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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुवाद की आवश्यकता . ( लेखक-डा. बनारसीदासजी जैन, लाहौर) पाश्चात्य विद्वानों ने जैनधर्म और साहित्य पर अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ, लेख आदि लिखे हैं । इनमें से अधिकांश अंग्रेजी में हैं, शेष जर्मन, फ्रेंच आदि में । अब अंग्रेजो जाननेवालों की संख्या तो भारत में दिनोंदिन बढ रही है, परंतु जर्मन, फ्रेंच आदि जानने वालों की संख्या बहत अल्प है। अतः यदि जर्मन फ्रेंच आदि के उपयोगी ग्रन्थों का अनुवाद हो जाय तो प्रवचन को बड़ी सेवा होगी। यहां पर एक ऐसे ही ग्रन्थ का उल्लेख किया जाता है। उस का नाम है Uebersicht ueber die Avasyaka--Literatur अर्थात् आवश्यक-साहित्य का निरीक्षण । इस के रचयिता हैं प्रो.अनट लोयमन (Ernst Leumann) | प्रोफेसर साहब ने बरसों के परिश्रम से इसे रचा था, परंतु इसका प्रकाशन उनकी मृत्यु के पश्चात् सन् १९३४ में हुआ। इसके हैं तो कुल ५६+४+४ पृष्ठ, पर वे १७"४११" साइज के हैं । यह ग्रन्थ बड़े गहरे और लबे अनुशीलन का फल है ।२ । ग्रन्थ की विषय सूची १. संपादक (प्रो. वाटर शूबिंग) का प्राक्कथन । २. शुद्धिपत्र ३. शब्दसूची ४. भूमिका ५. हस्तलिखित जैन ग्रन्थों की सूची । ६. अन्यरचना का इतिहास तथा न्यूनताएं । ७. आवश्यक और उसका मूल रूप । ८. आवश्यक संबन्धी परंपरागत विचार । ९. आवश्यक की व्याख्याएं । १०. दिगम्बर संप्रदाय में आवश्यक नियुक्ति का मूल रूप । ११. मूल नियुक्ति । १. प्रकाशक-Friederichsen, De Gruyter & Co. M. B. H., Hamburg, 1934. २. प्रो. लौयमानने सन् १८९४ में आवश्यक-साहित्य पर एक लेख भी लिखा था, जो इंटर नेश्नल औरियंटल काग्रेस में पढ़ा गया था। इसका उल्लेख “जन साहित्य संशोधक" खण्ड २ पृ० ८१-९१ ( जुलाई १९२१ ) में हुआ है। प्रो. हीरालाल रसिकदास कापडियाने जन-ग्रन्थ सूची (Descriptive catalogue of Jaina Manuscripts) भाग ३ पृ. ३७१-८ पर इस ग्रन्थ का उल्लेख किया है। For Private And Personal Use Only
SR No.521622
Book TitleJain_Satyaprakash 1946 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1946
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size17 MB
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