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________________ 112 VAISHALI INSTITUTE RESEARCH BULLETIN NO. 2 आहार-सम्बन्धी दोष : मुनियों के आहार प्रकरण में सामान्यतया आठ दोषों को गिनाया है। उद्गम, उत्पादन, प्रशन, संयोजन, प्रमाण, अंगार, धूम, और कारणदोष । इन आठ दोषों से रहित आहार ग्रहण करना ही आठ प्रकार की पिण्डशुद्धि मानी जाती है। इन आठों दोषों में उद्गम दोष के सोलह भेद, उत्पादन दोष के सोलह, अशन के दस भेद, तथा संयोजनादि चार दोष, इस तरह आहार के कुल छियालीस दोष माने जाते हैं। उद्गम दोष के सोलह भेद : १. प्रौद्देशिक दोष :-सामान्य साधुओं के उद्देश्य से बनाया आहार । पात्रानुसार इसके चार भेद हैं:-यावानुद्देश, पाखण्डीसमुद्देश, श्रमणादेस, निर्ग्रन्थ-समादेश। २. अध्यधि दोष :-मुनि को आया देख गहस्थ अपने निमित्त वनाये जा रहे चावलादि में संयमी को भी देने के लिये उसी में और भी चावल-पानी ग्रादि मिलाना। अथवा जब तक भोजन तैयार न हो जाए तब तक उन्हें रोक न रखना। ३. पूतिकर्म :---शुद्ध आहार को अशुद्ध आहार से मिश्रित करना । ४. मिश्र दोष :-पाखण्डियों, गहस्थों के साथ संयमी को भी प्रासुक आहार देने का संकल्प करना। ५. स्थापित दोष :-जिस वर्तन में भोजन पकाया था, उससे दूसरे वर्तन या स्थान में रखना । ६. बलिदोष :--यक्ष, नागादि देवताओं की पूजनादि से अवशिष्ट भोजन को मुनि के आहार में देना । ७. प्राभत दोष :--काल की हानि-वृद्धि के अनुसार इसके दो भेद हैं:बादर और सूक्ष्म । इनमें आहार देने के दिन, पक्ष, महीना, वर्ष इनको बदलकर या आगा-पीछा करके आहार देना बादर प्राभत दोष है । तथा पूर्वाह्न व अपराह्न समय को बदलकर आगे-पीछे आहार देना सूक्ष्म प्रावर्तित दोष है । ८. प्रादुष्कर दोष :-इसके भी दो भेद हैं:-साधु के आ जाने पर भोजन एवं वर्तनादि का यहाँ-वहाँ ले जाना संक्रमण दोष तथा पाहार के बर्तनों का माफ करने लगना या दीपक से प्रकाश करना। ९. कोत दोष :-साधुओं को ग्राहार देने के लिए गायादि बदलकर या विद्या-मंत्रादि के बदले अन्नादि लेकर आहार देना। १०. प्रामृस्य (ऋण) दोष :-भोजन सामग्री उधार लेकर आहार देना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.522602
Book TitleVaishali Institute Research Bulletin 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG C Chaudhary
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1974
Total Pages342
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationMagazine, India_Vaishali Institute Research Bulletin, & India
File Size7 MB
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