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________________ पोशाक तो मनुष्य के ऐबों को छिपाने के लिए है, जो बेऐब, | ही कहा है, 'पुष्प नग्न रहते हैं। प्रकृति के साथ जिन्होंने एकता नहीं निष्पाप हैं, उनका परिधान तो नग्नत्व ही होता है। नन्द-मौर्य कालीन | खोयी है ऐसे बालक भी नग्न घूमते हैं। उनको इसकी शरम नहीं आती यूनानियों ने भारत के दिगम्बर मुनियों (जिम्नोसोफिस्ट) के वर्णन किए | है और उनकी निर्व्याजता के कारण हमें भी लज्जा जैसा कुछ प्रतीत हैं, युवान- च्वाँग आदि चीनी यात्रियों ने भी भारत के विभिन्न स्थानों | नहीं होता। लज्जा की बात जाने दें, इसमें किसी प्रकार का अश्लील, में विद्यमान दिगम्बर (लि-हि) साधुओं या निर्ग्रन्थों का उल्लेख किया | वीभत्स, जुगुप्सित, अरोचक हमें लगा हो, ऐसा किसी भी मनुष्य है। सुलेमान आदि अरब सौदागरों और मध्यकालीन यूरोपीय पर्यटकों | का अनुभव नहीं। कारण यही है कि नग्नता प्राकृतिक स्थिति के साथ में से कई ने उनका संकेत किया है। डॉ. जिम्मर जैसे मनीषियों का स्वभावशुदा है। मनुष्य ने विकृत ध्यान करके अपने विकारों को इतना मत है कि प्राचीन काल में जैन मुनि सर्वथा दिगम्बर ही रहते थे। | अधिक बढ़ाया है और उन्हें उल्टे रास्तों की ओर प्रवृत्त किया है कि वास्तव में दिगम्बरत्व तो स्वाभाविकता और निर्दोषिता का स्वभाव-सुन्दर नग्नता सहन नहीं होती। दोष नग्नता का नहीं, अपने सूचक है। महाकवि मिल्टन ने अपने काव्य 'पैरेडाइज लॉस्ट' में कहा कृत्रिम जीवन का है।' है कि आदम और हौव्वा जब एक सरलतम एवं सर्वथा सहज निष्पाप वस्तुतः निर्विकार, दिगम्बर, सहज, वीतराग छवि का दर्शन थे, स्वर्ग के नन्दनकानन में सुखपूर्वक विचरते थे, किन्तु जैसे ही | करने से तो स्वयं दर्शक के मनोविकार शान्त हो जाते हैं - अब चाहे उनके मन विकारी हुए, उन्हें उस दिव्यलोक से निष्कासित कर दिया | वह छवि किसी सच्चे साधु की हो अथवा जिन-प्रतिमा की हो। आचार्य गया। विकारों को छिपाने के लिये ही उनमें लज्जा का उदय हआ और | सोमदेव कहते हैं कि समस्त प्राणियों के कल्याण में लीन ज्ञान-ध्यान परिधान (कपड़ों) की उन्हें आवश्यकता पड़ी। महात्मा गाँधी ने एक | तपःपूत मुनिजन यदि अमंगल हों तो लोक में फिर और क्या ऐसा बार कहा था, 'स्वयं मुझे नग्नावस्था प्रिय है, यदि निर्जन वन में | है जो अमंगल नहीं होगा। रहता होऊँ तो मैं नग्न अवस्था में रहूँ।' काका कालेलकर ने क्या ठीक वात्सल्य रत्नाकर (तृतीय खण्ड) से साभार फिरोजाबाद महिला-मिलन द्वारा महती धर्म प्रभावना भगवान महावीर स्वामी के 2600वें जन्म कल्याणक | 130 से 120 तक द्वितीय तथा 100 तक प्राप्तांक वाले सभी महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में भगवान महावीर के सन्देशों तथा जैन | प्रतियोगियों को पुरस्कृत किया गया। कलापोस्टर में 120 पोस्टर धर्म के सूत्रों, सिद्धान्तों के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु