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ॐ अहम् ॥ अखिल भारतवर्षीय जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक
मुनिसम्मेलन संस्थापित श्री जैनधर्म सत्यप्रकाशक समितिनुं मासिक मुखपत्र जेशिंगभाईनी वाडी : घीकांटा रोड : अमदावाद (गुजरात)
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क्रमांक २०८-९
वर्ष : १८ | मिस. २००८ : वी२ नि.स. २४७८ : ४. स. १८५३ || अंक : ४-५ शगण सुदि २ : २विवार : १५ ३शुपारी ।
श्रीजिनवर्द्धनमरि रचित पूर्वदेश चैत्यपरिपाटी संपादक : श्रीयुत अगरचंदजी नाहटा
हिययसरोवरे धरिय गुरुराय सूरिजिणरायपायारविंदं । विणय-बहुमाणहि पुनवरदेसि संठियं थुणउ तित्थाण बंदं ॥ १ ॥ पहिलउं मच्चउरनयरि पणमेवि वीरजिणेसर कप्परुक्खं । तयणु सिरिरयणुपुरि संति तित्थंकरं बंदउं नासिया सपलदुक्ख ॥२॥ पयड पब्भाविक्रलिकालि जीराउलीमंडण पासजिण देखि करे । हिययउल्हासिहि जत्थ मइ कीधली रेहडी सयलह कज धुरे ॥ ३ ॥ अरबुदासिहरि सिरिआदिजिणेसरं पूजउं भावहि भरिय मणु । लणिगावसहीय लवणिमा कंदु राजलवल्लह नेमिजिण ॥ ४ ॥
भात
देव दिट्ठउ देव दिट्ठउ सयल जिणचंदु । करहेडउ पासजिण कयलवाडि नहयलि सुसंठिय । बहुमाण सुविणय कलिय भविय मणुय देविंद वंदिय । मह हियडउ तुह दंसणहि जलनिहि जिम जिणनाह । 'लहरि जेम हरहिं भरिउ नहउ भवदुहदाह ॥ ५ ॥
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