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________________ 166 VAISHALI INSTITUTE RESEARCH BULLETIN NO. 2 पर ग्रन्थ के अन्तिम भाग में उन्होंने "पाराहणा भगवदी" नामकी ओर विशेष अभिरुचि प्रदर्शित की है आराधणा भगवदी एवं भत्तीए वण्णिदा संती । संघस्स सिवज्जस्स य, समाधिवरमुत्तमं देउ ।' ऐसा लगता है, विवेच्य विषय के आधार पर कवि ने उसे 'आराहणा' कहा है। ग्रन्थ का मूल नाम भी यही था--"आराहणा सिवज्जेण पाणिदलभोजिणा रइदा ।"२ पर आराधना के महत्त्व का मूल्याङ्कन करने पर उन्होंने आगे की गाथा में उसका विशेषण 'भगवदी' दे दिया। आराधना का ही विस्तार श्रुतज्ञान है। उसका वर्णन श्रुतकेवली भी नहीं कर सकता। इसलिए दोनों शब्दों को जोड़कर ग्रन्थ का नाम "भगवई आराहणा” चल पड़ा। आराधना पर अभी तक चार टीकायें उपलब्ध हैं :१. अपराजितसूरि का विनयोदया (लगभग ७-८ वीं शती ई०), २. अमितगति की संस्कृत आराधना (दशवीं शती), ३. प्रभाचन्द्र (१) को आराधनापजिका (लगभग ११ वीं शती) और ४. पं० आशाधरजी की मूलाराधनादर्पण (१३ वीं शती ई०)। इन टीकाओं के अतिरिक्त पं० शिवलाल जी की हिन्दी 'आयार्थदीपिका' भी प्राप्य है। इनमें आशाध रजी ने शायद मूलाचार के आधार पर उसे मूलाराधना कह दिया होगा। आराधनापञ्जिका से भी यही बात सिद्ध होती है। ग्रन्थकर्ता : भगवती आराधना का कर्तृत्व भी विवादास्पद है। उसकी प्रशस्ति के अनुसार ग्रन्थ का कर्ता 'पाणितलभोजी' आचार्य शिवार्य हैं जिन्होंने अपने गुरु आर्य जिननंदी गणी, सर्वगुप्त गणी और आर्य मित्रनंदी के चरणों में बैठकर पूर्वाचार्यों द्वारा रचित आराधना को सम्यक समझकर यथाशक्ति भगवती आराधना की रचना की... अज्जजिणणंदिगणिसव्वगुत्तगणि अज्जमित्तणंदीणं । अवगमियपादमूले सम्म सुत्तं च अत्थं च ।। पुवायरियणिबद्धा उवजीवित्ता इमा ससत्तीए । आराधणा सिवज्जेण पाणिदलभोजिणा रइदा ॥ इस प्रमाण के आधार पर सर्वप्रथम नाथूरामजी प्रेमी ने उक्त वात कही। उनका समर्थन साधारणतः सभी विद्वानों ने किया। प्रेमीजी ने यह भी कहा १. वही, गाथा २१६४. २. वही, गाथा २१६२. ३. वही, गाथा २१५९-६०. ४. वही, गाथा, २१६१-६२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522602
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG C Chaudhary
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1974
Total Pages342
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size7 MB
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