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________________ महाकवि विबुध श्रीधर एवं उनकी अप्रकाशित रचनां "पासणाहचरिउ" डा० विद्यावती जैन, आरा प्राच्य भारतीय भाषाओं में पार्श्वनाथ-चरित की परम्परा संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के कवियों में भगवान् पार्श्वनाथ का जीवन-चरित बड़ा ही लोकप्रिय रहा है । आगम-साहित्य एवं विविध महापुराणों में उनके अनेक प्रासंगिक कथानक तो उपलब्ध होते ही हैं, उनके अतिरिक्त स्वतन्त्र, सर्वप्रथम एवं महाकाव्य शैली में लिखित जिनसेन (प्रथम) कृत पार्वाभ्युदय-काव्य' (वि० सं० ९ वीं सदी) एवं वादिराजकृत पार्श्वनाथचरितम् (वि० सं० १०८२) संस्कृत-भाषा में; देवभद्र कृत पासणाहचरियं' (वि० सं० ११६८) प्राकृत भाषा में तथा कवि पदमकोत्ति कृत पासणाहचरिउ' (वि० सं० १९८१) अपभ्रंश-भाषा में उपलब्ध है। इन काव्य रचनाओं से परवर्ती कवियों को बड़ी प्रेरणा मिली और उन्होंने भी विविध कालों एवं विविध भाषाओं में एतद्विषयक अनेक रचनाएँ लिखीं, जिनमें से विबुध श्रीधर (वि० सं० ११८९), माणिक्यचन्द्र (१३ वीं सदी), भावदेवसूरि (वि० सं० १३५५), असवाल' (१५ वीं सदी), भट्टारक सकलकीत्ति (वि० सं० २५वीं सदी), कवि रइधू" (वि० सं० १५-१६वीं सदी), कवि पद्मसुन्दर एवं हेमविजय' २ (१६ वीं सदी) एवं पण्डित भूधरदास' (१८ वी सदी) आदि प्रमुख हैं। विबुध श्रीधर कृत पासणाहचरित 'पार्श्वनाथ चरित' सम्बन्धी उक्त रचनाओं में से विबुध श्रीधर कृत 'पासणाहचरिउ' जो कि अद्यावधि अप्रकाशित है, उस पर प्रस्तुत-निबन्ध में कुछ प्रकाश डालने का प्रयास किया जा रहा है। इसका कथानक यद्यपि परम्परा प्राप्त ही है, किन्तु कथावस्तु गठन, भाषा, शैली, वर्णन-प्रसंग समकालीन संस्कृति एवं इतिहास-सम्बन्धी सामग्री की दृष्टि से यह रचना विशेष महत्त्वपूर्ण है। १. नि० सा० प्रेस बम्बई से प्रकाशित (१९०९ ई.)। २. माणिक दि• जै० ग्र० बम्बई (१९१६ ई०)। ३. दे० भा० सं० में जैनधर्म का योगदान पृ० १३५ । ४. प्रा० टै० सो० वाराणसी से प्रकाशित (१९६५) । ५.१३. दे० रइधू सा० का आलोचनात्मक परिशीलन (वैशाली, १९७४) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522605
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorL C Jain
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1988
Total Pages312
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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