फिरोजाबाद आये जिन्हें प्राप्त करने वालों में वरिष्ठ वर्ग की प्रथम नेहा जैन तथा महिला जैन मिलन ने जैन-जैनेतर सभी बालवृद्ध युवाओं के लिये | कनिष्ठ में प्रथम स्वाती जैन रहीं। भाषण में प्रथम सौरभ जैन तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं-लेख/ निबंध प्रतियोगिता, चित्रकला-पो- | द्वितीय विश्वदीप भारद्वाज थे। कनिष्ठ वर्ग में रितु जैन प्रथम थी। स्टर प्रतियोगिता, सूक्तियाँ लेखन (स्लोगन), भाषण/व्याख्यान | स्लोगन में 7 प्रतियोगी पुरस्कृत हुए। भाषण प्रतियोगिता तथा प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी पुस्तिका प्रतियोगिता का वृदि आयोजन किया । पुरस्कार वितरण 30.9.2001 को श्री महावीर बाहुबली जिनालय गया है। यह कार्यक्रम मई में आयोजित धार्मिक शिक्षण शिविर के प्रांगण में अपार जन समूह के समक्ष हुआ। साथ ही आरम्भ हो गये थे। भगवान महावीर पर आधारित 150 | मुख्य वक्ता प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश (सम्पादक - जैन गजट) प्रश्नों की पुस्तिका प्रदान की गई थी जिसे 20 सितम्बर तक भरकर ने कहा 'भगवान महावीर सत्य, अहिंसा के सच्चे प्रवर्तक थे, सत्य देना था। पर्युषण पर्व के साथ ही निबन्ध तथा पोस्टर प्रतियोगिता में हित-मित प्रियवाणी सर्वोपरि है। श्री अनूप जैन एड. ने महिला की घोषणा कर दी गयी थी तथा इन्हें वरिष्ठ-कनिष्ठ वर्ग में 25 | जैन मिलन को साधुवाद देते हुए आयोजन को सकारात्मक कहा। सितम्बर तक जमा करना था, जिसमें भगवान महावीर के उपदेशों भा. जैन मिलन क्षेत्र सं. 17 के अध्यक्ष मंत्री, केन्द्रीय उपाध्यक्ष, की सार्थकता को भाषा तथा कला के द्वारा अभिव्यक्त करना था। | संयोजक फिरोजाबाद जैन मेले के संरक्षक रामबाबू जैन 'राजा' भाषण प्रतियोगिता, पुरस्कार वितरण के साथ 30 सितम्बर को रखी अध्यक्ष, मंत्री तथा डॉ. पाराशर, डॉ. अशोक तिवारी, डॉ. चन्द्रवीर गयी थी, जिसमें जैन-जनेतर सभी प्रतियोगी आमंत्रित थे। । जैन आदि के सान्निध्य में यह आयोजन हुआ। वयोवृद्ध समाज प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता में 400 से अधिक प्रतिभागी थे, सेविका बहिन चन्द्रकुमारी जैन, म. जैन मिलन की अध्यक्षा डॉ. सर्वाधिक प्राप्तांक लेकर श्रीमती चन्द्रप्रभा जैन ने भगवान महावीर | विमला जैन, डॉ. रश्मि जैन, श्यामा रानीवाला, ज्योत्सना, सत्या, का स्वर्णिम चित्र पुरस्कार स्वरूप प्राप्त किया। 130 अंक प्राप्तांक शशि, अरुणा, अंगूरी जैन आदि ने इस आयोजन को कार्यान्वित लाने वाले 25 प्रतियोगी थे जिन्हें प्रथम पुरस्कार तथा प्रमाण-पत्र किया। दिया गया। डॉ. विमला जैन अध्यक्षा - महिला जैन मिलन,1344 सुहागनगर, फिरोजाबाद -अक्टूबर 2001 जिनभाषित 7 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.524256
Book TitleJinabhashita 2001 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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