________________
१८८
विक्रम
३. महावीर स्वामी नो चरित्र-हस्तलिखित ग्रन्थ क्रमांक ५२८६ और भाषा गुजराती व लिपि देवनागरी है। इसका विषय महावीर भगवान् है। प्रति अपूर्ण है। भगवान् महावीर के परिधान, कंकरण, आदि प्राभरण व नाना प्रकार के प्रलंकारों का वर्णन है जो उन्हें राजसी वेष में प्राप्य थे। प्रारम्भ में सरस्वती की प्रार्थना है, फिर महावीर के चरित्र पर पद्यात्मक रचना है। नन्दिवर्द्धन राजा का उल्लेख है ।
४. महावीरदेव वृहत्स्तवन-इसके ग्रन्थकार समय सुन्दर मुनि हैं जिन्होंने इसकी रचना 'पालिताणानगर' में वास करके की थी। भाषा गुजराती व लिपि जैन-नागरी है। हस्तलिखित ग्रन्थ क्रमांक ६५८६/२ है। कृति पूर्ण है ।
५. महावीर स्तवन टब्बा सहित-इसके ग्रन्थकार अभयदेव सूरि हैं। भाषा प्राकृत मिश्रित गुजराती है। आकार २५४ ११ से. मी., पंक्ति १८ अक्षर ४८ व पत्र संख्या १२ है । हस्तलिखित ग्रन्थ पूर्ण है। महावीर की स्तुति व मूर्ति प्रक्षालन की विधि बताई गई है। हस्तलिखित ग्रन्थ क्रमांक ६६६७ है।
६. महावीरद्वात्रिंशिकावृत्ति सहित-लेखक उदय सागर सूरि हैं और मूल ग्रन्थकार सिद्धसेन सूरि हैं। यह संस्कृत भाषा का ग्रन्थ है व पूर्ण है। प्राकार ३२४ २१ से. मी. व पंक्ति २८, अक्षर २४ व पत्र संख्या १४ है। हस्तलिखित ग्रन्थ क्रमांक ७३३२
७. महावीर चरित-यह भवभूति द्वारा लिखित संस्कृत नाटक है। प्राकार २३४६ से. मी., पंक्ति १२, अक्षर ३० हैं। प्रति खण्डित है और पत्र संख्या १,२,३,८४ प्राप्य नहीं है । लिपि देवनागरी। हस्तलिखित ग्रन्थ क्रमांक ११६० है।
८. महावीर चरित-इसके लेखक भी भवभूति हैं और संस्कृत भाषा में लिखित सम्पूर्ण ग्रन्थ है। पत्र संख्या ४२ है। प्राकार २८४११ से. मी., पंक्ति ८, अक्षर ४५ हैं। ग्रन्थ क्रमांक ७५४८ है।
६. महावीर चरित-भवभूति के रचित नाटक की यह हस्तलिखित प्रति संवत् १८२६ की है। पत्र संख्या ६२ है व अपूर्ण है। क्रमांक ७५४८ है ।
___ उपरोक्त हस्तलिखित ग्रन्थ भगवान् महावीर के समय, व इतिवृत्त पर सूचनाएँ देते हैं। मूर्तिशास्त्र की दृष्टि से महावीर के वाहन, यक्ष-यक्षि व वृक्ष, श्रीवत्स लांछन विषयक दुर्लभ सूचनाएँ भी इनमें वर्णित हैं और प्रायः सभी महत्वपूर्ण हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org