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________________ पू. विदुषी आर्यिका विशुद्धमती माताजी सल्लेखना की ओर राजस्थान प्रांत के श्री तीर्थक्षेत्र नंदनवन धरियावद में विराजमान विदुषी आर्यिका श्रीविशुद्धमती माताजी ने 1990 में 12 वर्ष की अवधि का सल्लेखना व्रत समाधिस्थ आचार्य श्री अजितसागर जी महाराज से ग्रहण किया था। पूज्य माताजी अभी तीसरे दिन आहार को उठती हैं और केवल रस ग्रहण करती है माताजी की चेतना एवं उपयोग शक्ति ठीक चल रही है। अपने धर्म ध्यान में आरूढ़ होकर दर्शनार्थियों को समय-समय पर आशीर्वाद देती है निर्यापकाचार्य श्री वर्द्धमानसागर जी महाराज धरियावद गाँव में ससंघ विराजमान हैं। उनके आशीर्वाद से संघस्थ मुनि श्री पुण्यसागर जी मुनि श्री सौम्यसागर जी एवं चार माताजी नंदनवन में है। आचार्यश्री भी समयसमय पर नंदन वन पहुँचकर पूज्य माताजी को आशीर्वचनों से संबोधित करते हैं। " मुझे तीन दिन पूज्य माताजी के चरण सानिध्य में रहकर धर्म ध्यान का अवसर प्राप्त हुआ। श्री तीर्थक्षेत्र नंदन वन के लिए उदयपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा से हर समय बस सेवा उपलब्ध है एवं यात्रियों के आवास एवं भोजन की व्यवस्था प्रतिष्ठाचार्य श्री हंसमुख जी ने सुलभ करा रखी है। सुरेश जैन मारौरा, शिवपुरी जीवन-सदन, सरकिट हाऊस के पास, शिवपुरी " शासन की सहभागिता इतिहास बनायेगी, कार्यों को मूर्त रूप समाज को देना होगा" गणिनी ज्ञानमतीजी 6 अप्रैल को 'भगवान महावीर 2600वाँ जन्मकल्याणक महोत्सव वर्ष' के राष्ट्रीय उद्घाटन के पश्चात् महोत्सव की दिगम्बर जैन राष्ट्रीय समिति का प्रथम अधिवेशन पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी (ससंघ) के मंगल सान्निध्य में 7 अक्टूबर 2001 को श्री खण्डेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर, राजा बाजार, कनॉट प्लेस, दिल्ली में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर पूज्य माताजी ने रचनात्मक एवं दूरगामी प्रेरणाएँ समाज को प्रदान कीं, जिनका करतल ध्वनि से स्वागत किया गया। पूज्य माता जी ने कहा कि शासन की आर्थिक सहभागिता तो इतिहास का निर्माण करने हेतु है ताकि आगामी पीढ़ी को यह संदेश प्राप्त होता रहे कि 2600वाँ जन्म कल्याणक वर्ष सरकारी स्तर पर भी मनाया गया था, मुख्य भूमिका तो अपने कार्यों के माध्यम से समाज को ही निभानी है। इस अवसर पर पूज्य माताजी ने भगवान महावीर की जन्मभूमि के रूप में कुण्डलपुर के विकास का आह्वान करते हुए वैशाली को स्मारक के रूप में विकसित करने की भावना प्रस्तुत की। राजधानी दिल्ली में दिगम्बर जैन समाज के एक 'राष्ट्रीय सूचना केन्द्र' की स्थापना, स्थान-स्थान पर कीर्तिस्तम्भों, भगवान महावीर द्वार, भगवान महावीर जन्मकल्याणक सम्बन्धी बोर्ड लगाने Jain Education International की प्रेरणा प्रदान करते हुए पूज्य माताजी ने कहा कि अस्थायी धर्मप्रभावना के आयोजनों के माध्यम से ही स्थायी योजनाओं की नींव पड़ती है। पूज्य माताजी ने कहा कि इस आयोजन की सफलता इसी में है कि समस्त दिगम्बर जैन समाज संगठित हो । प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चन्दनामती माताजी ने कहा कि इस महोत्सव वर्ष में अब तक दिगम्बर जैन परम्परा के साधु-साध्वियों ने अपने-अपने स्तर पर महत्त्वपूर्ण