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________________ 250 Vaishali Institute Research Bulletin No. 7 वानर वानर की गणना पशु-योनि में होती है लेकिन सेतुबन्ध में उसका चित्रण मानवीय रूप में होने के कारण प्रस्तुत सन्दर्भ में वानर-विषयक बिम्बों को मानवीय विम्ब के अन्तर्गत ही रखा गया है। जाम्बवान्, हनुमान, सुग्रीव, नल-नील, आदि अनेक वानरों का कमनीय बिम्ब सेतुबन्ध में उपलब्ध होता है । समुद्र दर्शन से वानर-त्रस्त, व्याकुल, डर से कांपते हुए शरीर वाले एवं चित्रलिखित की भांति स्तम्भित दिखाई पड़ रहे हैं सागरसहित्था अक्खित्तोसरिसवेवमाणसरीरा। सहसा लिहिअध्व ठिआ णिप्पन्वणिरामखोमणा काणिवहा ॥२२ इस गाथा में सागर दर्शन से त्रस्त, कंपनशील एवं जडवत् वानरों का सुन्दर बिम्ब रूपायित हो रहा है। सीतान्वेषण कार्य को सम्पादित कर लौटे हुए उत्फुल्ल मुख वाले हनुमान् राम के साक्षात् मनोरथ के समान प्रतीत हो रहे है रामस्स अईसन्ते आसाबन्धेव्व चिरगये हणुमन्ते ॥२१ "सीता जीवित है" यह मंगल समाचार सुनकर राम के द्वारा आलिङ्गित पवनपुत्र का बिम्ब कितना हृदयावर्जक है जिअई ति मालई उबऊढो।२४ सेतुबन्ध के अनेक स्थलों पर सुग्रीवादि की वीरता एवं पराक्रम के सुन्दर बिम्ब उपलब्ध होते हैं। (ख) मानवेतर बिम्ब (७) प्राकृतिक बिम्ब मानवेतर बिम्बों के अन्तर्गत हम सर्वप्रथम प्राकृतिक बिम्बों को रखते हैं जिनका संक्षिप्त विवेचन इस प्रकार है ऋतु-सेतुबन्ध में शरद् का विस्तार से वर्णन किया गया है। शरद् ऋतु के आगमन का बिम्ब अत्यन्त स्पृहणीय है ___ तो हरिवइजसवन्धो राहवजीमस्स पढमहत्थालम्बो। सीआबाहविहाओ बहमुहवज्झविअहो उपगओ सरओ ॥२१ सुग्रीव के यश के मार्ग के समान, राघव के जीवन के प्रथम अवलम्ब के समान और सीता के अश्रुओं का अन्त करने वाले रावण के वध-दिवस के समान शरद् ऋतु आ पहुंची। इस गाथा में शरद् को शुभ्रता, आशारूपता आदि का सुन्दर बिम्ब बिम्बित हो रहा है, साथ-साथ 'शारदागमन पर नई शक्ति एवं आशा का सञ्चार होता है' इस तथ्य का भी किया गया है। शारदीय आकाश का बिम्ब कितना मनमोहक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522606
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNand Kishor Prasad
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1990
Total Pages290
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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