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________________ थारापद्रगच्छ का संक्षिप्त इतिहास शिवप्रसाद प्राक् मध्ययुगीन एवं मध्यकालीन निर्ग्रन्थदर्शन के श्वेताम्बर आम्नाय के गच्छों में थारापद्रगच्छ का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा । थारापद्र नामक स्थान (वर्तमान थराद, बनासकांठा मण्डल, उत्तर गुजरात) से इस गच्छ का प्रादुर्भाव हुआ था। थारापद्रगच्छ के ११वीं शताब्दी के प्रारम्भ के आचार्य पूर्णभद्रसूरि ने चंद्रकुल के वटेश्वर क्षमाश्रमण को अपना पूर्वज बतलाया है, किन्तु इस गच्छ के प्रवर्तक कौन थे, यह गच्छ कब अस्तित्व में आया, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा है। इस गच्छ में वादिवेताल शांतिसूरि, शालिभद्र अपरनाम शीलभद्रसूरि 'प्रथम', शांतिभद्रसूरि, पूर्णभद्रसूरि, शालिभद्रसूरि 'द्वितीय', नमिसाधु आदि कई प्रभावक एवं विद्वान् आचार्य हुए। थारापद्रगच्छ का उल्लेख करने वाला सर्वप्रथम अभिलेखीय साक्ष्य है वि० सं० १०८४ / ई० स० १०२८ का रामसेन के आदिनाथ जिनालय स्थित प्रतिमाविहीन परिकर का लेख । पं० अम्बालाल शाह ने उक्त लेख की वाचना इस प्रकार दी है: "अनुवर्तमानतीर्थप्रणायकाद वर्धमान जिनवृषभात् । शिष्य क्रमानुयातो जातो वज्रस्तदुपमानः ॥१॥ तच्छाखायां जात [:] स्थानीय कुलोद्भूतो महामहिमः। चन्दकुलोद्भवस्ततो वटेश्वराख्यः क्रमबलः ॥२॥ थीरापद्रोद्भूतस्तस्माद् गच्छोऽत्र सर्वदिक्ख्यातः । शुद्धाच्छयशोनिकरैर्धवलितदिक चक्रवालोऽस्ति ॥३।। तस्मिन् भूरिषु सूरिषु देवत्वमुपागतेषु विद्वत्सु। जातो ज्येष्ठाचार्यस्तस्याच्छ्रीशांतिभद्राख्य ॥४॥ तस्माच्च सर्वदेव: सिद्धान्तमहोदधिः सदागाहः । तस्माच्च शालिभद्रो भद्रनिधिर्गच्छगतबुद्धि ॥५॥ श्रीशांतिभद्रसूरी वज्रपतिजा [ता] पूर्णभद्राख्यः । रघुसेना [भिधाने स्ति....... बुद्धीन् ॥६॥ [व्यधा] पयादिदं बिंबं नाभिसूनोर्महात्मनः । लक्ष्याश्चंचलतां ज्ञात्वा जीवतव्यविशेषतः ।।७।। मंगलं महाश्रीः ।। संवत् १०८४ चैत्र पौर्णमास्याम्॥" साधारणतया प्रतिमा लेखों में प्रतिमाप्रतिष्ठापक आचार्य या मुनि की परम्परा के एक या दो पूर्वाचार्यों का उल्लेख मिलता है, किन्तु इस लेख में थारापद्रगच्छ के सूरिवरों की लम्बी सूची दी गयी है, जो इस प्रकार है : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522701
Book TitleNirgrantha-1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Jitendra B Shah
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1995
Total Pages342
LanguageEnglish, Hindi, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Nirgrantha, & India
File Size10 MB
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