कार्य किये हैं, उन सभी की गणना होनी चाहिए। पूज्य माताजी ने सर्व जैन-सम्प्रदायों को निर्विवाद रूप से मान्य भगवान महावीर के जन्मकल्याणक सम्बन्धी एक झाँकी 26 जनवरी की परेड में सरकारी रूप से निकलवाने हेतु महत्त्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किया, जिसका सभी ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। आज की सभाध्यक्ष साहू इन्दु जैन ने युवाओं को आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करते हुए महावीर केन्द्र द्वारा 'युवा फैडरेशन' के निर्माण का प्रस्ताव रखा। सभा के प्रारंभ में दीप प्रज्वलन के पश्चात् श्रीमती कुसुमलता जैन ध.प. श्री महावीर प्रसाद जैन ( संघपति), बंगाली स्वीट सेन्टर, दिल्ली द्वारा माल्यार्पण करके साहू इन्दु जी का सम्मान किया गया। आज के अधिवेशन में 6 अप्रैल के उद्घाटन समारोह के पश्चात् पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से प्रथम राष्ट्रीय आयोजन 'विश्वशांति महावीर विधान' के 21 से 28 अक्टूबर तक राजधानी दिल्ली में सम्पन्न होने की जानकारी विशेष रूप से सभा को प्रदान की गयी। कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्रकुमार जी जैन ने सभी को इसमें भाग लेने हेतु प्रेरित किया। डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर ने जैन एवं प्राकृत विद्याओं के अध्ययन में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत प्रमुख संस्थाओं की चर्चा करते हुए कहा कि दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर 250 से अधिक ग्रन्थों का प्रकाशन कर चुका है और अनेक राष्ट्रीय स्तर के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सेमीनारों-संगोष्ठियों इत्यादि का सफल आयोजन कर इसने अपनी विशिष्ट छबि निर्मित की है। डॉ. जैन ने इस अवसर पर कुंदकुंद ज्ञानपीठ, इंदौर एवं दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान - जम्बूद्वीप द्वारा शीघ्र प्रस्तुत की जाने वाली 5 विशिष्ट शोध-परियोजनाओं के विषय में अवगत कराया। सभा का मंगलाचरण क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी द्वारा किया गया। डॉ. धन्य कुमार जैन (संचालक) ने राष्ट्रीय समिति द्वारा पारित विविध कार्ययोजनाओं से समाज को अवगत कराया। साहू रमेशचन्द्र जैन, श्री कैलाश चन्द्र जैन सर्राफ (लखनऊ), श्री स्वदेश भूषण जैन आदि महानुभावों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। इस अवसर पर पूज्य चन्दनामती माताजी द्वारा लिखित भजनों पर बनी कैसेट 'भगवान महावीर जन्मकल्याणक एवं तीन पुस्तकों (महारानी त्रिशला के अनोखे सपने, भगवान महावीर व्रत एवं महावीर पूजा भगवान महावीर प्रश्नोत्तरमालिका) का विमोचन भी किया गया। देश भर से पधारे गणमान्य कार्यकर्ताओं में डॉ. हुकुमचन्द भारिल्ल, श्री वसंत दोषी आदि विद्वानों ने भी सभा में भाग लिया। " For Private & Personal Use Only ब्र.कु. स्वाति जैन (संघस्थ) अक्टूबर 2001 जिनभाषित 31 www.jainelibrary.org.
SR No.524256
Book TitleJinabhashita 2001 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2001
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jinabhashita, & India
File Size4 MB
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