार" पर्वत पर कुछ अराजक जयकुमार जैन, तृतीय कु. पारुल जैन ने प्राप्त किये एवं सांत्वना तत्त्वों द्वारा अवैधानिक कब्जा कर जैन दर्शनार्थियों को पूजन दर्शन पुरस्कार के रूप में 21 प्रतियोगियों को पुरस्कृत किया गया। आदि में अवरोध उत्पन्न किया जाता है, जिससे संपूर्ण देश के जैन . अरविंद जैन,सचिव, शिवपुरी समाज में आक्रोश है। परन्तु प्रान्तीय एवं केन्द्रीय सरकार इस विषय पर मौन है। योजना आयोग द्वारा नई मांस-योजना अस्वीकृत "अनेकान्त" की उक्त सभा में श्री कैलाश मड़वैया द्वारा महोदय, भारतवर्ष की दसवीं पंचवर्षीय योजना अपनी सप्रमाण ऐतिहासिक भौगोलिक पुरातात्त्विक एवं सामाजिक लेख तैयारी के अंतिम चरण में है। आगामी पाँच वर्षों हेतु देश की मांस प्रस्तुत किया गया, जिस पर सर्व-सम्मति से उपरोक्त प्रस्ताव नीति बनाने के लिए भारत सरकार के योजना आयोग द्वारा एक पारित किया गया। इस अवसर पर विद्वानों द्वारा यह भी मत व्यक्त उप समिति बनाई गई थी। समिति में अल्लाना समूह के चेयरमैन किया गया कि भोपाल जैसे अनेक नगरों में प्राचीन जैन साहित्य | इरफान अल्लाना (अध्यक्ष), सतीश सबरवाल (अलकबीर का की सूचियाँ बनाकर उन्हें दशलक्षण जैसे चिन्तन के अवसरों पर मालिक), तीन सरकारी प्रतिनिधि तथा भारतीय अहिंसा महासंघ सर्वसाधारण को अध्ययन हेतु उपलब्ध कराया जाये और महत्त्वपूर्ण | के महामंत्री एवं इंडियन वेजीटेरियन कांग्रेस पूर्वांचल के अध्यक्ष ग्रन्थों की बेबसाइट तैयार की जाये। डॉ. चिरंजीलाल बगड़ा, इस प्रकार छः सदस्य थे। इस समिति में विचार सभा में बोलते हुए कवि श्री विनोद कुमार "नयन" पाँच सदस्य एकमत थे। एकमात्र डॉ. चिरंजीलाल वगड़ा एक ऐसे ने कहा कि महावीर स्वामी की 2600वीं जयंती के संदर्भ में सदस्य थे जिन्होंने बयालीस पृष्ठीय अपना लिखित प्रतिवाद अनेकों बुन्देलखण्ड के जैन तीर्थों पर एक डाक्यूमेन्टरी फिल्म तैयार की | दस्तावेजों एवं पुस्तकों को संलग्न करके प्रस्तुत किया था। उपसमिति जाये, जिसके लिए केन्द्रीय शासन से उपलब्ध राशि में से व्यवस्था ने पूरे देश में करोड़ों रु. के विनियोजन से गाँव-गाँव में बूचड़खानों की जाना वांछनीय है। प्रोफेसर निर्मल जैन ने कहा कि गिरनार का जाल बिछा देने की सिफारिश की थी। 50 निर्माणाधीन तीर्थ की सुरक्षा हेतु वहाँ के स्थानीय लोगों के सहयोग से सरकार | बूचड़खानों को शीघ्र पूरा करना, 10 महानगरों में, 50 बड़े शहरों से पर्वत पर से अवांछनीय तत्त्वों को हटाने हेतु अपील की जाये।। में, 500 मध्यम शहरों में तथा 1000 ग्रामीण इलाकों में नए 28 दिसम्बर 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524268
Book TitleJinabhashita 2002 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy