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________________ आप खान-पान में कितने सावधान? प्रो. डॉ. के.जे. अजाबिया मुम्बई की एक सेवाभावी संस्था विनियोग-परिवार की ओर से 'आइसक्रीम-रोटी-ब्रेड, जिनेटिक के बारे में सच्ची जानकारी' नामक पुस्तिका में भिन्न-भिन्न प्रामाणिक लेखों का संकलन किया गया है। उस संकलन के कुछ उपयोगी अंशों का पुन: संकलन संक्षेप में इस लेख में किया गया है, इससे आप अनजाने में ही हो जाने वाले मांसाहार और हिंसा के पाप से बच जायेंगे। आइसक्रीम और उसके पदार्थ आइसक्रीम में हानिकारक रसायनों का मिश्रण - श्रीमती आइसक्रीम जिस तरह बनता है वह प्रक्रिया यदि समझी मेनका गाँधी आइसक्रीम में फ्लेवर (विशिष्ट प्रकार की सुवास जाय तो जीवनमें कभी उसे खाने की इच्छा ही न होगी। एक और विशिष्ट प्रकार के स्वाद) के लिये विभिन्न प्रकार के हानिकारक आर्टिकल में बताया गया है कि कितने ही आइसक्रीमों में हम 55 रसायनों के मिश्रण को स्पष्ट करती हुई बताती हैंप्रतिशत तो हवा के ही पैसे देते हैं तथा 35 प्रतिशत गंदे और यह मांसाहारी मिश्रण अनेक प्रकार के विषों से भरा हुआ अपेय पानी के पैसे देते हैं। तात्पर्य यह है कि आइसक्रीम में 90 | हैप्रतिशत तो प्रदूषित हवा एवं पानी ही होता है और शेष मांसाहारियों (1)डाई-एथिल ग्लुकोज- अण्डों के स्थान पर उपयोग के लिये भी अखाद्य अर्थात् जिसे मांसाहारी भी नहीं खाते, ऐसे में लाया जाने वाला यह सस्ता रसायन एण्टीफ्रीज दर्द निवारक पशुओं के नाक, कान और गुदा के भाग-जो कत्लखानों की फर्श | औषधियों में होता है। पर दुर्गन्धयुक्त हालतमें पड़े हुए होते हैं उनसे आइसक्रीम का (2) पेपरानोल - वेनिला के स्थान पर आइसक्रीम में ऊपरी स्तर बनाया जाता है, जो मुँह में डालने के साथ ही आसानी | पेपरानोल प्रयुक्त किया जाता है, जिसका उपयोग नँ अथवा लीखों से गले में उतर जाता है। को मारने के लिए भी किया जाता है। आइसक्रीम-शाकाहारी खाद्य नहीं-उसी आर्टिकल में इस (3) एल्डिहाईड- आइसक्रीम में विशिष्ट प्रकार का स्वाद प्रकार बताया गया है और सुगन्ध लाने के लिए एल्डिहाईड सी-17 नाम का पदार्थ प्रथम बात तो यह है कि आइसक्रीम शाकाहारी खाद्य | मिलाया जाता है, जिसका प्लास्टिक और रबर में भी उपयोग पदार्थ नहीं है। किया जाता है। यदि उसके ऊपर 'इसमें आमिष नहीं है'- ऐसा स्पष्टत: (4) एथिल एसिटेट- आइसक्रीम में अनानास का स्वाद लिखा न हो तो आइसक्रीम बनाने की शुरुआत चरबी के एक स्तर और उसकी सुगन्ध लाने के लिए एथिल एसिटेट मिलाया जाता से होती है। चरबी के स्तर को कड़क और रबर-जैसा छिद्रवाला है। वास्तव में यह रसायन चमड़ों और कपड़ों को साफ करने के बनाया जाता है ताकि उसके छिद्रों में ज्यादा हवा का समावेश हो लिए उपयोग में लाया जाता है । इसके धुएँ से फेफड़ों, लीवर और सके। यह प्रक्रिया अतिशय शीतल कमरेमें की जाती है। चरबी के हृदय को सदा के लिए हानि पहुँचती है। ढेर (स्तर)-को काटते समय जो छोटे-छोटे टुकड़े जमीन पर गिर (5) ब्युटेल्डिहाईड- आइसक्रीम में मिलाया जाने वाला जाते हैं, उन्हें एकत्रित करके सुगन्धयुक्त बनाकर चॉकलेट के रूप यह रसायन रबर और सीमेण्ट में प्रयुक्त होता है। में बेचा जाता है ताकि जमीन पर गिरे हुए और मजदूरों के पैरों से (6) एमिल एसिटेट - आइसक्रीम में केले का स्वाद कुचले इन चरबी के टुकड़ों में स्वादविकृति आ जाती है, वह दब लाने के लिए एमिल एसिटेट मिलाया जाता है जो ऑयल पेन्ट का जाय। द्रावक पदार्थ (Solvent) है। ___हवा और चरबी का यह मिश्रण नरम बने और चम्मच पर (7) बेन्झिल एसिटेट - स्ट्रॉबेरी का स्वाद लाने के चिपक सके, इसलिये प्राणियों के स्तन (Udder), नाक, पुच्छ लिय यह मिलाया जाता है, जो एक प्रकार का नाइट्रट साल्वन्ट और गुदा की चमड़ी-जैसे अखाद्य अङ्गों को उबालकर प्राप्त किया | (द्रावक पदार्थ) है। हुआ एक चिकना (Sticky; Greasy) पदार्थ उसमें मिला दिया इस प्रकार अपने प्यारे लाड़लों को आप अत्यन्त प्रेम से जाता है। यह चिकना पदार्थ चरबी के प्रत्येक छिद्र में फैल जाता आइसक्रीम नामक जो वस्तु खिलाते हैं, वह वास्तव में प्राणियों के है। उसी वहज से आइसक्रीम जीभ और तालु के बीच दबाये जाने अवयवों से उत्पन्न किया हुआ चिपचिपा,दुर्गन्धयुक्त जल, एन्टीफ्रीज, पर सरलता से पिघल जाती है। यह जाननेपर भी क्या आपको ऑयल पेन्ट, नाइट्रेट सॉल्वेन्ट, केशकीटों को मारने वाला रसायन आइसक्रीम खाना है? फलों का रस तो अब पुराना माना जाने लगा | और हवा का मिश्रण ही है। है, किंतु जो आइसक्रीम शक्कर, अण्डे, चरबी, दूध और एसेंस-इन अस्तु, घर पर पुरानी पद्धति से शरबत बनाओ और सबका जुगुप्साजनक मिश्रण है, उसे बड़े चाव से खाया जाता है।' | आइसक्रीम खाना हमेशा के लिए छोड़ दो। 18 दिसम्बर 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524268
Book TitleJinabhashita 2002 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2002
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size5 MB
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