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का संचालन कर रहा है जिनमें कई को अल्पसंख्यकों की सुविधाएँ | प्राप्त हैं। यदि किसी कारणवश सुप्रीम कोर्ट केवल सामाजिक रीति-रिवाजों के आधार पर जैन को वैदिक धर्म का एक अंग मान लेती है तो हमें कई प्रदेशों में मिली अल्पसंख्यक सुविधाएँ वापस ले ली जाएँगी, जिसका जैन छात्र-छात्राओं के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अत: यह आवश्यक है कि इस दृष्टि से भी मुकदमे की पैरवी पूरी तैयारी व तत्परता के साथ की जाए।
हम लोगों ने वरिष्ठतम वकीलों जैसे श्री नारीमन, श्री शांति भूषण तथा श्री पी. पी. राव को नियुक्त किया है। सुनवाई कई सप्ताह चल सकती है। इसलिए इस केस में 30 लाख रुपए के आसपास अनुमानित खर्च आएगा। सभी धर्मबंधु, जो समाज के प्रमुख व्यक्ति हैं तथा अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं, उनसे निवेदन है कि जैन समाज के हितों की रक्षा के लिए तथा इस केस में सफलता के लिए वे स्वयं एवं संस्थाओं की ओर से उदारतापूर्वक आर्थिक सहयोग दें। सहयोग राशि ड्राफ्ट या चैक द्वारा 'बी.डी.जे. तीर्थक्षेत्र कमेटी (माइनोरिटी) " के नाम से भेज सकते हैं अथवा हमको सूचित करें तो नकद एकत्रित राशि आपसे स्वयं मँगाने का प्रबंध करे सकेंगे। ऐतिहासिक तथ्यों, दार्शनिक मान्यताओं तथा समय-समय पर मिले अदालती फैसलों के आधार पर हमें पूरी आशा है कि हम विजयी होंगे। किंतु यह तभी संभव होगा जब समस्त जैन समाज द्वारा संगठित प्रयास हों।
साहू रमेशचन्द्र जैन, राष्ट्रीय अध्यक्ष अ. भा. दिगम्बर जैन परिषद् ('वीर' 7 अप्रैल 2002 से साभार )
कन्नौज (उ.प्र.) में पंचकल्याणक का
आयोजन
दि. 10 मई से 15 मई 2002 तक इत्रनगरी कन्नोज (उ.प्र.) में संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी के सुयोग्य शिष्य 108 मुनि श्री समतासागर जी, 108 मुनि श्री प्रमाणसागर जी एवं 105 एलक श्री निश्चय सागर जी के सान्निध्य में पंचकल्याणक महोत्सव संपन्न होगा।
प्रवेश सूचना
सांगानेर (जयपुर)। श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान (आचार्य ज्ञान सागर छात्रावास) सांगानेर का षष्ठ सत्र 1 जुलाई सन् 2002 से प्रारंभ होगा। यह आधुनिक सुविधाओं से युक्त अद्वितीय छात्रावास है, जहाँ छात्रों की आवास, भोजन व पुस्तकादि की निःशुल्क व्यवस्था रहती है।
इसमें सम्पूर्ण भारत से प्रवेश के लिए अधिक छात्र इच्छुक होने से विभिन्न प्रदेशों के लिए स्थान निर्धारित हैं। अतः स्थान सीमित हैं। धार्मिक अध्ययन सहित कुल पाँच वर्ष के पाठ्यक्रम में दो वर्षीय उपाध्याय (जो सीनियर हायर सेकेण्डरी के समक्षक है) माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर से एवं त्रिवर्षीय शास्त्री स्नातक
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परीक्षा जो कि (बी.ए. के समक्षक) राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है । यह सरकार द्वारा आई. ए. एस. आर. ए. एस. जैसी किसी भी सर्वमान्य प्रतियोगिता परीक्षा में सम्मिलित होने के लिये सर्वमान्य है ।
जो छात्र प्रवेश के इच्छुक हों, वे प्रवेश फार्म मँगवाकर प्रार्थना पत्र 30 अप्रैल 2002 तक अनिवार्य रूप से भिजवा दें। जिन छात्रों ने 10वीं की परीक्षा (अंग्रेजी सहित) दी है. वे भी प्रवेश फार्म मँगा सकते हैं। इच्छुक छात्रों का प्रवेश चयन " शिविर " 5 मई से 12 मई 2002 तक आचार्य ज्ञानसागर छात्रावास सांगानेर, जयपुर में आयोजित है।
शिविर में अध्ययनरत शिविरार्थियों की परीक्षा/ साक्षात्कार लिया जाकर चयन किया जावेगा।
सम्पर्क अधीक्षक, श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, वीरोदय नगर, जैन नसियाँ रोड, सांगानेर, जयपुर फोन नं. 0141-730552
नमोऽस्तु
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क्या वह अपराध है ?
जिन्हें प्रणाम करने की सोच भी नहीं पाता उनके दिख जाने पर हाथ जुड़ जाते हैं
अपने आप मशीनवत् । यह बेखबरी खतरनाक है।
जिन्हें प्रणाम करने का मन सदैव होता है उनके मिल जाने पर ऐसा हो जाता कि हाथ भूल बैठते हैं अपना कर्त्तव्य ।
भावाभिभूत,
इतना अभिभूत होना उचित नहीं।
बेखबरी खतरनाक है
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और अभिभूत होना उचित नहीं पर जो घट जाता है बिना कुछ किए सहज-सहज अपने-आप क्या वह अपराध है ?
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सरोज कुमार
'मनोरम' 37, पत्रकार कालोनी इन्दौर (म.प्र.) 452001 -अप्रैल 2002 जिनभाषित
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