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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir mamimanianाश २५०] શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ [नोंधवा योग्य बीजी बाबतो१ उद्देपुर राज्य तरफथी प्रगट थयेल लखाणोमाथी ए जाणवा मळतुं नथी के राज्ये श्री केसरियाजो तीर्थना केटला रूपिया देवस्थाननिधि मारफत प्रताप विश्वविधालयने आपवा धार्या छे; पण, उदेपुरनी मेवाड प्रांतीय जैन श्वेताम्बर महासभा तरेफथी बहार पाडवामां आवेल समाचार उपरथी जाणी शकाय छे के श्री केसरियाजी तीर्थना पंदर लाख रूपिया प्रताप विश्वविधालयने आपवामां आवशे. २ राज्यबंधारणना बीजा भागमां बीजा धारानी चोथी कलमनी पेटा कलम (१)मा देवस्थाननिधिना सभ्योनी यादो आपी छे तेमां कोई पण जैन सभ्यर्नु नाम आप्यु नथी. कदाच एम बने के चार हिन्दु मेम्बरो, जे महाराणा पोते निमवाना छे तेमां अथवा धारासभा तरफथी चुंटाईने आवनार बे सभ्योमां कोई जैनने स्थान मळे. पण अत्यारे तो कोई जैननुं नाम तेमा मूक्यु नथी. ३ राज्यबंधारणना बीजा भागमा चोथा धारामां ज्यां प्रताप विश्वविद्यालयना कार्यक्रमनी रूपरेखा आपी छे तेमां जैन साहित्य के प्राकृत भाषाना अभ्यास सम्बन्धी के जैन आगमोना अभ्यास सम्बन्धी कशी जोगवाई करी होवानो उल्लेख मळतो नथी. ४ उदेपुर राज्यना नवा राज्यबंधारणमां बीजा भागना पांचमा धारानी कलम बीजी उपरथी जाणवा मळे छे के देवस्थाननिधिमां सम्मिलित न होय एवी बीजी धार्मिक के धर्मादा संस्थाओनी मिलकत उपर पण प्रताप विश्वविद्यालयने नाणां पूरा पाडवा माटे कर नाखी शकाशे. ५ राज्यबन्धारणना पांचमा परिशिष्टनी चोथी कलम उपरथी जाणी शकाय छे के प्रताप विश्वविद्यालयना ब्राह्मण विद्यार्थीओने जमवानी सगवड आपवा माटे देवस्थाननिधि. माथी १७५०० ( सत्तर हजार पांचसो रूपिया) दर वर्षे आपवामां आवशे. ] . उपर जणावेल एकेएक मुद्दो धरमूळथी विरोध करवा लायक छे, अने तेमां कोई पण जैन महानुभाव पोतानी जरा सरखी पण सम्मति न ज आपे एमां लवलेश शंका नथी । जो उपरना मुद्दाओनो अमल थाय तो एनुं परिणाम नीचे जणावेल अतिदुःखद अने अन्यायपूर्ण एवी बे परिस्थितिमां आवे - .(१) केसरियाजी तीर्थनां वहीवट, व्यवस्था अने पूजन तम ज धार्मिक विधिविधान करवाना जैनोना मौलिक अधिकारनो समूळगो नाश; अने (२) केसरियाजी तीर्थनिमित्ते (अने छोटी सादडीना जिनमन्दिर निमित्ते पण ) उत्पन्न थयेला अने थता देवद्रव्यनो सांसारिक कार्योमा उपयोग, For Private And Personal Use Only
SR No.521633
Book TitleJain_Satyaprakash 1947 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1947
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size22 MB
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