SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९६] . श्री. रेन सय ४॥ [१५:१८ समय) रचित । (१४) गीत--" अरिहंत नाम औषधहिं सारइ" (सं. १५६३ अंत समये रचित छइ)। (१५) गीत, स्तवन, साधुवंदना प्रमुख ग्रंथ ६००० पाटणमां (पाटणमें इसकी खोजनी चाहिए)। (१६) इनके अतिरिक्त लीलावती सुमतिविलासरासका उल्लेख जै. गु. क. १-३में भी है। २ शा० दीपाकृत (१) छंद-" जिनभुवन जाएविमान पहिलु मुकीइ" । ( २ ) बारनत चौपई “ वीरजिणसर प्रणमुं पाय ॥ (सं. १५४८ पत्तन )। ३ दो० राजपालकृत (१) सज्झाय-:" वंदो वीर जिणंद" (सं. १५४३ में रचित)। ४ जा० श्रीवंत ( विशिष्ट विद्वान ) (१) हुंडी (लघुशालीया तपाके बाद वर्णनात्मक ) । (२) गुरुतवि निर्णयहुंडी (ते सांप्रत हछतपुरमध्ये छह उपाश्रयने भंडारि पत्र ४४) । (३) ऋषभविवाहलोढा० ४४ सर्वत्र प्रसिद्ध । (४) ढोलीया वर्णन। (५) स्तुति आदि अनेक । ५सा रामा (१) परी० पुंनाको दिये हुए पत्र १० ( हव(छ !)तपुर भंडारमें ) । ६ सा० रामा कर्णवेधी (१) लुंपक हुंडी वृद्धपत्र ३२९ अधिकार ५७४ (प्रति राजनगर भं०)। (२) वीरनाहविवाहलु सं. १५९४ । ७ मांडणकृत (१) रास । ८ सा रत्नपाल (१) अवन्ती सुकुमालरास (सं. १६४४ शत्रुजये )। (२) चौवीशी। (३) वीशी। For Private And Personal Use Only
SR No.521699
Book TitleJain_Satyaprakash 1953 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1953
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy