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________________ Vol. I-1995 कृष्णर्षिगच्छ का संक्षिप्त... [वि० सं० १४८३-१५०६] प्रतिमालेख नयचन्द्रसूरि [तृतीय] लक्ष्मीसागरसूरि [वि०सं० १५२४, प्रतिमालेख] जयसिंहसूरि [चतुर्थ] [वि०सं०१५१६-१५३२, प्रतिमालेख] जयचन्द्रसूरि [वि०सं० १५३४, प्रतिमालेख जयशेखरसूरि [वि० सं० १५८५, प्रतिमालेख] जयसिंहसूरि [वि० सं० १५९५, प्रतिमालेख] धनचन्द्रसूरि, कमलकीर्ति आदि [वि० सं० १६१६, प्रतिमालेख] अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा कृष्णर्षिगच्छ की एक कृष्णर्षितपाशाखा का भी पता चलता है। इस शाखा से सम्बद्ध वि० सं० १४५० से वि० सं० १५१० तक के प्रतिमालेख प्राप्त हुए हैं। इनका विवरण इस प्रकार है: १४५० माघ वदि ९ सोमवार पुण्यप्रभसूरि | पद्मप्रभ की चिन्तामणि पार्श्वनाथनाहटा, पूर्वोक्त लेखाम धातुप्रतिमा का लेख जिनालय, बीकानेर, ५५८. २. । १४७३ ज्येष्ठ सुदि ५ | पुण्यप्रभसूरि | सुपार्श्वनाथ की आदिनाथ जिनालय, विनयसागर, पूर्वोक्तपंचतीर्थी प्रतिमा का मालपुरा. | लेखाङ्क २११. लेख १४८३ । भाद्रपद वदि गुरुवार | पुण्यप्रभसूरि के | देहरीनं १८ पर |जैनमंदिर, जीरावला अर्बुदाचल प्रदक्षिणा पट्टधर जयसिंहसूरि उत्कीर्ण लेख जैनलेख संग्रह, सं० मुनिजयन्त विजय, लेखाङ्क १३८. १४८३ भाद्रपद वदि.७ पुण्यप्रभसूरि के | देहरी नं. २० पर जैनमंदिर, जीरावला वही, लेखाङ्क १४१. | पट्टधर जयसिंहसूरि उत्कीर्ण लेख गुरुवार १४८९ माघ वदि ६ रविवार जयसिंहसूरि | आदिनाथ की चिन्तामणि पार्श्वनाथ नाहटा, पूर्वोक्त, धातुप्रतिमा का लेख जिनालय, बीकानेर लेखाङ्क ७४४. १५०३ | आषाढ़ सुदि ९ | जयसिंहसूरि के धर्मनाथ की प्रतिमा वीर जिनालय, पुरानी नाहर, पूर्वोक्त, भाग पट्टधर जयशेखरसूरि का लेख | मंडी, जोधपुर | १, लेखाङ्क ५८६. Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522701
Book TitleNirgrantha-1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Jitendra B Shah
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1995
Total Pages342
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Nirgrantha, & India
File Size10 MB
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