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विशेष समाचार
तलघर से निकली स्फटिकमणि की
अलौकिक प्रतिमाएँ
24 मार्च, रविवार की सुबह विश्वविख्यात अतिशय क्षेत्र | को संबोधित करते हुए कहा कि 23 फरवरी को स्वप्न के दौरान चाँदखेड़ी के इतिहास में एक नया संदेश लेकर आई, जब यहाँ | गुलाबी पगड़ी व बादामी शेरवानी पहने एक अदृश्य शक्ति उन्हें विराजमान आचार्य विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनिपुंगव | मन्दिर में ले गई और तलघर का आधा रास्ता बताकर ही गायब हो 108 श्री सुधासागर जी महाराज ने आदिनाथ भगवान की प्रतिमा | गई। सुबह जब उन्होंने 'भद्रबाहु संहिता' में स्वप्न का फल देखा के पीछे तलघर में स्थित मंदिर की मूलनायक चंदप्रभु भगवान की | तो उसमें लिखा था कि स्वप्न का फल विलम्ब से मिलेगा। वे प्रतिमा को दर्शनार्थ बाहर लाने की घोषणा की। यह खबर सुनते स्वप्न को लेकर शंकित थे। 24 मार्च को पुन: वही अदृश्य शक्ति ही हाड़ौती अंचल के हजारों जैन-अजैन नर-नारियों का जन- स्वप्न में प्रकट हुई और उसने कहा कि "शंका मत करो, जिनबिम्ब सैलाब चाँदखेड़ी की ओर उमड़ पड़ा। दर्शनार्थियों की भीड़ इतनी अवश्य ही मिलेंगे" और साथ ही जिनबिम्ब बाहर निकालने की अधिक थी कि व्यवस्थापकों के लिए उसे नियंत्रित करना मुश्किल | विधि भी बतलाई। जब उन्होंने इस स्वप्न का फल 'भद्रबाहु हो गया। सभी के मन में सिर्फ एक ही ललक थी- गुफा में स्थित | संहिता' में देखा तो उसमें लिखा था कि स्वप्न का फल अवश्य प्रतिमाओं के दर्शन करना।
मिलेगा। उल्लेखनीय है कि चाँदखेड़ी में आदिनाथ भगवान की प्रतिमा | मुनिश्री ने बताया कि 25 मार्च को प्रात: 5 बजे से ऊपर के पीछे चंद्रप्रभु भगवान की अलौकिक प्रतिमा विराजमान थी, | बाहुबली भगवान के दक्षिण में स्थित द्वार से तलघर में उतरे तो जिसके होने की पुष्टि आचार्य विमलसागर जी महाराज समेत कई | वहाँ उन्हें लगभग 12 फीट नीचे इन अलौकिक प्रतिमाओं के आचार्य कर चुके थे। यह चंद्रप्रभु भगवान की प्रतिमा ही मन्दिर | दर्शन हुए। इसके पश्चात् उन्होंने बाहर आकर दोपहर 2 बजे इन की मूलनायक प्रतिमा है, जिसे बरसों पूर्व सुरक्षा की दृष्टि से | प्रतिमाओं को दर्शनार्थ बाहर लाने की घोषणा कर दी। मुनिश्री ने मन्दिर की गुफा में विराजमान कर दिया गया होगा। इतने वर्षों से | | कहा कि यदि वे स्वप्न की बात को पहले ही उजागर कर देते और देवतागण इस प्रतिमा की रक्षा कर रहे थे। मन्दिर का मुख्य शिखर जिनबिम्ब नहीं निकलते तो अच्छा नहीं होता। आखिर स्वप्न तो भी इसी प्रतिमा के ऊपर है।
स्वप्न ही है। शाम चार बजे जैसे ही मुनि सुधासागर जी महाराज तलघर । मुनिश्री ने उपस्थित जनसमुदाय से कहा कि भारत का से बर्फ के समान स्फटिक मणि की प्रतिमाएँ लेकर बाहर निकले । प्रत्येक नागरिक इन प्रतिमाओं के दर्शन एवं अभिषेक करके जीवन तो वहाँ उपस्थित श्रद्धालुओं की आँखें खुशी से छलक गईं। पूरा | को धन्य करे। उन्होंने कहा कि वे इस क्षेत्र पर पहली बार आए हैं मन्दिर आदिनाथ भगवान और मुनि सुधासागर जी महाराज के | और यहाँ पर ऐसे अलौकिक जिनबिम्ब विराजमान होंगे, ऐसा जयकारों से गूंज उठा। मुनिश्री क्रम से चंद्रप्रभु भगवान् समेत तीन | उन्हें विश्वास नहीं था। चाँदखेड़ी भारत का दूसरा अतिशय क्षेत्र है, प्रतिमाओं को बाहर लेकर आए। इनमें से मूलनायक चंद्रपभु | जहाँ पर तलघर से अलौकिक जिनबिम्ब बाहर निकाले गए। भगवान की प्रतिमा स्फटिक मणि से निर्मित थी, जिसकी ऊँचाई । इससे पहले वे सांगानेर के तलघर से ऐसे जिनबिम्ब को बाहर करीब ढाई फीट है। मुनिश्री ने कहा कि चंद्रप्रभु भगवान् की लेकर आए थे। स्फटिक मणि की इतनी विशाल प्रतिमा भारत में तो कम से कम | मुनिश्री ने कहा कि इन प्रतिमाओं को सिर्फ 6 अप्रैल आज तक कहीं नहीं देखी गई। इसके अलावा एक अन्य प्रतिमा | (वार्षिक मेले के दिन) तक ही दर्शनार्थ बाहर रखने की अनुमति जिस पर चिन्ह नहीं है तथा एक प्रतिमा पार्श्वनाथ भगवान की है, मिली है। इसके पश्चात् प्रतिमाओं को पुनः तलघर में विराजमान जिनकी ऊँचाई 1.5 फीट और एक फीट है।
कर दिया जाएगा। जिसने भी इन प्रतिमाओं के दर्शन किए, उसके मुँह से | इन प्रतिमाओं को निकालने के पश्चात् चाँदखेड़ी मन्दिर सिर्फ यही शब्द निकले- “अलौकिक, अद्वितीय" । चाँदखेड़ी में | की प्राचीनता से जुड़े कई प्रश्न सामने आ गए हैं। मुनि श्री के उपस्थित हर व्यक्ति इन प्रतिमाओं के दर्शन कर अपने आप को | अनुसार इस मन्दिर का इतिहास ही लगभग बारह सौ वर्ष पुराना है धन्य कह रहा था। इन प्रतिमाओं को बाहर निकालने के पश्चात् और ये प्रतिमाएँ तो उससे भी प्राचीन हैं। ये प्रतिमाएँ कितने वर्षों विधिवत् मंत्रोच्चार के साथ इनका अभिषेक किया गया। से तलघर में रखी हुई थीं, यह कोई नहीं जानता। संभवतः आतताइयों इससे पूर्व मुनिश्री ने श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पाण्डाल | के आक्रमण से बचाने के लिए इन प्रतिमाओं को सुरक्षित रख
-अप्रैल 2002 जिनभाषित ।
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