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शिवप्रसाद
Nirgrantha
१२५१
शांतिनाथ की चिन्तामणि जिनालय, प्रतिमा का लेख बीकानेर |
बीकानेर जैन लेख संग्रह, सं० अगरचंद नाहटा, लेखाङ्क १०३
१०.
१२५९ | ज्येष्ठ सुदि पार्श्वनाथ की प्रतिमा शांतिनाथ जिनालय, जैन धातुप्रतिमा लेख संग्रह, भाग
१५ | का लेख कटाकोटडी, खंभात २, सं० मुनि बुद्धिसागर, लेखाङ्क ६०९
११. | १२५९ ज्येष्ठ सुदि ३
पार्श्वनाथ जिनालय, माणेकचौक, खंभात
बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग २
लेखाङ्क २८
१२.
१२९४ वैशाख सुदि जिनप्रतिमा पर चिन्तामणि जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १३३
८ शुक्रवार उत्कीर्ण लेख बीकानेर
१३. | १३३४ माघ सुदि १० सुविधिनाथ की | जैन मंदिर, शंखेश्वर जिनविजय, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ४९८
रविवार | प्रतिमा का लेख
२. शिलालेख
(i) महामात्य वस्तुपाल द्वारा शत्रुञ्जय महातीर्थ पर उत्कीर्ण कराये गये शिलालेख की प्राचीन नकल में (जिसका पूर्व में उल्लेख
आ चुका है) अन्य गच्छों के आचार्यों के साथ साथ थारापद्रगच्छ के आचार्य सर्वदेवसूरि और पूर्णभद्रसूरि का भी उल्लेख है। लेख के मूलपाठ के लिये द्रष्टव्य - U. P. Shah - “A Forgotten Chapter In The History of Svetambara Jaina Church"JASBVol. 30, Part I, 1955, pp.- 100-113.
(ii) वि० सं०१३३३ का शिलालेख, जिसमें चाहमान नरेश चाचिगदेव के राज्य में स्थित महावीर जिनालय को थारापद्रगच्छ
के आचार्य पूर्णभद्रसूरि के उपदेश से दान देने का उल्लेख है। द्रष्टव्य- प्राचीन जैन लेखसंग्रह, भाग २, सं० मुनि जिनविजय, लेखाङ्क ४०२.
घोघाकी जैन प्रतिमा निधि की दो जिन प्रतिमायें इस गच्छ से सम्बन्ध हैं। इन पर वि० सं० १२५९ और वि० सं० १५१४ के लेख उत्कीर्ण हैं, किन्तु इनके मूलपाठ हमें प्राप्त नहीं हो सके हैं, अत: इनके सम्बन्ध में विशेष विवरण दे पाना कठिन है।
संदर्भ - मधुसूदन ढांकी और हरिशंकर शास्त्री, “घोघानो जैन प्रतिमा निधि", फार्बस गुजराती सभा त्रैमासिक, जनवरी-मार्च अंक, ई० स० १९६५.
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