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यहाँ पहाड़ पर 37 मंदिर (मेरु एवं मानस्तम्भ सहित) हैं। | जी महाराज, आचार्य देवनन्दी जी महाराज एवं आचार्य विरागसागर एक विशाल मंदिर सरोवर में है। सरोवर के दक्षिणी तट पर जी महाराज का इस क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक विशाल नवीन समवशरण जिनालय का निर्माण किया गया है। 13 | योगदान रहा है। मंदिर उपत्यका में हैं। कुल मिलाकर यहाँ पर 52 मंदिर हैं। आवश्यकता पार्श्वनाथ मंदिर में 14 फुट ऊँची पार्श्वनाथ की विशाल प्रतिमा के न्यास के अध्यक्ष श्री महेन्द्र कुमार जी मलैया सागर, प्रबंध साथ चौबीसी बनी हुई है।
कारिणी समिति के अध्यक्ष श्री रघुवर प्रसाद डेवड़िया शाहगढ़, जैन धर्मशाला के पूर्व की ओर लगभग 100 फुट की दूरी | जिला सागर एवं मंत्री श्री सेठ दामोदर जी जैन, शाहगढ़, जिला पर 2 वेदिकाएँ गजरथ महोत्सवों की, जो कि विक्रम संवत् 1043 | सागर के प्रभावी एवं कुशल नेतृत्व में देश एवं प्रदेश में प्रचलित में एक साथ सम्पन्न हुए थे, बनी हुई हैं। उसके समीप में ही एक प्रबंध विज्ञान के संदर्भ में यहाँ की व्यवस्था विकसित की जा रही पाण्डुक शिला निर्मित है। ऊपर की ओर नाला पार करके करीब | है। अनेक मंदिर एवं धर्मशालाओं का जीर्णोद्धार किया गया है। 4 फाग दूरी पर एक पाण्डुक शिला और बनी हुई है। पर्वतराज | आधुनिक सुविधा सम्पन्न नवीन धर्मशालाओं का निर्माण किया के वर्तमान मंदिर समूह के पश्चिम की पहाड़ियों पर स्थित पाँच गया है। समाज के कर्णधारों से निवेदन है कि वे इस क्षेत्र की ओर प्राचीन वेदिकाओं का पुनरुद्धार किया गया है।
अपना लक्ष्य करें, जिससे कि पूर्वजों की इन धरोहरों एवं जैन धर्म समवशरण मंदिर
के कला केन्द्र का विकास शीघ्रतापूर्वक किया जा सके। सरोवर एवं पहाड़ी के संगम पर 10,000 वर्ग फुट क्षेत्र में समवशरण मंदिर का निर्माण किया जा चुका है। यह समवशरण
30, निशात कालोनी, सम्पूर्ण देश का विशालतम समवशरण है। 8 फरवरी 1987 से 13
भोपाल म.प्र. 462003 फरवरी 1987 तक परमपूज्य विद्यासागर जी के मंगल सान्निध्य में श्री पार्श्वनाथ समवशरण रचना मंदिर जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव का आयोजन किया गया था। इस
गजल आयोजन में क्षेत्र के तत्कालीन मंत्री श्री सेठ शिखरचन्द्र जी का
ऋषभ समैया 'जलज' अनुकरणीय योगदान रहा। प्रत्येक मानव जन को यह अपेक्षा है कि यह समवशरण चतुर्थकाल में नैनागिरि पर्वत पर आए भगवान
स्मृतियों की जंजीरों से बँधे हुए पार्श्वनाथ के वास्तविक समवशरण की प्रतिकृति बने। इस महान
सबके सब हैं आशाओं से लदे हुए कार्य में प्रत्येक व्यक्ति का तन, मन एवं धन के साथ सहयोग प्रार्थित है।
लाइलाज़ मों को न्यौता देते हैं अतिशयपूर्ण तथा सफलतादायक
कुंठाओं के फल होते हैं कँदे हुए तीर्थंकर की पदरज से पवित्र इस सिद्धभूमि पर अनेक अतिशय होते रहते हैं। 50 फुट की ऊँचाई पर स्थित मंदिर की 2
बोझ लादते जाने के हम आदी हैं फुट चौड़ी पट्टी पर खड़ा हुआ बैल अचानक ही बिना किसी
भले आदमी, जानबूझ कर गधे हुए खतरे के नीचे उतर आता है। वर्ष 1956 में गजरथ के समय कुएँ का जल समाप्त हो गया, किन्तु पार्श्वनाथ के स्मरण से कुछ ही घण्टों में कुँआ पानी से पूर्णतः भर गया। निष्ठापूर्वक तथा मनोयोग
फंदों पर आरोप लगाना बेमानी से पार्श्वनाथ प्रभु के दर्शन करने से दर्शक के मनोरथ शीघ्र ही
हम अपनी कायरता से ही फँदे हुए प्रतिफलित हो जाते हैं। ऐसे अनेक अवसर आये हैं, जब पार्श्व प्रभु की वंदना से अनेक व्यक्ति अपने व्यवसाय में सफल हुए हैं या
असफलताओं पर मुँह लटका कर बैठे शासन के उच्च पदों पर प्रतिष्ठित हुए हैं। पूज्य क्षमासागर जी द्वारा
वे अपनी ही लाशों को खुद कंधे हुए लिखित 'आत्मान्वेषी' में इस प्रकार की अनेक घटनाओं का उल्लेख किया गया है।
टकराजाने के संयोग अनेकों हैं संत समागम
बड़ी भूल, गर नयन हमारे मुँदे हुए पूज्य आचार्य श्री शांतिसागर जी आदि अनेक आचार्य, मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक एवं ब्रह्मचारियों ने इस क्षेत्र के
निखार भवन, कटरा, सागर म.प्र. दर्शन किए हैं। मुनि आदिसागर जी महाराज, आचार्य विद्यासागर | 16 अप्रैल 2002 जिनभाषित -
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