________________
( vi )
कामन्दकीय नीतिशास्त्र में आर्थिक विचार ( अनुमानत: ४००
ई० सन् )
से ८०० - नलिन विलोचन
सारनाथ की जैन प्रतिमाऐं
- ओम प्रकाश पाण्डेय
जैन सरस्वती की एक अनुपम प्रतिमा का कलात्मक सौन्दर्य - डा० फूलचन्द जैन प्रेमी
महाकवि पुष्पदन्त का भाषात्मक अवदान
-डॉ० प्रेम सुमन जैन
प्राकृत भाषा की उत्पत्ति और प्राकृत अभिलेखों का महत्त्व -- प्रो० डा० चन्द्रदेव राय
शब्द - अद्वैतवाद का समालोचनात्मक विश्लेषण : जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में - डॉ लालचन्द जैन
आचार्य हेमचन्द्र के प्राकृत धात्वादेशों में बज्जिका के क्रियारूप
- डॉ० योगेन्द्र प्रसाद सिंह
जैन साहित्य में अहिंसा
- डॉ० विजय कुमार जैन
अहिंसा का महत्व
- जितेन्द्र वी० शाह
जैन शिक्षा दर्शन में शिक्षार्थी की योग्यता एव दायित्व — विजय कुमार
आचार्य हरिभद्रकालीन धार्मिक परिस्थिति —शैलेन्द्रकुमार राय
जैन धर्म-दर्शन में लेश्या : एक शास्त्रीय विवेचन --- डॉ० फूलचन्द जैन प्रेमी
प्राचीन भारतीय जैन समाज में नारी शिक्षा - जयन्त कुमार राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की काव्य-यात्रा - डॉ० सुरेन्द्रनाथ दीक्षित
गुप्तजी की काव्य-दृष्टि
ई० सन्
- डॉ० अवधेश्वर अरुण
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
....
....
41
46
50
54
63
70
101
109
112
116
131
146
152
156
166
www.jainelibrary.org