________________
AHIMSA TIMES - MAY 2008 ISSUE - www.jainsamaj.org
Page 9 of 14
जैनों को अल्पसंख्यकता की आवश्यकता क्यों ? सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को दी जा रही स्वतन्त्रता, सुरक्षा व अधिकार
जैन धर्म को हिन्दु धर्म में विलय करने की साजिश भारत सरकार ने 23.10.93 को भारत की जनगणना के आधार पर हिन्दू धर्म को मानने वाले बहुसंख्यकों के अलावा पाँच अन्य धर्मों (मुस्लिम 1382% ईसाई 24%, सिकरव 19, बौद्ध 08% व पारसी 001%) को अल्पसंख्यक धर्म घोषित किया जबकि जैन भी 0.04% हैं। जैन धर्म, न बहुसंख्यकों मे रहा न अल्पसंख्यकों में हजारों वर्षों से हिन्दू धर्म के लोगों के साथ रहते रहते धार्मिक रुप से अलग परन्तु संस्कृति लगभग एक सी होने के कारण लोगों ने जन धर्म को हिन्दू धर्म की शारवा मान लिया। सब कहते हैं "हिन्द, मुस्लिम, सिक्रव, ईसाई। आपस में हैं भाई-भाई। परन्तु जैनों का पता नहीं। जव सरकारी रुप से हिन्दू धर्म को बहुसंख्यक अन्य धर्मो को अल्पसंख्यक बना दिया गया परन्तु अति प्राचीन व स्वतन्त्र जैन धर्म का पता नही इसीलिए भी अपनी स्वतन्त्र पहचान बनाये रखने के लिए जैन धर्म को भी अन्य अल्पसंख्यक धर्मों की तरह गिनवाया जाना आवश्यक है जबकि भारत के जनगणना विभाग ने "विश्व जैन संगठन को लिखित रूप में दिया है कि सन् 1901 से 2001 तक की भारत की जनगणनाओं में हिन्दुओं व जैनों को अलग अलग गिना गया है व सर्वोच्च न्यायालय ने भी 2006 के अपने एक निर्णय में जैनों को अविवादित रुप से हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं माना।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 से 30 तक के अनुसार प्रत्येक अल्पसंख्यक धर्म के अनुयायीयों को अपने धर्म व संस्कृति की रक्षा, शिक्षा संस्थानों को स्थापित व पोषण करने का अधिकार, धार्मिक शिक्षा व उपसाना का अधिकार, धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतन्त्रता, जंगम व स्थावर सम्पत्ति के अर्जन, स्वामित्व व विधि के अनुसार प्रशासन करने का अधिकार दिया गया है। आज जैन धर्म के मन्दिरों व तीर्थ क्षेत्रों पर निरन्तर अतिक्रमण हो रहे है।
राज्य सरकारें व राज्यों के विकास प्राधिकरण, नयी कालोनीयों के विस्तारों को करते समय जन मन्दिरों की स्थापना हेतू जमीन उपल्बध करायेगी जिस प्रकार मस्जिदों, गुरुद्वारो व चर्चा के लिए उपलब्ध कराती है। राज्य विधान सभाओं, लोक सेवा आयोग व अन्य महत्वपूर्ण आयोगों में एक जैन व्यक्ति नामंकित किया जाएगा। राज्य सरकारों द्वारा रियायती दरों पर अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित किये जाने वाले शिक्षक संस्थानों के लिए। जमीन उपलब्ध करायी जाती है। सरकारी अनुदान से चल रहे जैन स्कूलों में कोई भी शिक्षकों शिक्षिकाओं की नियुक्ति का अधिकार स्कूलों के पास रहेगा चाहे शिक्षा विभाग के पास अतिरिक्त शिक्षक शिक्षिका क्यों न हों। राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित कई नियम कानून अल्पसंख्यक स्कूलों पर मान्य नहीं हैं। अल्पसंख्यक स्कूलों द्वारा शिक्षक शिक्षिका को नौकरी से हटाए जाने की दशा में किसी कानूनी कार्यवाही का हस्तक्षेप नहीं होगा।
भारत सरकार के कानून मंत्रालय द्वारा प्रत्येक अल्पसंख्यक धर्म के मुकदमों की पैरवी के लिए न्यायालयो में सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति हेतू उसी अल्पसंख्यक धर्म के अधिवक्ताओं की नियुक्ति की जाती है भारत सरकार के अन्तर्गत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग व अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना की गई है। जिसका कार्य सभी प्रदेशों के अल्पसंख्यक आयोगों की गतिविधियों पर नजर रखना है। भारत के सभी प्रदेशों में अल्पसंख्यक आयोगों का गठन प्रदेश में रह रहे किसी भी अल्पसंख्यक धर्म या उसके अनुयायियों पर हो रहे किसी भी प्रकार के भेद भाव, अत्याचार, शोषण या उनकी सम्पत्ति, तीर्थ क्षेत्रों के अतिक्रमण को रोकने के लिए किया गया है।
JAIN COMMUNITY IN DELHI DEMANDS MINORITY STATUS The Jain community in the capital is raising the pitch for minority status on par with the Buddhists, Christians, Sikhs, Muslims and Parsis, listed as notified minority groups under the Delhi Minorities Commission Act, 1999. Members of the community say they want minority status primarily because they want to incorporate Jainism, the religion of the community as a subject in Jain schools. The capital and
http://jainsamaj.org/magazines/may-2008.htm
8/11/2009