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विक्रम
पर अनुसन्धान कर एक निष्कर्ष निकाला है कि वाष्प के विशेष प्रयोग से भोजन को कीटाणुरहित किए जाने पर वह तीन दिन तक सुरक्षित रह सकता है। बचा हुआ भोजन तथा यात्रा में साथ लिया जाने वाला भोजन उक्त विधि से अविकृत स्थिति में रह सकता है। उसके लिए उन्होंने विशेष प्रकार के 'फ्लास्का' का निर्माण किया है, जिसमें किसी प्रकार के शीत-ताप के प्रयोग की अपेक्षा नहीं होती। लगता है, महावीर ने तपोनुष्ठान के क्षेत्र में अपने उदर पर जो प्रयोग किया था, वही विज्ञान के क्षेत्र में 'फ्लासका' की विधि से नये परिधान में प्रा रहा है।
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