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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org १०. ११. १२. -१३. १४. १६. १७. बाहुबलिबेली १८. भरत-भुजवलि चरित २२० पद्य शत्रुञ्जयरास गोम्मटेश चरिते १५. भुजवलिचरिते ४ सन्धियाँ एवं ५५१ पद्य राजावलिकथे बाहुबलिनी निषला अज्ञात भुजवलिचरि वीरचंदसूरि राजस्थानी हिन्दी पामो हिन्दी जिनहर्षगणि गुजराती अनन्तकवि चन्द्रम पद्मनाभ देवचन्द्र भरतेश्वर वैराग्य अज्ञात पद्य सं० २४१ बाहुबलिगीत कन्नड़ राजस्थानी हिन्दी कन्नड़ कन्नड़ कन्नड़ अपभ्रश हिन्दी कल्याणकीत्ति राजस्थानी हिन्दी वि० सं० १७४९ वि० सं० १७५५ १७८० ई० १८ वीं सदी ईस्वी १८वीं सदी ईस्वी १८३० ई० वि० सं० १७४४ वि० सं० १७८१ 1 १० दि० जैन खण्डेलवाल मन्दिर उदयपुर में सुरक्षित है। भट्टारक सम्प्रदाय (सोलापुर), पृ० २८६. Jain Antiquary Vol. V, No. IV P. P. 144-146. आमेरशास्त्र भण्डार, जयपुर, ग्रन्थ-सूची सं० ५।११४३. Jain Antiquary, Arrah Vol. V No. IV, P. P. 144-146. जैन सिद्धान्त भास्कर आरा, ८।१।५५-५८ जै० सि० भा० २।४।१५४ आमेरशास्त्र भं०, जयपुर ग्रन्थ-सूची भा० ३।११७ आमेर शा० भं०, जयपुर ग्रन्थ-सूची, भा० ५।९६२ दे० आमेर शा० मं० ग्रन्थ-सूची जयपुर भा० ५।११६४. कवि चन्द्रम के गोम्मटेश चरिते के अनुकरण पर । प्रसंग प्राप्त बाहुबलि चरित वर्णन | यह कृति एक गुटके संग्रहीत है । बाहुबलि कथा का विकास एवं तद्विषयक साहित्य : एक सर्वेक्षण 101
SR No.522604
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR P Poddar
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1983
Total Pages288
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size5 MB
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